पत्रिका से दीप्ति की विशेष बातचीत….
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सवाल: आपकी मम्मी किरण माहेश्वरी के निधन से पहले आपने कभी राजनीति में आने का सोचा था ?
जवाब- नहीं कभी भी राजनीति में आने का नहींं सोचा था, एक स्वयंसेवी संगठन के माध्यम से जरूर मैं समाज सेवा के कार्यों से जुड़ी रही। मम्मी के काम से अलग ये हमेशा से मन में था कि लोगों के लिए हमेशा कुछ ना कुछ किया जाए, वो समाजसेवा का काम अब भी जारी है।
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सवाल: क्या आप अब राजनीति में आने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, हाल में आपने निकाय चुनाव में राजसमन्द में चुनावी क्षेत्र का दौरा भी किया था ?
जवाब: राजसमन्द मेरे लिए कभी भी चुनावी या राजनीतिक क्षेत्र नहीं रहा है। राजसमन्द मेरा बड़ा परिवार है, जो मम्मी हमारे लिए छोड़ गई है। मैं वहां के लोगों का दु:ख अपना दु:ख मानती हूं।
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सवाल: राजसमन्द नगर परिषद में कांग्रेस का बोर्ड बना है ? आने वाले दिनों में इस तरह का माहौल आप स्वयं के लिए कितनी बड़ चुनौती मानती हैं।
जवाब: नगर निकाय चुनाव में भले ही कांग्रेस का बोर्ड बना हो, लेकिन मेरी नजर में ये कांग्रेस की जीत कतई नहीं है। वोटों का अंतर बेहद कम रहा है। छह या सात वार्ड ऐसे है जहां 7, 13 या 20 या 40 वोट तक का अंतर बडा नहीं कहा जा सकता। इससे यह नहीं कह सकते कि राजसमन्द की जनता कांग्रेस की ओर जा रही है। परिवार का बड़ा नहीं होने यानी मम्मी के नहीं होने का असर रहा है, उनके नहीं होने से यह नुकसान हुआ है, जिसे मिस मैनेजमेंट कहा जाएगा। हर घर में मम्मी का इतना जुड़ाव था, कि लोग घर-घर ये ही कहते हैं कि आप हमारी छोटी बहन हैं, वह हमारी मां थी, उनका जाना हमारी पारिवारिक क्षति है।
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सवाल: राजसमन्द विधानसभा से यदि भाजपा आपको उप चुनाव में टिकट देती है तो आपके सामने कौन-कौनसी चुनौती मानती हैं, क्या कार्यकर्ता आपके साथ है या कोई खींचतान बनी हुई है?
जवाब: निस्सदेंह परिवार को एक करने की जरूरत है, लेकिन बिखराव नहीं है, सभी एक ही है, थोड़ा बहुत तो सभी जगह चलता रहता है। भाजपा हर बार परिवार की तरह संयुक्त रही है, आगे भी मिलकर कदम बढ़ाएंगे। हमारे सामने कोई चुनौती नहीं है।
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सवाल: मम्मी के कौन कौन से अधूरे काम आप पूरा करना चाहेंगी?
जवाब: मम्मी के अधूरे काम पूरे करने हैं। मम्मी मारवाड़-मेवाड़ रेलवे लाइन को ब्रॉडगेज बनाना चाहती थी, राजसमन्द में उदयपुर की तरह पर्यटन क्षेत्र विकसित करने है। देश भर में जहां-जहां घूमने गए, वहां से विजन लेकर आते और इस तरह के कार्यों की प्लानिंग करते थे। राजसमन्द में अन्नपूर्णा मंदिर का विकास प्लान के अनुरूप करवाया था, इसके अलावा अधूरे कार्यों में राजसमंद में मेडिकल कॉलेज खुलवाने का लक्ष्य भी था। राजसमन्द झील के लिए कुछ योजनाएं थी, जो अधूरी रही।
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सवाल: राजसमन्द सीट पर कांग्रेस भी मजबूत प्रत्याशी को टिकट देगी। इस सीट पर कद्दावर नेताओं की नजर है, कैसे पार पाएंगी ?
जवाब: जनता वहां कांग्रेस की हकीकत जानती है, भाजपा ने वहां कितना विकास करवाया है, वह लोग जानते है, वहां जो मंत्री जा रहे है, वह यह कह रहे हैं कि हमें आशीर्वाद मिलेगा तब काम करेंगे, ऐसे में लोग उन पर भरोसा कैसे करें। कांग्रेस हमारे लिए कोई चुनौती नहीं है।
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सवाल: टिकट मिलता है तो वंशवाद जैसे हमलों से कैसे लड़ेगी ?
जवाब: मम्मी के होने पर कभी हमें आगे लाने का प्रयास नहीं किया, अब वो नहीं है, तो पीछे रहे परिवार को संभालना वंशवाद नहीं।
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सवाल: आपकी मम्मी किरण माहेश्वरी के निधन से पहले आपने कभी राजनीति में आने का सोचा था ?
जवाब- नहीं कभी भी राजनीति में आने का नहींं सोचा था, एक स्वयंसेवी संगठन के माध्यम से जरूर मैं समाज सेवा के कार्यों से जुड़ी रही। मम्मी के काम से अलग ये हमेशा से मन में था कि लोगों के लिए हमेशा कुछ ना कुछ किया जाए, वो समाजसेवा का काम अब भी जारी है।
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सवाल: क्या आप अब राजनीति में आने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, हाल में आपने निकाय चुनाव में राजसमन्द में चुनावी क्षेत्र का दौरा भी किया था ?
जवाब: राजसमन्द मेरे लिए कभी भी चुनावी या राजनीतिक क्षेत्र नहीं रहा है। राजसमन्द मेरा बड़ा परिवार है, जो मम्मी हमारे लिए छोड़ गई है। मैं वहां के लोगों का दु:ख अपना दु:ख मानती हूं।
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सवाल: राजसमन्द नगर परिषद में कांग्रेस का बोर्ड बना है ? आने वाले दिनों में इस तरह का माहौल आप स्वयं के लिए कितनी बड़ चुनौती मानती हैं।
जवाब: नगर निकाय चुनाव में भले ही कांग्रेस का बोर्ड बना हो, लेकिन मेरी नजर में ये कांग्रेस की जीत कतई नहीं है। वोटों का अंतर बेहद कम रहा है। छह या सात वार्ड ऐसे है जहां 7, 13 या 20 या 40 वोट तक का अंतर बडा नहीं कहा जा सकता। इससे यह नहीं कह सकते कि राजसमन्द की जनता कांग्रेस की ओर जा रही है। परिवार का बड़ा नहीं होने यानी मम्मी के नहीं होने का असर रहा है, उनके नहीं होने से यह नुकसान हुआ है, जिसे मिस मैनेजमेंट कहा जाएगा। हर घर में मम्मी का इतना जुड़ाव था, कि लोग घर-घर ये ही कहते हैं कि आप हमारी छोटी बहन हैं, वह हमारी मां थी, उनका जाना हमारी पारिवारिक क्षति है।
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सवाल: राजसमन्द विधानसभा से यदि भाजपा आपको उप चुनाव में टिकट देती है तो आपके सामने कौन-कौनसी चुनौती मानती हैं, क्या कार्यकर्ता आपके साथ है या कोई खींचतान बनी हुई है?
जवाब: निस्सदेंह परिवार को एक करने की जरूरत है, लेकिन बिखराव नहीं है, सभी एक ही है, थोड़ा बहुत तो सभी जगह चलता रहता है। भाजपा हर बार परिवार की तरह संयुक्त रही है, आगे भी मिलकर कदम बढ़ाएंगे। हमारे सामने कोई चुनौती नहीं है।
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सवाल: मम्मी के कौन कौन से अधूरे काम आप पूरा करना चाहेंगी?
जवाब: मम्मी के अधूरे काम पूरे करने हैं। मम्मी मारवाड़-मेवाड़ रेलवे लाइन को ब्रॉडगेज बनाना चाहती थी, राजसमन्द में उदयपुर की तरह पर्यटन क्षेत्र विकसित करने है। देश भर में जहां-जहां घूमने गए, वहां से विजन लेकर आते और इस तरह के कार्यों की प्लानिंग करते थे। राजसमन्द में अन्नपूर्णा मंदिर का विकास प्लान के अनुरूप करवाया था, इसके अलावा अधूरे कार्यों में राजसमंद में मेडिकल कॉलेज खुलवाने का लक्ष्य भी था। राजसमन्द झील के लिए कुछ योजनाएं थी, जो अधूरी रही।
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सवाल: राजसमन्द सीट पर कांग्रेस भी मजबूत प्रत्याशी को टिकट देगी। इस सीट पर कद्दावर नेताओं की नजर है, कैसे पार पाएंगी ?
जवाब: जनता वहां कांग्रेस की हकीकत जानती है, भाजपा ने वहां कितना विकास करवाया है, वह लोग जानते है, वहां जो मंत्री जा रहे है, वह यह कह रहे हैं कि हमें आशीर्वाद मिलेगा तब काम करेंगे, ऐसे में लोग उन पर भरोसा कैसे करें। कांग्रेस हमारे लिए कोई चुनौती नहीं है।
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सवाल: टिकट मिलता है तो वंशवाद जैसे हमलों से कैसे लड़ेगी ?
जवाब: मम्मी के होने पर कभी हमें आगे लाने का प्रयास नहीं किया, अब वो नहीं है, तो पीछे रहे परिवार को संभालना वंशवाद नहीं।