हर थाने में हो बाल हेल्प डेस्क और जिम्मेदार अधिकारी -डॉ. पण्ड्या
उदयपुर. किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 107 के तहत हर पुलिस थाने में सहायक उपनिरीक्षक रेंक के अधिकारी को बाल कल्याण पुलिस अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है। साथ ही हर पुलिस थाने में बच्चों के मामलों पर सुनवाई और रिपोर्ट के लिए बाल हेल्प डेस्क का होना अनिवार्य है। इसके बावजूद थानों में इनकी सुनिश्चितता नहीं है। यह चिंता की बात है। आयोग की आगामी बैठक में इसे लेकर चर्चा की जाएगी। ये विचार राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य और राजस्थान बालश्रम एवं तस्करी प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ. शैलेन्द्र पण्ड्या ने व्यक्त किए। वे बाल गृहों और थानों का औचक निरीक्षण करने के बाद बाल कल्याण समिति और अधिकारियों से चर्चा में बोल रहे थे। डॉ. पण्ड्या ने महिला मंडल, निराश्रित बाल गृह, बालिका गृह, सूरजपोल पुलिस थाना, पुलिस चौकी का निरीक्षण किया। इस दौरान सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष ध्रुव कुमार कविया ने भी विचार व्यक्त किए।
बाल आयोग सदस्य की विजिट में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष सहित सदस्य डॉ शिल्पा मेहता, सुरेश चन्द्र शर्मा, समाजसेवी दिनेश औदिच्य एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे। आयोग सदस्य रविवार को एक निजी कार्यक्रम में सम्मिलित होकर सांय जयपुर प्रस्थान करेंगे।
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