scriptइन्दिरा की इस नाराजगी से मोहनलाल सुखाडिय़ा की कुर्सी को खतरा हुआ | rajasthan-EX CM Mohanlal Sukhadia's Death Anniversary, Udaipur | Patrika News

इन्दिरा की इस नाराजगी से मोहनलाल सुखाडिय़ा की कुर्सी को खतरा हुआ

locationउदयपुरPublished: Feb 02, 2019 09:13:05 am

Submitted by:

Mukesh Hingar

– गुलाबचंद कटारिया जहां मंच मिलता वहां बताते सच्चाई

Mohanlal Sukhadia

इन्दिरा की इस नाराजगी से मोहनलाल सुखाडिय़ा की कुर्सी को खतरा हुआ

मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. मेवाड़ से मोहनलाल सुखाडिय़ा सर्वाधिक राजस्थान की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को जहां भी कांग्रेस को घेरने का मंच मिलता है तो कटारिया यह सच्चाई जरूर बताते थे कि आधुनिक राजस्थान के निर्माता स्व. मोहनलाल सुखाडिय़ा को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने का खेल भी कांग्रेस ने ही किया। कटारिया ने कई बार मंच पर कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के शिकार हुए तो सुखाडिय़ा को कुर्सी छोडऩी पड़ी, उन्होंने इस बात को लेकर इन्दिरा व कांग्रेस पर बड़ा गुस्सा भी निकाला और कहते रहे कि कांग्रेसियों को शायद यह पता नहीं है कि सुखाडिय़ा को राजस्थान की राजनीतिक से बाहर करने का खेल भी गांधी परिवार ने ही किया था।
कटारिया ने उदयपुर के बापू बाजार बैंक तिराहे पर इस विधानसभा के चुनाव के भाषण में भी यह बात कही। उन्होंने कहा था कि वर्ष 1969 का राष्ट्रपति चुनाव में नीलम संजीव रेड्डी कांग्रेसी के आधिकारिक उम्मीदवार. सामने थे, सामने तत्कालीन उप-राष्ट्रपति वीवी गिरी. गिरी थे और उन्हें इंदिरा का समर्थन हासिल था। इंदिरा प्रधानमन्त्री थी, उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव से पहले वाली शाम को अपील कर अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने को कहा। तब वीवी गिरी करीबी मुकाबले में चुनाव जीत गए, कांग्रेस दो टुकड़ों में टूट गई थी, इंदिरा के नेतृत्व वाली कांग्रेस को कांग्रेस(आर) कहा गया. ओल्ड गार्ड्स की कांग्रेस को कांग्रेस (ओ) कहा, जिसका नेतृत्व कर रहे थे के. कामराज।
उस समय इंदिरा के मन में सुखाडिय़ा के लिए जो नाराजगी पैदा हुई, कम ना हो सकी। 1971 में देश में लोकसभा के चुनाव हुए, इंदिरा के नेतृव वाली कांग्रेस (आर) को 352 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल हुआ. कांग्रेस (ओ) के खाते में आई महज 16 सीटें. राजस्थान में कांग्रेस (ओ) का खाता भी नहीं खुला. लेकिन कांग्रेस (आई) को मेवाड़ की तीन सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा। तब सुखाडिय़ा को मुख्यमंत्री बने 17 साल हो चुके थे. कांग्रेस के भीतर उनके खिलाफ खेमेबाजी तेज होने लगी, भारी दबाव बनाया गया और आखिर 9 जुलाई 1971 को सुखाडिय़ा ने इंदिरा गांधी के नाम इस्तीफा भेज दिया जिसे स्वीकार कर लिया गया। बाद में सुखाडिय़ा को राज्यपाल बनाकर कर्नाटक भेज दिया गया था।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो