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काले कानून के विरोध में अब चलेगा अभियान, ये लोग उतरेंगे लोकतंत्र के इस रण में…

locationउदयपुरPublished: Nov 09, 2017 05:06:10 pm

Submitted by:

Prakash Kumawat

– काले कानून के विरोध में चलाया जाएगा जनजागृति अभियान

kala kanoon
उदयपुर . भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा लाए गए काले कानून के विरोध में उतरे आपातकाल बंदी लोकतंत्र प्रहरी मंच ने जयपुर में कोर कमेटी की आपात बैठक बुलाई और जनजागृति अभियान चलाने का निर्णय किया।
कोर कमेटी की बैठक में यह तय किया गया है केवल संघ ही नहीं बल्कि सभी विचारधारा वाले संगठनों और लोगों के साथ मिलकर यह लड़ाई लड़ी जाए। इसके लिए सभी जिलों में जनजाग्रति अभियान भी शुरू कर दिया गया है। इसके तहत छोटे समूहों में आस-पड़ोस में चर्चा के जरिए इस काले कानून के खिलाफ जनता जाग्रत किया जा रहा है। एक सप्ताह बाद इस अभियान का दूसरा चरण शुरू किया जाएगा।
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मंच के प्रदेश संयोजक तथा ज्यादातर पदाधिकारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वे स्वयंसेवक हैं जो लोकतंत्र का गला घोटने के विरोध में आपातकाल में जेलों में बंद रहे थे। मंच के संयोजक 66 साल के हो गए हैं । वे जयपुर के मानसरोवर में नियमित रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाते हैं। संघ के एक आनुषांगिक संगठन के प्रदेश कोषाध्यक्ष हैं। इसी तरह मंच के ज्यादातर सदस्य सामाजिक, धार्मिक संगठनों और आरएसएस के आनुषांगिक संगठनों में भी सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। आरएसएस के आनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने इस आंदोलन को समर्थन देने के बाद से सभी जिलों में काले कानून के खिलाफ आर-पार की लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी है। संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने किसानों से आह्वान किया है कि वे इस कानून का एकजुट होकर पुरजोर विरोध करें।
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गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने पिछले महीने दो विधेयक- राज दंड विधियां संशोधन विधेयक, 2017 और सीआरपीसी की दंड प्रक्रिया सहिंता, 2017 पेश किया था। इस विधेयक में राज्य के सेवानिवृत्त एवं सेवारत न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेटों और लोकसेवकों के खिलाफ ड्यूटी के दौरान किसी कार्रवाई को लेकर सरकार की पूर्व अनुमति के बिना उन्हें जांच से संरक्षण देने की बात की गई है। यह विधेयक बिना अनुमति के ऐसे मामलों की मीडिया रिपोर्टिंग पर भी रोक लगाता है। विधेयक के अनुसार, मीडिया अगर सरकार द्वारा जांच के आदेश देने से पहले इनमें से किसी के नामों को प्रकाशित करता है, तो उसके लिए 2 साल की सजा का प्रावधान है।
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