उदयपुर

राजस्‍थान और गुजरात में दिली नजदीकियां, पर राजनीतिक सोच जुदा-जुदा, ये साबित करते हैं विधानसभा चुनाव के आंकड़़े़े़े, देखें

सामाजिक-सांस्कृतिक व आध्यामिक संबंधों में है प्रगाढ़ता, दोनों ओर के मतदाताओं की राजनीतिक सोच में तालमेल नहीं

उदयपुरOct 31, 2017 / 12:35 pm

Sushil Kumar Singh

डॉ. सुशीलसिंह चौहान/उदयपुर . गुजरात और उसकी सीमा से सटे दक्षिण राजस्थान के गांवों-कस्बों व जिलों में रहने वाले लोगों के बीच बेटी व्यवहार, रिश्तेदारी, धार्मिक आस्था, व्यापार, बोली-चाली और संस्कृति से जुड़ी दिली नजदीकियां भले ही कितनी गहरे हों, लेकिन दोनों ओर की राजनीतिक सोच एक समान नहीं है। प्रदेश के बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर ? जिलों एवं गुजरात के साबरकांठा, बनासकांठा, पंचमहल , दाहोद जिलों के विधानसभा चुनाव के परिणाम तो यही दर्शाते हैं। गत 15 वर्षों में दोनों ही राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में सीटों की गणित पर गौर करें तो मतदाताओं की ओर से चुनी गई राजनीतिक पार्टियां कई बार अलग रही हैं। राजस्थान में हर पांच साल में कांग्रेस एवं भाजपा बारी-बारी से सत्ता में आती रही है। इसके विपरीत गुजरात और मध्यप्रदेश में गत 15 वर्षों से केवल भाजपा ही सरकार बनाने में सफल रही है। इन दोनों राज्यों से दक्षिण राजस्थान की स्थिति यह है कि सभी सांस्कृतिक संबंधों के बावजूद इनके निवासियों ने राजनीतिक दल के चुनाव के मामले में पड़ोसियों सा व्यवहार नहीं दर्शाया है।

उदयपुर संभाग की खेरवाड़ा, झाड़ोल व गोगुंदा विधानसभा क्षेत्रों की सीमाएं समीपवर्ती गुजरात के पालनपुर, खेड़ब्रह्मा, ईडर, मोड़ासा एवं हिम्मतनगर को छूती हैं। इसी तरह धानेरा, धराद, दांता, भीलोड़ा, झालोद, दाहोद, संतरामपुर विधानसभा क्षेत्र में हमारी संस्कृति से मिलता-जुलता असर लोगों में है। सीमावर्ती क्षेत्रों में पडऩे वाले गांवों में रिश्तेदारियां हैं। इसके अलावा आदिवासी इलाकों की जीवन शैली, संस्कृति, पर्व-त्योहार आदि अन्य कई समानताएं हैं। प्रदेश के लोग रोजगार की तलाश में गुजरात के लिए पलायन भी करते हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियों के चयन को लेकर दोनों प्रदेशों के सीमावर्ती जनजाति क्षेत्र के लोगों में तालमेल नहीं है।
 

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प्रदेश में अलग मेहनत
पिछले विधानसभा चुनाव के परिणामों एवं रुझानों से यही कह सकते हैं कि केवल गुजरात में सरकार बना लेने से राजस्थान के समीपवर्ती विधानसभा क्षेत्रों के प्रति निश्चिंत हो जाना कांग्रेस और भाजपा जैसे राजनीतिक संगठनों के लिए महंगा सौदा साबित हो सकता है। गौरतलब है कि दक्षिण राजस्थान की विधानसभा सीटों में बहुमत वाली पार्टी ही सरकार बनाने में सफल होती रही हैं।

विधानसभा चुनाव के तुलनात्मक आंकड़े

गुजरात राजस्थान
वर्ष- कांग्रेस -भाजपा- वर्ष -कांग्रेस -भाजपा
2002 -51 -121 -2003 -56 -120
2007- 59- 117 -2008- 96- 78
2012 -60 -116- 2013 -21 -163

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