scriptशर्मसार हुुुुआ पवित्र र‍िश्‍ता , चचेरे भाई ने अपनी ही मानसिक रूप से व‍िक्षिप्‍त बहन के साथ क‍िया घ‍िनौना काम | Rape With Girl, Cousin Brother Raped Sister, Udaipur | Patrika News

शर्मसार हुुुुआ पवित्र र‍िश्‍ता , चचेरे भाई ने अपनी ही मानसिक रूप से व‍िक्षिप्‍त बहन के साथ क‍िया घ‍िनौना काम

locationउदयपुरPublished: Jul 24, 2019 01:08:26 pm

Submitted by:

madhulika singh

crime in udaipur विक्षिप्त चचेरी बहन से बलात्कार के आरोपी को उम्रकैद की सजा Lifetime Imprisonment

 Rape done in the streets

Rape done in the streets

उदयपुर . विक्षिप्त युवती से बलात्कार Rape with girl के मामले में न्यायालय ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई, जो शेष प्राकृत जीवन काल के लिए होगी। पोक्सो-2 POCSO Act न्यायालय के पीठासीन अधिकारी दिनेश त्यागी ने इस मामले में पीडि़ता के बयानों की वीडियोग्राफी नहीं करवाने पर न्यायिक मजिस्ट्रेट की कार्यशैली पर प्रश्न उठाते हुए कार्रवाई के लिए जिला एवं सत्र न्यायालय udaipur court को एक प्रति भिजवाई है। अनुसंधान अधिकारी व चिकित्सक के विरुद्ध भी कार्रवाई के लिए डीजीपी व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सचिव को लिखा है। न्यायालय ने कहा कि चिकित्सक व अनुसंधान अधिकारी दोनों ही संवेदनशील नहीं रहे। न्यायालय ने यह निर्णय सलूंबर थाना क्षेत्र के एक गांव में चचेरी बहन से बलात्कार के प्रकरण में दिया। आरोपी के विरुद्ध उसके काका ने ही विक्षिप्त पुत्री के साथ बलात्कार का प्रकरण दर्ज करवाया था।
इसका पता पीडि़ता के गर्भवती होने के बाद चला। पीडि़ता ने एक बच्ची को जन्म दिया जिसकी बाद में मृत्यु हो गई। प्रकरण दर्ज होने पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया। अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता बंशीलाल गवारिया ने आवश्यक साक्ष्य व दस्तावेज पेश किए। आरोप सिद्ध होने पर न्यायालय ने आरोपी को धारा 376 व धारा 6 लैंंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में आजीवन कारावास व 30-30 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

वीडियोग्राफी की जानी चाहिए थी बयानों की
पीडि़ता ने धारा 164 के बयानों में कहा कि चचेरे भाई ने बाड़े में उसके साथ बलात्कार किया। न्यायिक मजिस्ट्रेट बृजपालदान चारण ने कहा कि पीडि़ता ने रुक-रुक कर एक-एक शब्द बोला, उससे जो पूछा था उसे वह समझ पाई थी। उसके आधार पर ही उसने अपनी जुबान व इशारों से जवाब दिया। उन्हें नहीं लगा कि वह बोल पाने में अक्षम हो और उसे किसी चिकित्साधिकारी के परामर्श की जरूरत हो। न्यायिक मजिस्ट्रेट चारण ने बयानों की कोई वीडियोग्राफी नहीं करवाई। न्यायालय ने कहा कि यह एक ऐसा प्रकरण था जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा पीडि़ता के बयानों की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए थी। उन्होंने जिस प्रकार के बयान लेखबद्ध किए और पत्रावली पर जो अन्य साक्ष्य है, उससे कहीं भी ऐसा जाहिर नहीं होता है कि पीडि़ता इस प्रकार से बयान दे सकती है। यह बयान कैसे लिखे गए, यह इस प्रकरण में न्यायिक मजिस्ट्रेट की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न है।

पीडि़ता के प्रतिकर की अनुशंसा
पीडि़ता एक मंदबुद्धि बालिका थी, उसके साथ चचेरे भाई ने बलात्कार कर शर्मनाक घटना को अंजाम दिया, जिससे पीडि़ता का जीवन शर्मसार हुआ। पीडि़ता को प्रतिकर दिलाए जाने के लिए इस निर्णय की प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को भिजवाने के आदेश दिए।
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