- बडग़ांव पंचायत समिति की भुवाणा ग्राम पंचायत bhuvana gram panchyat की ये दुकानें उदयपुर शहर से नाथद्वारा रोड पर सेलीब्रेशन मॉल के थोड़ा आगे है। ग्राम पंचायत और चुंगी नाके के पास इन दुकानों को किराया पर दे रखा है लेकिन किराया पंचायत को नहीं मिल रहा है। वैसे तो अधिकारियों को सब पता है लेकिन सब मौन साधे है। पूर्व में पंचायत ने औपचारिकता करते हुए कुछ नोटिस भी दिए लेकिन उसका फॉलोअप किया ही नहीं। मामले में कोई कोर्ट केस नहीं चल रहा है लेकिन पंचायतीराज विभाग ने कोई सख्ती नहीं दिखाई।
इन बिन्दुओं पर कई सवाल उठते हैं
दुकानें किसको किराए पर दे रखी है, किसने दी है, कब से दी है, अभी किसके पास है? यह रिपोर्ट क्यों नहीं तैयार की। - जहाजरानी विभाग के नाम की आड़ में किराया नहीं देने रहे हैं यह बात समझ से परे है, इतने सालों तक इसका निस्तारण रिकॉर्ड में शुद्धिकरण कर क्यों नहीं किया?
- जब दुकानदारों को नोटिस दिए गए और पालना नहीं हुई तो उसके बाद संबंधितों ने पुलिस में रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज कराई
- संपत्ति पर ग्राम पंचायत ने अपने बोर्ड तक क्यों नहीं लगा रखे
- ग्राम विकास अधिकारी ने कार्रवाई क्यों नहीं की? बीडीओ से लेकर जिला परिषद सीइओ को गंभीरता से क्यों नहीं बताया
इनका कहना है....
मैने इसके बारे में जानकारी जुटाई तो यह सामने आया कि पंचायत ने ये 11 दुकानें बनाई है और किराया दे रखी है। ऐसा बताया गया कि वर्ष 2013-14 के बाद किराया नहीं दे रहे है। पहले नोटिस भी दिए है, कोर्ट में कोई मामला नहीं चल रहा है। पूरे मामले को देखते है।
- नरेन्द्र सिंह झाला, बीडीओ बडग़ांव पंस.
- मोहनलाल डांगी, सरपंच, भुवाणा पंचायत .....पत्रिका व्यू..... पंचायतीराज को तत्काल एक्शन लेना चाहिए प्रदेश में पंचायतों की आय बढ़ाने के लिए सरकार कार्यशालाएं कराती है लेकिन यहां सामने अपनी संपत्ति से उपंचायत को पैसा नहीं मिल रहा है। भुवाणा की ये दुकानें तो एक उदाहरण, ऐसी उदयपुर जिले की सभी पंचायतों की संपत्तियां है उनकी सर्वे कराकर उनको चिन्हित करने का अभियान शुरू करना चाहिए जिसमें उनकी वर्तमान स्थिति, वर्तमान में हो रही आय या नहीं हो रही है तो आय कितनी हो सकती है इसकी रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए। ग्राम पंचायतों की तिजोरी में ये राशि आएगी तो बड़ी मदद मिलेगी। जिले के आला अफसरों को भुवाणा मामले की पूरी जांच बाहर के किसी अधिकारी से कराकर पूरी स्थिति साफ करनी चाहिए। जिला परिषद को पूरे जिले में ऐसी संपत्तियों को किराया देने के नियम-शर्तें व किराया की गणना की गाइडलाइन तैयार करना चाहिए ताकि एकरूपता भी रहेगी और विभाग को फायदा ही होगा। ऐसा होगा तो संबंधित राजस्व पंचायतों के खाते में जाएगा और पंचायतें आर्थिक रूप से मजबूत होगी।