——- फिलहाल दो मशीने- 15 का स्टाफ वर्तमान में आरएनटी लैब के पास दो आरटी पीसीआर (रिवर्स ट्रांसमिशन पॉलीमर्स चेन रिएक्शन) मशीन हैं। इनमें से एक मशीन तो केवल स्वाइन फ्लू के नमूनों की टेस्ट के लिए है, लेकिन इन दिनों दोनों मशीनों पर कोरोना टेस्ट ही किया जा रहा है। जो बड़ी मशीन होती है, वह एक दिन में अधिकतम 40 नमूनों की जाच कर सकती है, जबकि छोटी मशीन करीब 11। वर्तमान में उदयपुर लैब में दोनों बड़ी मशीने हैं। हालांकि मशीने बढऩे के साथ स्टाफ भी बढ़ाना होगा, क्योंकि जो भी स्वाब के नमूने आते हैं उनमें से जो मटेरियल निकाला जाता है, उस मटेरियल को मेन्यूअली ही प्रोसेस करना होता है, जिसमें अब करीब तीन घंटे व मशीन में तीन घंटे का समय यानी हर टेस्ट के पीछे छह घंटे लगते हैं।
—- आइसीएमआर का निर्णय: – इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने कहा है कि नामित प्रयोगशालाएं पारंपरिक रियल टाइम पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन पीसीआर का उपयोग करेंगी, जो गले के पीछे से एकत्र किए गए स्वाब पर आयोजित किया जाता है। निचले श्वसन पथ से एक तरल नमूना या एक साधारण लार का नमूना। इस तरह के परीक्षणों को आमतौर पर इन्फ्लुएंजा एख् इन्फ्लुएंजा बी और एच 1 एन 1 वायरस का पता लगाने में उपयोग किया जाता है।
—- पीसीआर टेस्ट क्या है: कोरोना के संदिग्ध मरीजों का सबसे पहले पालीमर चेन रिएक्शन टेस्ट पीसीआर कराया जाता है। यह एक ऐसी तकनीक है जो डीएनए के एक खंड की प्रतियां बनाता है। पॉलिमरेज़ उन एंजाइमों को दर्शाता है जो डीएनए की प्रतियां बनाते हैं। चेन रिएक्शन यानी डीएनए के टुकड़े कैसे कॉपी किए जाते हैं एक को दो में कॉपी किया जाता हैए दो को चार में कॉपी किया जाता है। पीसीआर तकनीक का आविष्कार करने वाले अमेरिकी बायोकेमिस्ट केरी मुलिस को 1993 में रसायन विज्ञान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।- पहला चरण मानव कोरोना वायरस के सामान्य आनुवंशिक तत्वों का पता लगाने के लिए बनाया गया है जो नमूने में मौजूद हो सकते हैं। दूसरे चरण को केवल कोरोना वायरस में मौजूद विशिष्ट जीन के परीक्षण के लिए डिज़ाइन किया गया है। मार्च की शुरुआत तक किसी भी प्रकार के कोरोना वायरस की जांच के लिए प्रारंभिक स्क्रीनिंग टेस्ट सभी प्रयोगशालाओं द्वारा किया गया था। लेकिन पुष्टि पीसीआर केवल पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा किया गया था। टेस्ट के बाद भूपाल हॉस्प्टिल की लैब को भी अधिकृत कर दिया गया।
—- देश में: – भारत में प्रतिदिन 10, 000 नमूनों का परीक्षण करने की क्षमता है। तीसरे चरण में जाने पर बीमारी का सामुदायिक प्रसार होता है और वह बड़े क्षेत्र में लोगों को प्रभावित करती है। ऐसे में मरीजों की संख्या भी बढ़ सकती है। भारत की शुरुआती 52 परीक्षण प्रयोगशालाओं में इस टेस्ट की शुरुआत की गई थी, बाद में इनकी संख्या बढ़ाई गई है। – प्राथमिक परीक्षण की लागत 1500 रुपये है। यदि पहले परीक्षण के परिणामों की पुष्टि के लिए एक दूसरा परीक्षण किया जाना है, तो कुल लागत लगभग 5000 रुपये है।
—- 1200 नमूनों की हो चुकी हैं जांच अब तक लैब में 1198 नमूनों की जांच हो चुकी है, इसमें उदयपुर सहित बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, राजसमन्द व चित्तौडगढ़़ के नमूने शामिल हैं। लैब की शुरुआत पत्रिका की पहल पर हुई थी, इससे पहले नमूने पुणे वायरलॉजी लैब में या जयपुर एसएमएस हॉस्पिटल भेजे जाते थे, जहां से तीसरे दिन इसकी रिपोर्ट आती थी।
—— यहां से प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है, जल्द ही इस पर निर्णय होते ही परिणाम और जल्द मिल सकेंगे। डॉ लाखन पोसवाल, प्राचार्य आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर