खेरवाड़ा
1985 में जनता दल और भाजपा के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था। खेरवाड़ा सीट जनता दल के खाते में गई थी, तब रूपलाल परमार कांग्रेस और मांगीलाल खराड़ी जनता दल के प्रत्याशी थे। तब दयाराम परमार निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतरे। तब भाजपा ने खुद की सीट नहीं होने से अन्य प्रत्याशियों को हराने के लिए परमार का साथ दिया था, उस समय भाजपा ने परमार को पूरा समर्थन देते हुए जीत दिलाई थी, जब वे 215 वोट से जीते और विधायक बने।
1985 में जनता दल और भाजपा के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था। खेरवाड़ा सीट जनता दल के खाते में गई थी, तब रूपलाल परमार कांग्रेस और मांगीलाल खराड़ी जनता दल के प्रत्याशी थे। तब दयाराम परमार निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतरे। तब भाजपा ने खुद की सीट नहीं होने से अन्य प्रत्याशियों को हराने के लिए परमार का साथ दिया था, उस समय भाजपा ने परमार को पूरा समर्थन देते हुए जीत दिलाई थी, जब वे 215 वोट से जीते और विधायक बने।
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सलूम्बर सीट से वर्ष 2008 में कांग्रेस के बागी दुर्गाप्रसाद जीत तो नहीं पाए लेकिन जीत-हार के अन्तर को जरूर प्रभावित कर गए। तब कांग्रेस के रघुवीर मीणा जीते थे, जिन्हें 65140 वोट मिले थे। दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के नरेन्द्रकुमार को 41787 वोट मिले थे। कांग्रेस के बागी दुर्गाप्रसाद को 6081 वोट मिले थे। वर्ष 2013 में दुर्गाप्रसाद ने भाजपा में शामिल हो गए। इस बार सराड़ा की पूर्व प्रधान रेशमा ने कांग्रेस से बगावत की है।
सलूम्बर सीट से वर्ष 2008 में कांग्रेस के बागी दुर्गाप्रसाद जीत तो नहीं पाए लेकिन जीत-हार के अन्तर को जरूर प्रभावित कर गए। तब कांग्रेस के रघुवीर मीणा जीते थे, जिन्हें 65140 वोट मिले थे। दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के नरेन्द्रकुमार को 41787 वोट मिले थे। कांग्रेस के बागी दुर्गाप्रसाद को 6081 वोट मिले थे। वर्ष 2013 में दुर्गाप्रसाद ने भाजपा में शामिल हो गए। इस बार सराड़ा की पूर्व प्रधान रेशमा ने कांग्रेस से बगावत की है।