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उदयपुर. 108 ने कोरोनाकाल में लोगों की खूब जिंदगियां बचाई है। जीवन की रक्षा करने वाला ये वाहन बकायदा समय पर बीमार लोगों तक पहुंचा, वहीं दुर्घटना में घायल हुए लोगों की समय पर जान बचाई। खास बात ये है कि कोरोना में ये पायलट यानी 108 के चालक बिना घबराए लोगों को हॉस्पिटल लाकर भर्ती करवाते रहे। जिन 66540 लोगों की जान बचाई इनमें कोरोना के तो बेहद कम करीब 5598 मरीज थे, वहीं अन्य मरीजों की संख्या इससे करीब दस गुना से भी अधिक यानी 60942 थी। ऐसे मरीजों को पूरी सावधानी के साथ हॉस्पिटल पहुंचाया, जो कोरोना संक्रमित नहीं थे। आइए जानते हैं कुछ ऐसे पायलट की दास्तान, जो कोरोनाकाल में खुद का परिवार छोड़ लोगों की मदद के लिए दौड़ते रहे। जिले में 32 वाहन 108 के संचालित हैं, जो लगातार सेवा में रहते हैं।
उदयपुर. 108 ने कोरोनाकाल में लोगों की खूब जिंदगियां बचाई है। जीवन की रक्षा करने वाला ये वाहन बकायदा समय पर बीमार लोगों तक पहुंचा, वहीं दुर्घटना में घायल हुए लोगों की समय पर जान बचाई। खास बात ये है कि कोरोना में ये पायलट यानी 108 के चालक बिना घबराए लोगों को हॉस्पिटल लाकर भर्ती करवाते रहे। जिन 66540 लोगों की जान बचाई इनमें कोरोना के तो बेहद कम करीब 5598 मरीज थे, वहीं अन्य मरीजों की संख्या इससे करीब दस गुना से भी अधिक यानी 60942 थी। ऐसे मरीजों को पूरी सावधानी के साथ हॉस्पिटल पहुंचाया, जो कोरोना संक्रमित नहीं थे। आइए जानते हैं कुछ ऐसे पायलट की दास्तान, जो कोरोनाकाल में खुद का परिवार छोड़ लोगों की मदद के लिए दौड़ते रहे। जिले में 32 वाहन 108 के संचालित हैं, जो लगातार सेवा में रहते हैं।
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ये बोले पायलट नरेश औदिच्य: झाड़ोल फलासियां में 108 चलाने वाले पायलट नरेश ने बताया कि बिरोटी का कोविड का मरीज बेहद गंभीर स्थिति में था। जैसे ही उसे उदयपुर ले जाने का फोन आया तो हम दौड़ पड़े। सड़क खराब थी, दिन में एक बजे लेकर निकले थे, शाम करीब छह बजे हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। तब उसे भर्ती करवा उपचार शुरू हो गया, लेकिन करीब छह दिन बाद उस 55 वर्षीय पुरुष की मौत हो गई। प्रयास तो किया लेकिन उसके नहीं बचने का मलाल उनके मन में घर कर गया। इसी प्रकार उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल में जब ऑक्सीजन की ज्यादा कमी चल रही थी, तो 35 वर्षीय युवा को बेहद गंभीर एक्सिडेंट के बाद उदयपुर लेकर आए। कई हॉस्पिटल घूमे, लेकिन कहीं बेड उपलब्ध नहीं था। बाद में एक हॉस्पिटल में आसरा मिला, उसे ऑक्सीजन दिया गया, जब उसने ठीक होकर कॉल किया तो मन में तसल्ली हुई कि उनकी भाग दौड़ से जीवन बच गया।
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ये बोले पायलट नरेश औदिच्य: झाड़ोल फलासियां में 108 चलाने वाले पायलट नरेश ने बताया कि बिरोटी का कोविड का मरीज बेहद गंभीर स्थिति में था। जैसे ही उसे उदयपुर ले जाने का फोन आया तो हम दौड़ पड़े। सड़क खराब थी, दिन में एक बजे लेकर निकले थे, शाम करीब छह बजे हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। तब उसे भर्ती करवा उपचार शुरू हो गया, लेकिन करीब छह दिन बाद उस 55 वर्षीय पुरुष की मौत हो गई। प्रयास तो किया लेकिन उसके नहीं बचने का मलाल उनके मन में घर कर गया। इसी प्रकार उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल में जब ऑक्सीजन की ज्यादा कमी चल रही थी, तो 35 वर्षीय युवा को बेहद गंभीर एक्सिडेंट के बाद उदयपुर लेकर आए। कई हॉस्पिटल घूमे, लेकिन कहीं बेड उपलब्ध नहीं था। बाद में एक हॉस्पिटल में आसरा मिला, उसे ऑक्सीजन दिया गया, जब उसने ठीक होकर कॉल किया तो मन में तसल्ली हुई कि उनकी भाग दौड़ से जीवन बच गया।
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दलपतराम मीणा, पायलट व शिवलाल दाधीच नर्सेज भींडर: 54 वर्ष का पुरुष सीएचसी भींडर पहुंचा, जिसे कोरोना था। सांस नहीं ले पा रहा था। 108 के साथ चलने वाले नर्सेज शिवलाल ने बताया कि पूरे रास्ते उसे लगातार प्रयास कर सीपीआर भी दिया था, जिससे हार्ट पम्पिंग करने लग गया था, उसे देर रात करीब 12 बजे लेकर एमबी पहुंचे थे, अब वह पूरी तरह ठीक है, उसे समय पर लेकर नहीं पहुंचते तो जान जा सकती थी। 15 वर्ष की बेटी को भींडर से रेफर किया था, उसे हायपोक्सिया की समस्या थी। जिसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी, लगातार उल्टियां हो रही थी। उसे एमबी लेकर करीब सवा घंटे पहुंचे थे, रात करीब साढ़े 12 बजे भर्ती करवाया था, लेकिन तड़के सूचना मिली कि इतना प्रयास करने के बाद भी उसे बचा नहीं सके।
समय पर मरीज तक वाहन पहुंचाने का प्रयास
समय पर मरीज तक वाहन पहुंचाने का प्रयास
हमारा प्रयास रहता है कि समय पर 108 मरीज तक पहुंचे ताकि उसकी जान बचाई जा सके। हमारी टीम लगातार मॉनिटरिंग करती है ताकि किसी भी स्तर पर कमी नहीं रहे।
प्रसून पंड्या, प्रोग्राम मैनेजर, 108 उदयपुर संभाग
प्रसून पंड्या, प्रोग्राम मैनेजर, 108 उदयपुर संभाग