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मेवाड़-वागड़ में जीत का ताला खोलने ‘हाथ’ ने उठाई चुनावी ‘चाबी ’

locationउदयपुरPublished: Sep 21, 2018 04:07:51 pm

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CG Election 2018

भारत पहले एक कृषि प्रधान देश था फिर बना कुर्सी प्रधान, अब चुनाव प्रधान

भुवनेश पंड्या/उदयपुर. प्रदेश में जीत की चुनावी चाबी उठाने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर मेवाड़ – वागड़ के द्वार को खटखटाया है। इससे पहले कई बार राहुल अपने माता-पिता और दादी की तर्ज पर यहां जनता का मन टटोल जीत के उडनख़टोले पर सवार होने के लिए पहुंचे हैं। प्रदेश के इस दक्षिणांचल के लिए चुनावी शतरंज पर हमेशा यह कहा जाता रहा है कि यहां सध गया तो सब सध गया, यानी यदि यहां पर हाथ जम गया तो उसकी छाप पूरे प्रदेश पर लगना मुश्किल नहीं। मेवाड़-वागड़ की 28 आदिवासी बहुल सीटों पर कब्जा जमाने को कांग्रेस इस बार कदम बढ़ा चुकी है, हालांकि नतीजे जो भी हो लेकिन इस बार कांग्रेस कोई कोर कसर नहीं छोडऩा चाहती। संभागीय संकल्प रैलियों की शुरुआत इस बार सांवलिया सेठ से की गई है।
इसलिए दौड़ जरूरी
अगले कुछ महीने में विधानसभा चुनाव का सामना करने जा रहे राजस्थान में सबकी नजरें आदिवासी बहुल दक्षिणी राजस्थान यानी मेवाड़-वागड़ क्षेत्र पर टिकी हैं। अब तक जिस राजनीतिक पार्टी ने इस इलाके में प्रभुत्व जमाया है, राज्य में सरकार उसी की बनी है।

पहले भी राहुल आए थे यहां

– राहुल गांधी पूर्व में 11 सितम्बर 2013 को उदयपुर जिले के सलूम्बर में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। उस समय वह अध्यक्ष नहीं उपाध्यक्ष थे। तब उनके साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री नामोनारायण मीना, तत्कालीन राज्य कांग्रेस प्रभारी गुरदास कामत, अशोक गेहलोत, तत्कालीन राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष चंद्रभान, पूर्व केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट और सीपी जोशी पहुंचे थे। तब उन्होंने कहा था कि जब विपक्षी कांग्रेस की यूपीए सरकार ने कल्याणकारी कदम उठाने की कोशिश की तो विपक्ष बाधा उत्पन्न कर रहा था।

– वर्ष 1998 में जयसमंद में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का संभागीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। यही वजह है कि उस वक्त कांग्रेस को मेवाड़.वागड़ से 30 में से 23 सीटें मिली थीं।

– वर्ष 2003 में चुनाव से पहले कांग्रेस की कोई बड़ी सभा नहीं हुई। चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में सभा हुई थीए तब कांग्रेस को 30 में से मात्र 7 सीटें मिली थीं, 21 पर भाजपा को जीत मिली।
– वर्ष 2008 में चुनावों से पहले बेणेश्वर में सोनिया गांधी की बड़ी सभा का आयोजन किया गया था। परिसीमन के बाद मेवाड़.वागड़ की कुल 28 सीटों में से कांग्रेस को 20 सीटें मिली।
– 23 नवम्बर 2013 को सोनिया गांधी ने डूंगरपुर में सभा की थी। इससे पहले सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री काल में 3 जून 2011 में डूगरपुर-बांसवाड़ा रेल परियोजना की नींव डाली थी।

ये है 28 सीट

वर्तमान में भाजपा की सीट

उदयपुर: उदयपुर, उदयपुर ग्रामीण, मावली, सलूम्बर, गोगुन्दा व खेरवाड़ा
बांसवाड़ा: बांसवाड़ा, कुशलगढ़, घाटोल व गढ़ी

डूंंगरपुर : डूंगरपुर, सागवाड़ा, आसपुर, चौरासी
चित्तौडगढ़़ : चित्तौडगढ़़, बड़ी सादड़ी, बेगू, कपासन, निम्बाहेड़ा
राजसमन्द: राजसमन्द, भीम, कुंभलगढ़, नाथद्वारा
प्रतापगढ़ : प्रतापगढ़ व धरियावाद


कांग्रेस की सीट

उदयपुर- झाडोल
बांसवाड़ा- बागीदौरा


निर्दलीय

उदयपुर- वल्लभनगर

16 सीट आरक्षित:
16 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ ऐसे जिले हैं जिनकी सारी विधानसभा सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं।

आरंभ है प्रचंड

प्रदेश को अब तक तीन मुख्यमंत्री दे चुके मेवाड़-वागड़ क्षेत्र की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते चार अगस्त को भाजपा ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अगुवाई में अपनी राजस्थान गौरव यात्रा की शुरुआत राजसमन्द के चारभुजा मंदिर से की जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने 24 अगस्त को संकल्प रैली की शुरुआत चित्तौडगढ़़ के सांवलिया सेठ से की।

पहले थी 30 सीट
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव के वक्त परिसीमन के कारण जब मेवाड़-वागड़ क्षेत्र की कुल सीटें 30 से घटकर 28 हो गई, तो कांग्रेस को 20 और भाजपा को छह सीटें मिलीं। जाहिर तौर पर उस वक्त सरकार कांग्रेस ने बनाई। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की 25 सीटों पर भाजपा को जीत मिली जबकि कांग्रेस सिर्फ दो सीटों पर सिमट कर रह गई। ऐसे में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनी, हालांकि इसमें भाजपा गढ़ माने जाने वाले उदयपुर जिले की एक वल्लभनगर सीट निर्दलीय खाते में गई थी।

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