इसलिए है यह खास: यह रिपोर्ट इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि इस रिपोर्ट के आधार पर कई कानूनी फैसले होते हैं। ये काम एक शिशु रोग विशेषज्ञ को इसलिए सौंप रखा हैं, क्योंकि अन्य चिकित्सक पेशी पर जाने के लिए राजी नहीं हैं। रेडियोलॉजी विभाग के प्रभारी से लेकर अन्य अधिकारी इस बारे में पूरी जानकारी तो रखते हैं, लेकिन नियमानुसार काम करने को लेकर कोई गंभीर नहीं हैं।
———- ये हैं मेडिको लीगल मामले किसी भी मेडिकल कॉलेज तक पहुंचने वाले हत्या, मारपीट व दुर्घटनाओं के मामलों की एक्स-रे रिपोर्ट एेसे चिकित्सक ही दे सकते हैं जो एमडी रेडियोडाग्नोसिस किए हुए हों, जबकि यहां यह काम शिशु रोग विशेषज्ञ के भरोसे है, जबकि डॉ नरेन्द्र कदम, डॉ कुशाल गहलोत और डॉ रामबीरसिंह इस पद के योग्य हैं।
—- सरकार ने जारी किए है आदेश इस संबंध में पूर्व चिकित्सा शासन सचिव नवीन जैन ने एक स्थायी आदेश जारी कर रखा है। इसके अनुसार पर केवल रेडियोडॉग्नोसिस में पीजी किए हुए चिकित्सक ही इस बारे में अपनी राय दे सकते हैं। रेडियोडाग्नोसिस विभाग में पढऩे वाले चिकित्सक भी यह रिपोर्ट नहीं दे सकते हैं, जब तक वह स्वयं पीजी नहीं कर लें। इसके बावजूद इसकी खुलेआम अवहेलना हो रही है।
—– जल्द ही उन्हें तय विभाग में लगा दिया जाएगा। नियमानुसार प्रयास कर रहे है कि जो चिकित्सक जिस विभाग में है उसे वहां लगा दिया जाए। डॉ लाखन पोसवाल, अधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल उदयपुर