इस दौरान गांव के जगदीश मीणा की पत्नी केसरी देवी के प्रसव पीड़ा होने लगी। कुछ समय तक तो ग्रामीणों ने नदी के बहाव को कम होने का इंतजार किया और गांव की महिलाओं ने प्रसव कराने का प्रयास किया लेकिन केसरी देवी की प्रसव पीड़ा बढ़ती जा रही थी।
इस पर परिजनों व पड़ोसियों ने तेज बहाव में जिन्दगी बचाने के लिए धात्री को खाट पर डाल कर नदी पार करवाई। इसके बाद महिला को परसाद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया लेकिन तब तक नवजात ने गर्भ में ही दम तोड़ दिया।
जर्जर हो रहा था पुल
ग्रामीण केसुलाल ने बताया कि परसाद से आसावाणिया की दूरी मात्र 3 किमी है लेकिन नदी में तेज बहाव होने से गर्भवती को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचा पाए। पुल की जर्जर अवस्था के लिए पूर्व में भी ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन को अवगत कराया था लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। नवजात को खोने वाले जगदीश मीणा ने बताया कि पुल के टूटने से मेरे बच्चे को बचाया नहीं जा सका। विपरित परिस्थितियों में ग्रामीणों ने जो सहयोग दिया उससे मेरी पत्नी की जिन्दगी बच गई।
ग्रामीण केसुलाल ने बताया कि परसाद से आसावाणिया की दूरी मात्र 3 किमी है लेकिन नदी में तेज बहाव होने से गर्भवती को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचा पाए। पुल की जर्जर अवस्था के लिए पूर्व में भी ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन को अवगत कराया था लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। नवजात को खोने वाले जगदीश मीणा ने बताया कि पुल के टूटने से मेरे बच्चे को बचाया नहीं जा सका। विपरित परिस्थितियों में ग्रामीणों ने जो सहयोग दिया उससे मेरी पत्नी की जिन्दगी बच गई।