UDAIPUR – महिलाकर्मी को सचिवालय में फर्जी आदेश फाइल में लगाने से पहले पकड़ा
छह माह पहले सेवानिवृत्त हुई तब 75 हजार पगार
UDAIPUR – महिलाकर्मी को सचिवालय में फर्जी आदेश फाइल में लगाने से पहले पकड़ा
उदयपुर. ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग (Rajasthan Panchayati Raj) के शासन उप सचिव के नाम से उदयपुर के झाड़ोल क्षेत्र में संविदा पर ग्राम विकास अधिकारी के पद पर लगने का एक महिला ने फर्जी आदेश निकाल झाड़ोल बीडीओ से ज्वाईनिंग भी करवा दी लेकिन जिला परिषद सीईओ ने इसे पकड़ लिया। जांच चल ही रही थी इस बीच मंगलवार को महिला ने जयपुर सचिवालय में जाकर फर्जी दस्तावेज लगाने की कोशिश कर रही थी जिसे वहां बाबूओं ने पकड़ लिया। बाद में जयपुर के अशोकनगर पुलिस थाने में धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पंचायतीराज विभाग से अशोकनगर पुलिस थाने को रिपोर्ट दी गई कि उदयपुर के झाड़ोल क्षेत्र में फर्जी आदेश निकाल कर अंजना माथुर नामक महिला ने स्वयं को संविदा पर ग्राम विकास अधिकारी लगा दिया। पुलिस के अनुसार जब झाड़ोल व उदयपुर में आदेश के फर्जी होने की बात आई तो महिला ने जयपुर आकर सचिवालय में मंगलवार को आदेश सचिवालय की फाइल में लगाने की कोशिश कर रही थी, इस बीच बाबूओं को शंका हुई तो उन्होंने उसे उसके प्रयास के दौरान ही पकड़ लिया। बाद में संयुक्त सचिव दिनेश कुमार जांगिड़ को बताया। जांगिड़ से जब पत्रिका ने पूछा तो बताया कि वह उस आदेश को हमारी फाइल में लगाने की योजना बनाकर ही आई और जैसे ही उसने यह कोशिश की तो पकड़ में आ गई। रात को अशोकनगर पुलिस ने अंजना माथुर के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया।
ऐसे निकाला फर्जी आदेश
हुआ ऐसे कि 23 जनवरी 2019 को ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग का आदेश क्रमांक 260 जारी हुआ जिसमें सेवानिवृत अंजना माथुर को नियमित कर्मचारी उपलब्ध होने तक आगामी आदेशों तक उदयपुर जिले की झाड़ोल पंचायत समिति के ग्राम पंचायत झाड़ोल व नेताजी का बारा में संविदा ग्राम विकास अधिकारी के पद पर लगाया जाता है। आदेश शासन उप सचिव (प्रशा-2) के नाम से जारी किया गया।
झाड़ोल बीडीओ ने ज्वाईनिंग करवा दी
आदेश लेकर अंजना माथुर झाड़ोल बीडीओ सोहन सिंह राणावत के पास गई, राणावत ने आदेश के तहत 30 जनवरी 2019 को आदेश क्रमांक 1689 निकाला जिसमें शर्तों के आधार पर संविदा नियुक्ति प्रदान करने के साथ ही ग्राम विकास अधिकारी को निर्देश दिए कि माथुर को सात दिन में चार्ज दिया जाए। एक और सवाल यह सामने आया कि बीडीओ ने आदेश 30 जनवरी को निकाला और अंजना ने तो 29 जनवरी की मध्यान्ह ही ज्वाईन कर लिया।
सीईओ चौधरी ने ऐसे पकड़ा
जिला परिषद सीईओ कमर चौधरी तक यह आदेश पहुंचा तो उन्होंने आदेश देखते ही पहला सवाल खड़ा किया कि विभाग में शासन उप सचिव का पद ही नहीं है। चौधरी को शंका हुई तो उन्होंने झाड़ोल बीडीओ से पूछा और उनको भी बताया। बाद में चौधरी ने अपने स्तर पर जांच शुरू की और जयपुर मुख्यालय को भी बताया। इस बीच 31 जनवरी को ही बीडीओ ने तत्काल एक आदेश निकाला और बैंकों को सूचित किया कि झाड़ोल व नेताजी का बारा में संविदा पर लगाई ग्राम विकास अधिकारी अंजना माथुर एवं सरपंच के हस्ताक्षर के लेन-देन की जो स्वीकृति जारी की गई थी उसे तत्काल प्रभाव से अग्रिम आदेश तक रोक लगाई जाती है। उसकी प्रति बैंक शाखा प्रबधंक व सीईओ जिला परिषद को भेजी।
छह माह पहले सेवानिवृत्त हुई तब 75 हजार पगार
उदयपुर निवासी अंजना ग्राम अधिकारी पद से 6 माह पहले सेवानिवृत हुई थी, तब उसकी पगार 75 हजार रुपए थी, मोटी पेंशन भी मिल रही थी लेकिन लालच में उसने फर्जीवाड़ा कर डाला। पुलिस ने बताया कि आरोपी महिला के खिलाफ सचिवालय में पंचायत राज संस्थान विभाग के संयुक्त सचिव दिनेश जांगिड़ ने मामला दर्ज कराया है। मंगलवार को जब महिला जयपुर स्थित सचिवालय में विभाग के रिकॉर्ड की फाइल में फर्जी आदेश की प्रतिलिपि लगाने में जुटी थी, पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि सचिवालय के रिकॉर्ड में पत्र की प्रतिलिपि लगाने के बाद सूचना के अधिकार के तहत उसकी नियुक्ति संबंधी जानकारी निकलवाती। सूचना के अधिकार में रिकॉर्ड मिलने पर उसकी नियुक्ति के पुख्ता सबूत हो जाते। महिला को अशोकनगर थाना पुलिस ने जांच के बाद गिरफ्तार कर लिया।
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