वीडियोग्राफी की जानी चाहिए थी बयानों की
पीडि़ता ने धारा 164 के बयानों में कहा कि चचेरे भाई ने बाड़े में उसके साथ बलात्कार किया। न्यायिक मजिस्ट्रेट बृजपालदान चारण ने कहा कि पीडि़ता ने रुक-रुक कर एक-एक शब्द बोला, उससे जो पूछा था उसे वह समझ पाई थी। उसके आधार पर ही उसने अपनी जुबान व इशारों से जवाब दिया। उन्हें नहीं लगा कि वह बोल पाने में अक्षम हो और उसे किसी चिकित्साधिकारी के परामर्श की जरूरत हो। न्यायिक मजिस्ट्रेट चारण ने बयानों की कोई वीडियोग्राफी नहीं करवाई। न्यायालय ने कहा कि यह एक ऐसा प्रकरण था जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा पीडि़ता के बयानों की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए थी। उन्होंने जिस प्रकार के बयान लेखबद्ध किए और पत्रावली पर जो अन्य साक्ष्य है, उससे कहीं भी ऐसा जाहिर नहीं होता है कि पीडि़ता इस प्रकार से बयान दे सकती है। यह बयान कैसे लिखे गए, यह इस प्रकरण में न्यायिक मजिस्ट्रेट की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न है।
पीडि़ता के प्रतिकर की अनुशंसा
पीडि़ता एक मंदबुद्धि बालिका थी, उसके साथ चचेरे भाई ने बलात्कार कर शर्मनाक घटना को अंजाम दिया, जिससे पीडि़ता का जीवन शर्मसार हुआ। पीडि़ता को प्रतिकर दिलाए जाने के लिए इस निर्णय की प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को भिजवाने के आदेश दिए।