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अपनों ने नोंचा, सिसकती रही बेटियां, समझौतों में ही दब गया न्याय

locationउदयपुरPublished: May 16, 2019 03:43:08 pm

Submitted by:

Mohammed illiyas

तीन वर्ष में 130 नाबालिग के प्रकरण दर्ज पॉक्सो एक्ट में हुई कार्रवाई, अभी कई मामले लम्बित कई न्यायालय की चौखट पर चढ़ी तो कुछ बयानों में मुकरी

मोहम्मद इलियास/उदयपुर. घर की देहरी में हर जान सुरक्षित होती है, लेकिन यहां दास्तान ऐसी बेटियों की हैं, जिन्हेें अपनों व परिचितों ने ही गंदी नजर रखते हुए उनकी इज्जत को तार-तार कर दिया। बालिग उम्र में पहुंचने से पहले ही ये बेटियां घर आंगन में कैद होकर मौत से सिसकती रहती है। जिले में पिछले तीन साल के आंकड़ों पर नजर डाले तो 130 नाबालिगों के पॉक्सो एक्ट में मामले दर्ज किए गए।
इनमें हिम्मत कर कुछ थानों व न्यायालय की चौखट तो चढ़ी लेकिन सुनवाई के दौरान अधिकतर के मुकरने से आरोपी सलाखों के पीछे नहीं पहुंच पाए। जिले के पॉक्सो एक्ट मामलों पर नजर डालें तो सर्वाधिक मामले जिले के झाड़ोल, कोटड़ा व ऋषभदेव वृत्त से सामने आए हैं। कुछ मामलों में गुजरात में मेहनत मजदूरी के दौरान देह शोषण हुआ तो कुछ में साथी श्रमिकों या दलालों ने उन्हें शिकार बनाया तो कुछ अपनों के ही हाथों ही शिकार हुए। उदयपुर में अभी पॉक्सो एक्ट के करीब 250 मामले विचाराधीन हैं।कई मामलों में सामाजिक तौर पर दबाव के चलते समझौते की बात सामने आई है।
गरीबी के चलते नहींं पहुंच पाती पेशियों पर
मजदूरी के लिए पलायन करने वाली इन आदिवासी बालाओं के साथ सीमा पार गुजरात के अलावा उदयपुर जिले में भी देह शोषण व दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं। उन्हें मजदूरी के बहाने गुजरात ले जाने वाले दलाल ही उनका सौदा कर मोटी रकम कूट रहे हैं।
गत कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए लेकिन बिचौलियों ने इन्हें दबा दिया। इनमें से कुछ पीडि़ताओं ने साहस दिखाते हुए आरोपियों के खिलाफ गुजरात व जिले में मामले दर्ज करवाए। गुजरात में दर्ज मामलों में वे गरीबी के चलते बार-बार पेशियों पर नहीं जा पाई तो उदयपुर जिले में दर्ज मामलों में अधिकतर में वे खुद बयान से मुकर गई।
जिले की यह स्थिति
तीन साल में पोक्सो एक्ट में दर्ज मामले- 130
15 से 20 प्रकरण प्रति माह होते हैं दर्ज
250 प्रकरण अभी न्यायालय में विचाराधीन
20-25 मामलों को हो रहा प्रतिमाह निस्तारण
30 प्रतिशत मामलों में ही आरोपी को सजा
मासूम एवं नाबालिग बालिकाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं अति शर्मनाक है। किशोर न्याय अधिनियम के तहत सीडब्ल्यूसी के द्वारा इन बालिकाओं को बाल मैत्री वातावरण प्रदान कर पुर्नवास के लिए प्रयास किए जाते है।
– बी.के. गुप्ता, सीडब्ल्यूसी सदस्य
ज्यादातार मामलों में अपने ही अपनों को छल रहे हैं। हाल ही एक केस में मां-बाप के सामने 13 साल की बच्ची के साथ दो पत्नियों के पति ने यौन शोषण किया। इसी तरह के कई केस हैं, इनमें परिचित व खास रिश्तेदार की ओर से छला गया। प्रकरण सामने आने पर सीडब्ल्यूसी द्वारा बच्चियों की काउंसलिंग कर मैत्रीपूर्ण वातावरण उपलब्ध करवाया गया।
– डॉ. प्रीति जैन, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष
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