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उदयपुर जिले में ‘बागी’ पहले भी बिगाड़ चुके हैं चुनावी गणित, जानिए कब क्या हुआ था….

locationउदयपुरPublished: Dec 02, 2018 03:50:53 pm

www.patrika.com/rajasthan-news

उदयपुर . जिले में गत विधानसभा चुनाव में बागी प्रत्याशी कई सीटों पर भारी पड़े। वे जीत की गणित का बिगाडऩे में भी पीछे नहीं रहे। बागी के लिहाज से गत विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो जिले की वल्लभनगर प्रदेशभर में हॉट सीट रही।

वल्लभनगर
वल्लभनगर से वर्ष 2003 में भाजपा से विधायक चुने गए रणधीरसिंह भींडर ने गत चुनाव में पार्टी का टिकट कटने पर निर्दलीय खड़े होकर चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों को हार का आईना दिखाया। वर्ष 2008 में भी वे भाजपा प्रत्याशी थे, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी गजेन्द्रसिंह शक्तावत से हार गए थे। वर्ष 2013 में उन्होंने 74,8,99 वोट हासिल किए थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के गजेन्द्रसिंह शक्तावत को 61,732 वोट मिले।
खेरवाड़ा
1985 में जनता दल और भाजपा के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था। खेरवाड़ा सीट जनता दल के खाते में गई थी, तब रूपलाल परमार कांग्रेस और मांगीलाल खराड़ी जनता दल के प्रत्याशी थे। तब दयाराम परमार निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतरे। तब भाजपा ने खुद की सीट नहीं होने से अन्य प्रत्याशियों को हराने के लिए परमार का साथ दिया था, उस समय भाजपा ने परमार को पूरा समर्थन देते हुए जीत दिलाई थी, जब वे 215 वोट से जीते और विधायक बने।
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सलूम्बर
सलूम्बर सीट से वर्ष 2008 में कांग्रेस के बागी दुर्गाप्रसाद जीत तो नहीं पाए लेकिन जीत-हार के अन्तर को जरूर प्रभावित कर गए। तब कांग्रेस के रघुवीर मीणा जीते थे, जिन्हें 65140 वोट मिले थे। दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के नरेन्द्रकुमार को 41787 वोट मिले थे। कांग्रेस के बागी दुर्गाप्रसाद को 6081 वोट मिले थे। वर्ष 2013 में दुर्गाप्रसाद ने भाजपा में शामिल हो गए। इस बार सराड़ा की पूर्व प्रधान रेशमा ने कांग्रेस से बगावत की है।

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