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Rajasthan Election 2023 : मतदान के अधिकार से अभी भी वंचित हैं ट्रांसजेंडर्स, प्रदेश में आबादी ज्यादा, लेकिन मतदाता मात्र 606

Rajasthan Assembly Election 2023 : सुप्रीम कोर्ट द्वारा अलग पहचान दिए जाने के बावजूद ट्रांसजेंडर को लोकतंत्र में सभी अधिकार पूरी तरह से नहीं मिल पाए हैं।

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मोहम्मद इलियास
उदयपुर। Rajasthan Assembly Election 2023 : सुप्रीम कोर्ट द्वारा अलग पहचान दिए जाने के बावजूद ट्रांसजेंडर को लोकतंत्र में सभी अधिकार पूरी तरह से नहीं मिल पाए हैं। निर्वाचन विभाग की ओर से मतदाता जागरुकता अभियान चलाने के बावजूद इस बार राज्य में तृतीय ***** के रूप में महज 606 मतदाता ही जुड़े हैं। इनमें से उदयपुर जिले के 24 मतदाता शामिल हैं, जबकि राजस्थान में ट्रांसजेंडर्स की आबादी 25 हजार से पार बताई जा रही है। वर्ष 2012 में चुनाव आयोग ने पहली बार ट्रांसजेंडर या अन्य वोटर के नाम से पहचान दिलाने के लिए कॉलम रखा। राजस्थान में पहली बार 2011 की जनगणना में इस वर्ग को अलग से गिना गया था। तब इनकी आबादी करीब 16 हजार 512 थी।

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जनसंख्या के अनुसार बढ़ नहीं पाया आंकड़ा
चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2018 में मात्र 349 वोटर पंजीकृत हुए थे, इस बार इनकी संख्या बढ़कर 606 हो गई। जबकि जनसंख्या के अनुसार यह आंकड़ा बढ़ना चाहिए था। उदयपुर में पहली बार 24 ट्रांसजेडर्स मतदाता सूची में शामिल हुए हैं।

राजस्थान में ट्रांसजेंडर्स की स्थिति
2011 की जनगणना में संख्या- 16512
2013 सर्वे - करीब 20 हजार से ज्यादा
2018 में वोटर- 349
2023 में मतदाता - 606

राजनीति में भी सक्रिय हो चुके हैं ट्रांसजेंडर्स
- वर्ष 1998 में मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में सोहागपुर विधानसभा सीट से शबनम मौसी विधायक बनी।
- वर्ष 2004 में राजस्थान में चित्तौडगढ़़ में ममता बाई निर्दलीय पार्षद बनी।
- वर्ष 2009 में ममता बाई बेगूं का नगरपालिका चेयरमैन बनी।
- 2015 में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में मधु किन्नर महापौर पद पर जीती।

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हम बहुत खुश हैं, सरकार ने हमें मताधिकार दिया है। हमारी पहचान अलग बनी है। हमारे सभी कार्ड भी अलग बन जाएंगे। हालांकि हमारी संख्या के मुकाबले मतदाता कम हैं। समाज को जागरूक कर ज्यादा से ज्यादा पहचान पत्र बनवाएंगे।-पायल बाई किन्नर, बलीचा


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