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राजस्थान के इस गांव में रामनवमी पर होता है रावण दहन, 46 वर्षों से कायम है परंपरा

locationउदयपुरPublished: Apr 13, 2019 02:52:24 pm

विवाद की परंपरा पर आज तक टिका अहिरावण मेला

ramnavami festival celebration in kanod, ahirava dahan

राजस्थान के इस गांव में रामनवमी पर होता है रावण दहन, 46 वर्षों से कायम है परंपरा

कमलाशंकर श्रीमाली/कानोड़. 1973 में जब कानोड़ कस्बा पंचायत थी। उस दौरान सरपंच बंशीलाल पुरोहित के कार्यकाल में सोनी समाज के लोगों की पहल व नगर वासियों के सहयोग से शुरू हुआ अहिरावण मेला आज भी परंपरा के तहत आयोजित हो रहा है। आरंभ के तीन वर्ष तक इस मेले को नगरवासियों के सहयोग से आयोजित किया गया। बाद में पंचायत ने मेले के आयोजन को बड़ा रूप दिया। आज नगर पालिका प्रशासन इस परंपरा कायम रखते हुए बड़े स्तर पर आयोजन कर रहा है। बुजुर्ग गिरधारी लाल सोनी व रतनलाल लक्षकार बताते हैं कि एक बार लक्षकार समाज व सोनी समाज में एक दुकान किराए देने को लेकर तकरार हो गई, जिसका फैसला मेला स्थल पर स्थित सौनेरी माता मंदिर पर हुआ। समझौते में मिले पैसे का उपयोग अहिरावण मेले के आयोजन व अहिरावण का पुतला बनवाने में किया गया । पहला अहिरावण का सबसे बड़ा 38 फीट का पुतला नगर के कमल दास वैष्णव ने बनाया। आज अहिरावण का पुतला 28 से 30 फिट का बन रहा है। विवाद के पैसे से शुरू हुआ मेला बुराइयां त्यागने का संदेश देता है ।
क्षेत्र का दूसरा अहिरावण मेला
कानोड़ कस्बे में मेला शुरू करने से पहले बड़ीसादड़ी में राम-रावण मेला लगता था। बाद में उसकी तर्ज पर कस्बे में हनुमान-अहिरावण मेला का शुभारम्भ किया गया। किसी जमाने में जोशिला हनुमान मंदिर से बैण्डबाजों के साथ लक्ष्मण, अहिरावण, हनुमान व वानर सेना की झांकियों के साथ सवारी निकलती थी, जो मेला स्थल पहुुंचकर समाप्त होती थी । सवारी तो अब बंद हो गई लेकिन जोशिला हनुमान मंदिर पर कुछ वर्षो से अलग से कार्यक्रमों का आयोजन होने लगा है, हनुमान जयंती तक यहां छोटे मेले का आयोजन होता है । एक दिवसीय मेला दो दिवसीय हुआ। इसके बाद कुछ वर्षों से पालिका अध्यक्ष अनिल शर्मा सहित बोर्ड की पहल पर मेले को तीन दिवसीय किया गया।

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