महाराणा भूपाल हॉस्पिटल में ब्लैक लिस्टेड़ की गई एक दवा सप्लाई करने वाली फर्म ने स्टे लाकर हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं का दर्द बढ़ाया था। हालात ये थे कि स्टे आने के बाद कई महत्वपूर्ण उपकरण या जरूरी साधन हॉस्पिटल आवश्यकता के अनुरूप अधिक मात्रा में खरीद नहीं पा रहा था।
ये था मामला महाराणा भूपाल हॉस्पिटल ने 14 मार्च 19 को एक आदेश जारी कर सीडी डिस्ट्रीब्यूटर उदयपुर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। इसके पीछे चिकित्सालय की दलील थी कि फर्म की ओर से मांग के अनुसार दवा आपूर्ति नहीं करने, आपूर्ति की गई दवा का बिल नहीं देकर महंगी दवा का बिल देकर धोखाधड़ी से अधिक राशि वसूलने, घटिया डायलिसिस केथेटर की आपूर्ति करने को लेकर ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। इसे लेकर फर्म कानूनी मदद लेकर हाईकोर्ट से स्टे लाई थी। इस आधार पर उस समय न्यायालय ने आदेश दिया था कि फर्म को टेंडर में हिस्सा लेने दिया जाए, लेकिन दर कम होने पर भी उसे वर्क ऑर्डर नहीं दिया जाए। इसके बाद फिर से मामला न्यायालय के अधीन चलता रहा। चिकित्सालय को गत 17 जून को हाईकोर्ट के स्टे नोटिस मिला था, जिस कारण से नौ प्रकार के साधन, उपकरण व अन्य पर स्टे होने के कारण इसे खरीदा नहीं जा पा रहा था।
दो बार प्राचार्य से पूछा था हाईकोर्ट ने इस फर्म को ब्लैक लिस्टेड करने के बाद हाईकोर्ट ने दो बार प्राचार्य डॉ डीपी सिंह से अधीक्षक के इस फैसले के सही या गलत होने की जानकारी मांगी थी। इस पर अधीक्षक सिंह सहित, वित्तीय सलाहकार अमृत दवे, डॉ सुरेश गोयल व प्राचार्य कमेटी ने इसके सही होने का उल्लेख किया था।
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डॉ रमेश जोशी, उपाधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल उदयपुर