तीन कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर आपने फिर से कानून बनाने की बात की थी, आपको लगता है, क्या इसकी जरूरत है?
कलराज मिश्र : यह बात बिल्कुल गलत है, हमने ऐसा कुछ नहीं कहा था। आप उस पूरी वार्ता को देख लीजिए। उसके बाद ही इस बारे में बात की जा सकती है।
कलराज मिश्र : यह बात बिल्कुल गलत है, हमने ऐसा कुछ नहीं कहा था। आप उस पूरी वार्ता को देख लीजिए। उसके बाद ही इस बारे में बात की जा सकती है।
आपको राज्यपाल बने दो वर्ष बीत चुके हैं, आप इस कार्यकाल के बारे में क्या कहना चाहेंगे? जवाब : एक वर्ष तो पूरा कोरोना की भेंट चढ़ गया, लेकिन इस दौरान भी हम लगातार काम करते रहे। राज्य के सभी विधायकों एवं सभी कलक्टरों से मैंने व्यक्तिगत बात करके वस्तुस्थिति जानी, जहां जरुरत थी, वहां सहायता भी पहुंचाई। तीन महीने में ही 18 जिलों का दौरा किया था, अगर कोरोना नहीं होता तो पूरे प्रदेश का दौरा कर चुका होता।
राज्य सरकार केन्द्र सरकार पर वैक्सीनेशन को लेकर लगातार आरोप लगा रही थी, इस बारे में आपका क्या कहना है?
कलराज मिश्र : यह विषय राजनीति से भी जुड़ा हुआ है, इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लगातार सम्पर्क में था और कोरोना महामारी को लेकर पूरी जानकारी लगातार ले रहा था।
कलराज मिश्र : यह विषय राजनीति से भी जुड़ा हुआ है, इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लगातार सम्पर्क में था और कोरोना महामारी को लेकर पूरी जानकारी लगातार ले रहा था।
आपके बयान व यात्राओं में सियासी संकेत होते हैं, आप सरकार की भी खिंचाई करने से नहीं चूकते हैं? कलराज मिश्र : नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। सरकार अपना काम कर रही है और हम अपना काम कर रहे हैं। खिंचाई जैसी कोई भी बात नहीं है, पर लोकतंत्र में जनहित सर्वोपरि है। जहां-जहां जरूरत होती है, वहां-वहां बोलता हूं पर लोकतंत्र की मर्यादाओं का सदैव ध्यान रखता हूं।
हाल ही में मुख्यमंत्री के छह सलाहकार नियुक्त किए जाने पर आपने सरकार से जवाब तलब किया है, इस पर आपका क्या कहना है?
कलराज मिश्र : आप ही तो कह रहे हैं सरकार से जवाब तलब किया है, सरकार का मंतव्य आने दीजिए, फिर आपको भी जवाब मिल जाएगा।
राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों में लगातार में दखलदांजी हो रही है, आपका क्या कहना है? कलराज मिश्र : हर विश्वविद्यालय के लिए एक सर्च कमेटी होती है, वह अपना काम करती है, मुझे तो तीन से पांच नाम दिए जाते हैं, उनमें से एक को राज्य सरकार की सलाह से चुनना होता है। राज्य सरकार की सहमति के उपरान्त ही मेरी ओर से कुलपति को नियुक्ति प्रदान की जाती है।