राजस्थान में मुख्यत: उदयपुर, राजसमंद, अजमेर, किशनगढ़, जालोर, देवगढ़ में सफेद व ग्रीन मार्बल की मंडियां व गैंग सा है। यहां से देश-विदेश में माल बाहर जाता है। कोरोना के बाद से इंटरनेशनल बाजार में उतार-चढ़ाव के साथ ही कंटेनर की दर तीन से चार गुना बढऩे से अभी बाहरी सौदे लगभग बहुत कम हो रहे हैं। देश में भी यह व्यवसाय अभी आर्थिक मंदी से जूझ रहा है।
मंदी के प्रमुख कारण
– एक दशक से टाइल्स का चलन – 18 प्रतिशत जीएसटी, पहले सिर्फ 5 प्रतिशत वेट था।
-बढ़ी हुई रॉयल्टी -राजस्थान में पेट्रोल-डीजल व बिजली के बढ़े हुए दाम
उद्योग एक नजर
– इस व्यवसाय से राज्य में जुड़े व्यवसायी-करीब 4 लाख
-उद्योग से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोग- करीब 15 लाख -राजस्थान में कृषि के बाद सर्वाधिक रोजगार देने वाला उद्योग
-राजस्थान में राजस्व हिस्सेदारी-48 प्रतिशत
इनका कहना है
राजस्थान की पहचान मार्बल एवं ग्रेनाइट के उत्पादन के रूप से पूरे देश एवं विदेश में है। मार्बल उद्योग से लाखों व्यवसायी तथा श्रमिक इस व्यवसाय से जुड़े हुए हंै। पेट्रोल-डीजल, बिजली, बढ़ी रॉयल्टी व जीएसटी से यह व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
पंकज गंगावत, अध्यक्ष, उदयपुर मार्बल एसोसिएशन कोरोना महामारी से यह व्यवसाय पहले ही बर्बाद हो चुका है। मार्बल उद्योगपति इस उद्योग को संकट से उबारने के लिए कई बार सरकारी सहायता की मांग कर चुके हैं। सभी पहलुओं से अवगत होने के बावजूद राज्य सरकार ने रॉयल्टी नहीं घटाई। जीएसटी सर्वाधिक होने से यह व्यवसाय अभी आर्थिक मंदी झेल रहा है।
राजेश खमेसरा, अध्यक्ष, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर समिति
मार्बल व्यवसाय आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। इस व्यवसाय को उबारने के लिए सरकार को मदद करनी चाहिए। इस व्यवसाय से लाखों लोग जुड़े हुए हैं। सरकार रॉयल्टी व जीएसटी घटाकर राहत प्रदान करे।
खिंवसिंह राजपूत, मार्बल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष