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बस पर किसी का बस नहीं…मनमर्जी से कहीं भी दौड़ाई जा रही है

locationउदयपुरPublished: Nov 25, 2017 05:46:27 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

स्कूली बच्चों के ऑटो को लोक परिवहन सेवा की बस ने लिया था चपेट में, बस के परमिट से ओहदेदार बेखबर

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उदयपुर . स्कूली बच्चों से भरे ऑटो को शुक्रवार सुबह चेतक सर्किल के समीप चपेट में लेने वाली राजस्थान लोक परिवहन सेवा की बस के रूट परमिट को लेकर बड़े ओहदेदार हाथ झटकते दिखाई दिए। वाहनों का रजिस्ट्रेशन करने वाले परिवहन विभाग ने बस के शहरी सीमा में प्रवेश पर प्रतिबंध को लेकर जवाब देना तक मुनासिब नहीं समझा तो यातायात पुलिस के ओहदेदार संबंधित बसों को लेकर सरकार या विभाग से स्पष्ट गाइड-लाइन को लेकर अनभिज्ञता जताते दिखाई दिए। मामला तब और गंभीर हो गया जब अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) सुभाषचंद शर्मा ने यह कहते हुए बात खत्म की कि दोनों ही विभाग जिम्मेदारी को लेकर गलत जवाब दे रहे हैं। सवाल यह है कि उदियापोल से उठने वाली निम्बाहेड़ा (बड़ीसादड़ी) रूट की बस चेतक सर्किल के समीप मोहता पार्क तक कैसे पहुंची। पुलिस की कार्रवाई में इन तथ्यों को शामिल नहीं किया गया।

नियमों की अंधेरगर्दी
प्रदेश परिवहन विभाग ने 29 जून 2017 को जारी परिपत्र के अनुसार बाल वाहिनी एवं स्कूल में सेवाएं देने वाले वाहनों को लेकर सख्तनियम लागू कर रखे हैं, लेकिन कानून की पालना सुनिश्चित करने वाले इन कायदों को लेकर आंखों पर पट्टी बांधे हुए हैं। नियमों के तहत स्कूल बस का रंग सुनहरा पीला होना चाहिए। बस के आगे और पीछे स्कूल बस लिखा होना चाहिए। परिवहन में प्रयुक्त ऑटो रिक्शा के आगे और पीछे ‘ऑन स्कूल ड्यूटी’ लिखा होना अनिवार्य है। बस/वैन/ कैब या ऑटो के पीछे स्कूल का नाम एवं फोन नंबर की अनिवार्यता तय है। वाहनों का संचालन करने वाले वाहन चालकों को कार्य में 5 वर्ष के अनुभव की अनिवार्यता भी तय हैं। ऐसी बस एवं अन्य प्रकार के वाहनों में फस्ट एड बॉक्स एवं अग्निशामक यंत्र की आवश्यकता तय है। चालक के पास वाली सीट पर 14 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को बिठाना भी प्रतिबंधित है। इसी तरह स्कूलों को पाबंद किया हुआ है कि वह ऑटो की बजाय स्कूली बच्चों के लिए बस की प्राथमिकता तय करें।
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एक बार नेत्र जांच
परिवहन विभाग ने सभी शिक्षा संस्थानों को वर्ष में एक बार चिकित्सा शिविर लगाकर वाहन चालकों की नेत्र एवं स्वास्थ्य जांच करना सुनिश्चित किया हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार जिले में करीब 90 फीसदी स्कूलों में इन कायदों का ध्यान नहीं रखा जाता है। कायदा कहता है कि प्रवर्तन एजेंसी, पुलिस एवं परिवहन विभाग नियमित तौर पर अपने स्तर पर संयुक्त अभियान के माध्यम से बाल वाहिनी से जुड़े वाहनों की जांच कराएगी। इसकी त्रैमासिक रिपोर्ट समिति की ओर से संधारित की जाएगी।
स्पष्ट नहीं रूट जानकारी
लोक परिवहन की बस सेवाओं को लेकर रूट एवं शहरी सीमा में प्रवेश पर प्रतिबंध संबंधी कोई गाइड-लाइन हमारे पास नहीं है। बस रूट से हटकर शहर में आई है तो वायलेशन एक्ट के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। हमारी ओर से नियमित तौर पर स्कूलों से संपर्क किया जाता है।
भैयालाल, प्रभारी, यातायात पुलिस

जिम्मेदार एजेंसी की ड्यूटी
विभाग का काम वाहनों का रजिस्ट्रेशन कर उन्हें रूट परमिट देना है। शहर में कौन से वाहन को जाना प्रतिबंधित है या फिर उनका कौन से बस स्टॉप तय है कि पालना कराना यातायात पुलिस की जिम्मेदारी में आता है। गाइड लाइन के मुताबिक स्कूलों को बच्चों को मामले में गंभीरता बरतनी चाहिए। मन्नालाल रावत, आरटीओ, परिवहन विभाग उदयपुर

गलत है तरीका
बस एवं वाहनों के संचालन के साथ रूट की जानकारी रखने का काम आरटीओ और पुलिस का है। वह उनकी जिम्मेदारी से कैसे इनकार कर सकते हैं। उनकी ओर से दिया गया जवाब गलत है।
सुभाषचंद शर्मा, एडीएम (शहर), उदयपुर
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