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उदयपुर

पांच माह बाद हटा स्टे: जल्द मरीजों को कतारों से मुक्ति, मिलेंगे जीवन रक्षक उपकरण व दवाएं

– महाराणा भूपाल हॉस्पिटल
– सीडी डिस्ट्रिब्यूटर ने लगा रखा था नौ आइटम्स की निविदाओं पर स्टे
– हाईकोर्ट ने किया खारिज

उदयपुरOct 05, 2019 / 01:33 pm

Bhuvnesh

पांच माह बाद हटा स्टे: जल्द मरीजों को कतारों से मुक्ति, मिलेंगे जीवन रक्षक उपकरण व दवाएं

पांच माह बाद हटा स्टे: जल्द मरीजों को कतारों से मुक्ति, मिलेंगे जीवन रक्षक उपकरण व दवाएं

भुवनेश पण्ड्या

उदयपुर. महाराणा भूपाल हॉस्पिटल में मरीजों के लिए जरूरी सुविधाओं से लेकर आवश्यक उपकरण व रुकी हुई दवाइयां अब चिकित्सालय में जल्द उपलब्ध हो जाएंगे। इसके लिए राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी ने पहले ही निविदिाएं कर रखी हैं, लेकिन इन निविदाओं पर स्टे होने के कारण ना तो ये सुविधाएं शुरू की जा सकी और ना ही जरूरी उपकरण व दवाइयों की खरीद हो सकी थी। गौरतलब है कि गत दिनों नौ जीवन रक्षक उपकरण व दवाइयों की निविदा पर सीडी डिस्ट्रिब्यूटर स्टे लाया था। इसमें जो नौ आइटम्स खरीदे जाने थे, उसमें एक-एक निविदाओं में 8 से 10 एजेंसियों ने निविदा भरी है। सीडी डिस्ट्रिब्यूटर को मार्च 2019 में बैन करने के बाद इन उपकरणों की जरूरत थी। जिसकी सप्लाई के लिए निविदाएं की गई थी, लेकिन इन निविदाओं पर सीडी डिस्ट्रिब्यूटर स्टे लाया था।
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कानूनी पाबंदी ने बढ़ाया था मरीजों का मर्ज
महाराणा भूपाल हॉस्पिटल में ब्लैक लिस्टेड़ की गई एक दवा सप्लाई करने वाली फर्म ने स्टे लाकर हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं का दर्द बढ़ाया था। हालात ये थे कि स्टे आने के बाद कई महत्वपूर्ण उपकरण या जरूरी साधन हॉस्पिटल आवश्यकता के अनुरूप अधिक मात्रा में खरीद नहीं पा रहा था।

ये था मामला

महाराणा भूपाल हॉस्पिटल ने 14 मार्च 19 को एक आदेश जारी कर सीडी डिस्ट्रीब्यूटर उदयपुर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। इसके पीछे चिकित्सालय की दलील थी कि फर्म की ओर से मांग के अनुसार दवा आपूर्ति नहीं करने, आपूर्ति की गई दवा का बिल नहीं देकर महंगी दवा का बिल देकर धोखाधड़ी से अधिक राशि वसूलने, घटिया डायलिसिस केथेटर की आपूर्ति करने को लेकर ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। इसे लेकर फर्म कानूनी मदद लेकर हाईकोर्ट से स्टे लाई थी। इस आधार पर उस समय न्यायालय ने आदेश दिया था कि फर्म को टेंडर में हिस्सा लेने दिया जाए, लेकिन दर कम होने पर भी उसे वर्क ऑर्डर नहीं दिया जाए। इसके बाद फिर से मामला न्यायालय के अधीन चलता रहा। चिकित्सालय को गत 17 जून को हाईकोर्ट के स्टे नोटिस मिला था, जिस कारण से नौ प्रकार के साधन, उपकरण व अन्य पर स्टे होने के कारण इसे खरीदा नहीं जा पा रहा था।
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इन पर था स्टे:

– क्यू मैनेजमेंट सिस्टम- हॉस्पिटल की ओपीडी में लगने वाली कतारों से मुक्ति के लिए जो पूरा सिस्टम खरीदना है, उसे रोका गया था, यानी अब मरीजों को कतारों में धक्के खाने नहीं पडेंग़े।
– डिजीटल ओपीजी एक्स-रे मशीन- मरीजों की बढ़ती संख्या के लिए इसे खरीदा जाना है। दांतों के डिजीटल एक्स रे के लिए।

– बॉडी अल्ट्रा वायोलेट फोटोथैरेपी मशीन: चर्म विभाग में सफेद दागो को ठीक करने के लिए।
– मेडिकल गैस पाइप लाइन इस्टोलेशन : बाल चिकित्सालय, वार्ड 101, वार्ड 18, ओर्थोपेडिक पोस्ट ऑपरेटिव सहित करीब 10 वार्डों में गैस पाइप लाइन बिछाई जानी है।

– डिस्काउंट ऑन एमआरपी: दवाइयों पर कम दर
– रूम फॉर स्टे ऑफ टे्रनीज- – चिकित्सालय में विभिन्न प्रशिक्षण के लिए आने वाले प्रशिक्षाार्थियों को ठहराने के लिए होटल के कमरों की दर भी तय की जानी थी।

– सर्जिकल माइक्रोस्कोप विथ जूम एण्ड सीसीटीवी एण्ड कॉ ओब्जरवर: आंखों के ऑपरेशन के लिए अपडेटेड माइक्रोस्कोप
– ऑर्थोपेडिक इम्प्लांट्स

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दो बार प्राचार्य से पूछा था हाईकोर्ट ने

इस फर्म को ब्लैक लिस्टेड करने के बाद हाईकोर्ट ने दो बार प्राचार्य डॉ डीपी सिंह से अधीक्षक के इस फैसले के सही या गलत होने की जानकारी मांगी थी। इस पर अधीक्षक सिंह सहित, वित्तीय सलाहकार अमृत दवे, डॉ सुरेश गोयल व प्राचार्य कमेटी ने इसके सही होने का उल्लेख किया था।
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हा हाईकोर्ट ने स्टे हटा दिया है, जल्द ही रुके हुए उपकरण व अन्य कार्यों के लिए जरूरी साधन खरीद कर मरीजों के हित में काम शुरू कर दिया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार की परेशानी मरीजों को नहीं हो।
डॉ रमेश जोशी, उपाधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल उदयपुर

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