उदयपुर में अब 70 वार्ड पर महापौर कोई भी बन सकता उदयपुर में नगर निगम के 55 वार्ड से बढ़ाकर 70 वार्ड कर दिए है। ऐसे में 70 पार्षद चुनकर निगम जाएंगे, बड़ी बात यह है कि इनमें से महापौर हो सकता है लेकिन सरकार के नए नियम के अनुसार बिना पार्षद बनने वाला भी महापौर का चुनाव लड़ सकता है। वैसे इस फैसले को लेकर कांग्रेस के अंदर ही अंदर विरोध शुरू हो गया है। विपक्ष के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, कुछ मंत्रियों और नेताओं ने विरोध किया है। सबका तर्क था कि पार्षद का चुनाव नहीं जीतना वाला ही महापौर बन जाएगा यह समझ से परे है।
कटारिया ने भी गहलोत-धारीवाल पर साधा था निशाना
उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के नगर निकाय चुनावों में हाइब्रिड फैसला सही नहीं कहने के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस गलत फैसले से अब जो तुर्रमखां होंगे वहीं महापौर बनेंगे। कटारिया ने शनिवार को मुंबई से जारी एक बयान में कहा कि प्रदेश सरकार ने नगर निकाय के चुनावों को लेकर जिस तरह से निर्णय लिए है और नियमों को मनमर्जी से बदल रह है मतलब यह तुगलकी फरमान है। कटारिया ने कहा कि पूरा देश राजस्थान की तरफ देख रहा है, लोग सोच रहे है कि प्रदेश में कैसे निर्णय हो रहे है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पायलट को इस फैसले का पता नहीं और वे कहते है फैसला ठीक नहीं है तो सवाल उठता है कि सरकार ने बिना कैबीनेट में चर्चा किए निर्णय ले कैसे लिए है? उन्होंने कहा कि गहलोत व धारीवाल ने मिलकर जो निर्णय पिछले दिनों से किए है उससे वे प्रदेश की छवि को बहुत नीचे ले गए है, अविवेकपूर्ण निर्णय से बहुत हंसी उड़वा रहे है। कटारिया ने कहा कि बिना पार्षद बने महापौर बनने के फैसले से भाजपा हो या कांग्रेस दोनों के जमीन से जुड़े वर्कर तो कभी महापौर नहीं बन सकते है, अब महापौर खरीद-फरोख्त करने वाला ही बनेगा, कटारिया ने साफ शब्दों में कहा कि जो तुर्रमखां होगा वहीं महापौर बनेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इतनी पाबंदी तो रखनी चाहिए कि महापौर का चुनाव पार्षद ही लड़ सकेगा।
उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के नगर निकाय चुनावों में हाइब्रिड फैसला सही नहीं कहने के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस गलत फैसले से अब जो तुर्रमखां होंगे वहीं महापौर बनेंगे। कटारिया ने शनिवार को मुंबई से जारी एक बयान में कहा कि प्रदेश सरकार ने नगर निकाय के चुनावों को लेकर जिस तरह से निर्णय लिए है और नियमों को मनमर्जी से बदल रह है मतलब यह तुगलकी फरमान है। कटारिया ने कहा कि पूरा देश राजस्थान की तरफ देख रहा है, लोग सोच रहे है कि प्रदेश में कैसे निर्णय हो रहे है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पायलट को इस फैसले का पता नहीं और वे कहते है फैसला ठीक नहीं है तो सवाल उठता है कि सरकार ने बिना कैबीनेट में चर्चा किए निर्णय ले कैसे लिए है? उन्होंने कहा कि गहलोत व धारीवाल ने मिलकर जो निर्णय पिछले दिनों से किए है उससे वे प्रदेश की छवि को बहुत नीचे ले गए है, अविवेकपूर्ण निर्णय से बहुत हंसी उड़वा रहे है। कटारिया ने कहा कि बिना पार्षद बने महापौर बनने के फैसले से भाजपा हो या कांग्रेस दोनों के जमीन से जुड़े वर्कर तो कभी महापौर नहीं बन सकते है, अब महापौर खरीद-फरोख्त करने वाला ही बनेगा, कटारिया ने साफ शब्दों में कहा कि जो तुर्रमखां होगा वहीं महापौर बनेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इतनी पाबंदी तो रखनी चाहिए कि महापौर का चुनाव पार्षद ही लड़ सकेगा।