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मंदी ने की मार्बल की चमक फीकी

locationउदयपुरPublished: Nov 25, 2021 10:14:55 am

Submitted by:

Sandeep Purohit

राजस्थान में मार्बल व खनन उद्योग कोरोना के बाद से नहीं पकड़ पाया रफ्तार, रॉयल्टी, जीएसटी, पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों से बुरी तरह से प्रभावित हुआ व्यवसाय, इंटरनेशनल मार्केट में नहीं हो रहे बड़े सौदे, देश में कम जा रहा माल, राजस्थान में व्यवसाय से जुड़े 15 से 20 लाख लोग प्रभावित

संदीप पुरोहित / उदयपुर.

दक्षिणी राजस्थान की आर्थिक लाइफ लाइन माना जाने वाला मार्बल व खनन उद्योग कोरोना के बाद से रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। इंटरनेशनल मार्केट में आए उतार-चढ़ाव से माल बाहर नहीं गया तो देश में पेट्रोल-डीजल, बिजली व माल भाड़े की बढ़ोतरी ने इस व्यवसाय की कमर तोड़ दी है। राज्य सरकार की मुख्य आय का स्रोत होने के बावजूद रॉयल्टी की बढ़ी दरों ने इस उद्योग में और कठिनाई पैदा कर दी है। खनन के मुकाबले माल की मांग आधी होने से यह व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। मार्बल में बाहर के बड़े सौदे नहीं हो पा रहे हैं, वही इस काम धंधे में लगे कई श्रमिक तो बेरोजगार बैठे हंै। राजस्थान में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से इस व्यवसाय से जुड़े 15 से 20 लाख लोग प्रभावित हुए है।
राजस्थान में मुख्यत: उदयपुर, राजसमंद, अजमेर, किशनगढ़, जालोर, देवगढ़ में सफेद व ग्रीन मार्बल की मंडियां व गैंग सा है। यहां से देश-विदेश में माल बाहर जाता है। कोरोना के बाद से इंटरनेशनल बाजार में उतार-चढ़ाव के साथ ही कंटेनर की दर तीन से चार गुना बढऩे से अभी बाहरी सौदे लगभग बहुत कम हो रहे हैं। देश में भी यह व्यवसाय अभी आर्थिक मंदी से जूझ रहा है।
मंदी के प्रमुख कारण
– एक दशक से टाइल्स का चलन

– 18 प्रतिशत जीएसटी, पहले सिर्फ 5 प्रतिशत वेट था।
-बढ़ी हुई रॉयल्टी

-राजस्थान में पेट्रोल-डीजल व बिजली के बढ़े हुए दाम


उद्योग एक नजर
– इस व्यवसाय से राज्य में जुड़े व्यवसायी-करीब 4 लाख
-उद्योग से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोग- करीब 15 लाख

-राजस्थान में कृषि के बाद सर्वाधिक रोजगार देने वाला उद्योग
-राजस्थान में राजस्व हिस्सेदारी-48 प्रतिशत
इनका कहना है
राजस्थान की पहचान मार्बल एवं ग्रेनाइट के उत्पादन के रूप से पूरे देश एवं विदेश में है। मार्बल उद्योग से लाखों व्यवसायी तथा श्रमिक इस व्यवसाय से जुड़े हुए हंै। पेट्रोल-डीजल, बिजली, बढ़ी रॉयल्टी व जीएसटी से यह व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
पंकज गंगावत, अध्यक्ष, उदयपुर मार्बल एसोसिएशन

कोरोना महामारी से यह व्यवसाय पहले ही बर्बाद हो चुका है। मार्बल उद्योगपति इस उद्योग को संकट से उबारने के लिए कई बार सरकारी सहायता की मांग कर चुके हैं। सभी पहलुओं से अवगत होने के बावजूद राज्य सरकार ने रॉयल्टी नहीं घटाई। जीएसटी सर्वाधिक होने से यह व्यवसाय अभी आर्थिक मंदी झेल रहा है।
राजेश खमेसरा, अध्यक्ष, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर समिति
मार्बल व्यवसाय आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। इस व्यवसाय को उबारने के लिए सरकार को मदद करनी चाहिए। इस व्यवसाय से लाखों लोग जुड़े हुए हैं। सरकार रॉयल्टी व जीएसटी घटाकर राहत प्रदान करे।
खिंवसिंह राजपूत, मार्बल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष

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