scriptVideo : राजस्थान के वह जिले जहां राजनीतिक पंडितों के दावें, एग्जिट पॉल भी हुए फेल.. | rajasthan assembly election 2018 udaipur live update | Patrika News

Video : राजस्थान के वह जिले जहां राजनीतिक पंडितों के दावें, एग्जिट पॉल भी हुए फेल..

locationउदयपुरPublished: Dec 12, 2018 04:53:04 pm

rajasthan assembly election 2018 udaipur live update

gehlot

विधानसभा परिणाम: चुनावी जीत के बाद राहुल गांधी किसे बनाएंगे मुख्यमंत्री

सिकन्दर पारीक/उदयपुर . चुनावी रण में इस बार मेवाड़ में न कोई लहर दिखी और ना ही सरकार विरोधी हवा। कई जगह मतदाताओं ने वंशवाद को भी नकारा। चुनाव तक खामोश रहे मतदाताओं ने इवीएम पर अपनी चुप्पी तोड़ी और राजसमंद और उदयपुर की धरती पर फिर कमल खिलाया। पंजा मजबूत आधार नहीं बना पाया, उसे केवल तीन सीटों की बढ़त मिल पाई है। निर्दलीय की कुर्सी खिसक गई। मेवाड़ को लेकर राजनीतिक पंडितों के दावे व एग्जिट पोल भी फेल हो गए। भाजपा ने उदयपुर शहर, उदयपुर ग्रामीण, सलूम्बर, मावली, गोगुंदा व झाड़ोल तथा राजसमंद व कुंभलगढ़ सीट बरकरार रखी जबकि कांग्रेस ने भाजपा से खेरवाड़ा, नाथद्वारा व भीम सीट तथा वल्लभनगर सीट जनता सेना से छीन ली है। सलूम्बर में कांग्रेस के दिग्गज नेता रघुवीर सिंह मीणा की राह में बागी रेशमा मीणा इस तरह रोड़ा बनी कि उनकी कुर्सी देखते ही देखते हाथ से निकल गई। डूंगरपुर के नजदीकी खेरवाड़ा के आदिवासी वोटों पर बीटीपी की निगाहों ने भी दोनों दलों को चिंता में डाल दिया है। इसे राजनीतिक दलों के प्रति असंतोष ही कहेंगे कि उदयपुर में 34923 और राजसमंद में 12568 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। भीम, उदयपुर शहर, गोगुंदा, वल्लभनगर में जीत का आंकड़ा दस हजार से कम रहा।
उदयपुर शहर
भाजपा के दिग्गज नेता गुलाबचंद कटारिया ने बूथ लेवल पर मजबूती से बाजीगरी दिखाकर फिर विजयश्री का पताका लहराई। पहले माना जा रहा था कि निर्दलीय प्रवीण रतलिया और दलपत सुराणा कटारिया के वोट बैंक में सेंध लगाएंगे, लेकिन राजनीतिक जानकारों के अनुसार इससे कांग्रेस को नुकसान पहुंचा है। हालांकि कटारिया के कद को देखते हुए जीत का अंतर बड़ा नहीं कहा जा सकता।
उदयपुर ग्रामीण
अब तक कहा जाता रहा कि उदयपुर ग्रामीण सीट में भाजपा-कांग्रेस की अदला-बदली चलती रहती है लेकिन इस बार भाजपा के फूलसिंह मीणा ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीत कर तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया। खेमराज कटारा के पुत्र विवेक को मात खानी पड़ी। मीणा की छवि और आमजन से व्यवहार को लेकर भी उन्हें मतदाताओं ने पसंद किया।
READ MORE : मेवाड़ का वह इतिहास जो विधानसभा चुनाव के परिणामों के साथ हमेशा के लिए बदल गया…

वल्लभनगर
सबसे हॉट सीट पर कांग्रेस के गजेन्द्रसिंह शक्तावत ने जनता सेना के रणधीर सिंह भींडर को शिकस्त दी। भाजपा प्रत्याशी उदयलाल डांगी तीसरे स्थान पर रहे। डांगी ने भींडर के वोटों में सेंध लगाई और मजबूत संघर्ष के बाद शक्तावत को जीत नसीब हुई।
मावली
भाजपा के धर्मनारायण जोशी ने पहले राउंड से ही बढ़त बनाए रखी और जिले में सर्वाधिक 26876 मतों से जीत हासिल की। पूर्व में घोषित कांग्रेस प्रत्याशी लालसिंह झाला का नामांकन भरने के बाद टिकट काटना कांग्रेस को भारी पड़ा। जातिगत समीकरण भी यहां कुछ नई कहानी लिख गए।
गोगुंदा
राजनीतिक पंडितों के आकलन को फेल करते हुए मौजूदा भाजपा विधायक प्रताप गमेती ने फिर जीत हासिल की। पूर्व मंत्री कांग्रेस के मांगीलाल गरासिया को हार का मुंह देखना पड़ा। जानकारों के अनुसार पूर्व में कांग्रेस के देहात जिलाध्यक्ष लालसिंह झाला यहां भी जनसम्पर्क में लगे हुए थे लेकिन टिकट काटने की मायूसी उनसे जुड़े कार्यकर्ताओं में ज्यादा दिखी।
झाड़ोल
यह सीट भाजपा ने कांग्रेस से छीनी है। मोदी लहर के बावजूद यहां कांग्रेस विधायक जीता था लेकिन इस बार उसका टिकट काटकर पूर्व विधायक कुबेर सिंह के पुत्र सुनील भजात को आजमाया गया, जो कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए। कांग्रेस के मौजूदा विधायक का टिकट काटने का खमियाजा भुगतना पड़ा। सीपीएम प्रत्याशी ने भी यहां काफी मत बटोरे, जिसका बुरा असर कांग्रेस के वोट बैंक पर हुआ।
सलूम्बर
दिग्गज कांग्रेस नेता रघुवीर सिंह मीणा यहां औंधे मुंह गिरे। बागी रेशमा ने प्रधान रहते हुए गांवों में जो सम्पर्क बनाया, उसका उन्हें लाभ मिला और वे 14 हजार से अधिक मत ले पाने में सफल रही। दो की लड़ाई का फायदा मौजूदा विधायक भाजपा प्रत्याशी अमृत मीणा को मिला और वे यह सीट बचाने में कामयाब रहे।
खेरवाड़ा
कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मंत्री दयाराम परमार ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी नानालाल को करारी शिकस्त दी। हालांकि परमार की जीत लगभग तय मानी जा रही थी। मतदाताओं ने उन पर भरोसा जताया। भाजपा को टिकट काटने का खमियाजा भुगतना पड़ा। पहले शंकरलाल खराड़ी को टिकट दिया, जो काट दिया गया।
राजसमंद
भाजपा की दिग्गज नेता किरण माहेश्वरी अपने गढ़ को बचाने में कामयाब रही। रेलमगरा समेत कई जगह आई परेशानियों का रास्ता पार कर उन्होंने 24 हजार मतों से जीत हासिल की। ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पर्क का उन्हें लाभ मिला।
नाथद्वारा
गुरु आखिर गुरु ही होता है, कांग्रेस के डॉ. सीपी जोशी ने अपने चेले भाजपा प्रत्याशी महेश प्रताप सिंह को 16 हजार से अधिक मतों से पराजित कर साबित कर किया। एक वोट की कीमत पहचान चुके जोशी ने इस बार पूरा ध्यान अपने क्षेत्र पर केन्द्रित किया, हालांकि प्रारंभ में अपने विवादित बोल के कारण वे परेशान जरूर हुए लेकिन जीवट जनसम्पर्क तेज कर उन्होंने आखिर मतदाताओं का भरोसा जीता।
कुंभलगढ़
भाजपा प्रत्याशी सुरेन्द्र सिंह राठौड़ ने अपनी सीट बचा ली। राजपूत वोटों के ध्रुवीकरण का खतरा जरूर था लेकिन समाज की कुछ बैठकों और अपनी छवि के बूते उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी गणेश सिंह परमार को हरा दिया। वे परमार के खरवड़ राजपूतों के मतों में सेंध लगाने में कामयाब रहे।
भीम
भाजपा के हरिसिंह रावत को पूर्व मंत्री लक्ष्मणसिंह रावत के पुत्र सुदर्शन सिंह रावत ने जीत हासिल की। टक्कर जबर्दस्त रही। कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस के प्रत्याशी आगे-पीछे होते रहे और आखिर में कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से 3592 मतों से छीन ली।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो