नई किराया नीति : देवस्थान की सम्पत्तियों को किराएदार नहीं कर सकेंगे सबलेट, किराया भी बढ़ेगा
- प्रदेश की नई किराया नीति पर मुहर जल्द, देवस्थान विभाग ने पुरानी नीति में से कई खामियां दूर की
- अब जयपुर से मंजूरी होते ही हाईकोर्ट में पेश कर लागू होगी नई नीति
मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. भगवान की सम्पत्तियों पर किरायादार बैठकर मनमर्जी करने वालों पर अब बड़ी सख्ती बरती जाएगी। नाम मात्र के किराया वसूली की दर भी अब बदल जाएगी और किराएदारों के संपदा को सबलेट करने पर भी पूर्ण रोक लगाई जाएगी। प्रदेश में देवस्थान विभाग की संपत्तियों को किराया देने के लिए बनाई नई किराया नीति पर जल्द मुहर लग जाएगी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद नई किराया नीति का ड्राफ्ट तैयार कर सरकार को भेज दिया गया है और अब राज्य सरकार से हरी झंडी मिलते ही देवस्थान विभाग हाईकोर्ट में इसे पेश कर प्रदेश में लागू करने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
पुरानी किराया नीति से हुई कई परेशानिया
- पुरानी नीति में कई खामियां है जिससे देवस्थान को कई जगह नुकसान उठाना पड़ता है
- किराया बहुत कम होने से राजस्व भी कम मिलता, न्यूनतम 5 से 10 रुपए किराया भी है
- किराएदार ही अपने स्तर पर संपदा को सबलेट कर देते थे
- किराएदार सालों जमा रहते और मालिक बनकर बैठ जाते थे
नई किराया नीति में यह खास होगा
- सबलेट पर प्रतिबंध होगा
- किराया दुगुना से तीन गुणा तक होगा
- नियम-शर्तोँ में बदलाव होगा
- सरकारी संपत्ति सरकार की रहेगी, इसके लिए सख्त प्रावधान
करोड़ों की आय होती, नई नीति से अच्छी आय होगी
प्रदेश व प्रदेश के बाहर देवस्थान विभाग के मंदिरों के अधीन दुकानों, आवासीय, व्यावसायिक परिसर किराए पर दिए हुए हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 मे 3.95 करोड़, वर्ष 2019-20 में जनवरी, 2020 तक 3.95 करोड़ रुपए की आय हुई। इसके अलावा करीब 150 से ज्यादा संपत्तियों पर अवैध कब्जे है जिन पर विधिक प्रक्रिया के तहत कार्रवाई चल रही है।
इनका कहना है...
नई किराया नीति का ड्राफ्ट तैयार होने के बाद हमने तो जयपुर भेज दिया है। उस पर राज्य सरकार से अनुमोदित होते ही लागू करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
- राजेन्द्र भट्ट, आयुक्त देवस्थान विभाग
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