READ MORE : उदयपुर में मामूली विवाद पर कार सवार युवकों से मारपीट, शीशे फोड़े, क्षेत्रवासियों ने की एसपी से गश्त बढ़ाने की मांग सूत्रों के अनुसार विभाग के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता सहित एक राजनेता के इस सडक़ के किनारे फार्म हाउस मौजूद हैं। इस सडक़ निर्माण के लिए बिना मुटाम और रीडिंग के तैयार अनुमानित तख्मीने पर विभाग के मुख्यालय पर बैठे अधिकारियों ने भी जोड़-बाकी की जहमत उठाने की कोशिश नहीं की। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब वर्तमान ग्रेवल सडक़ पर महानरेगा और अकाल राहत योजनाओं के तहत पुलिया और सख्त मिट्टी बिछाई जा चुकी है।
एमडीआर ही क्यों
सच यह है कि पूर्व केंद्रीय परिवहन एवं सडक़ मार्ग मंत्री सीपी जोशी ने विधायकों को ५-५ करोड़ का बजट देने की योजना का खाका बनाया था, क्योंकि केंद्र से स्टेट हाईवे और एमडीआर सडक़ों को ही बजट मिल सकता था। इसके मद्देनजर अभियंताओं ने मजावदा सडक़ को एमडीआर १४८ घोषित करने की रूपरेखा बनाई।
सच यह है कि पूर्व केंद्रीय परिवहन एवं सडक़ मार्ग मंत्री सीपी जोशी ने विधायकों को ५-५ करोड़ का बजट देने की योजना का खाका बनाया था, क्योंकि केंद्र से स्टेट हाईवे और एमडीआर सडक़ों को ही बजट मिल सकता था। इसके मद्देनजर अभियंताओं ने मजावदा सडक़ को एमडीआर १४८ घोषित करने की रूपरेखा बनाई।
बजट पर सवाल
सवाल इस बात को लेकर भी खड़े हो रहे हैं कि यातायात विहीन इस मिसिंग लिंक रोड के १० किलोमीटर निर्माण पीएमजीएवाई से अधिकतम ४ करोड़ में हो सकता था, वहीं गौरव पथ योजना में सीसी सडक़ ५ करोड़ रुपए में बन सकती थी। वन क्षेत्र को प्रभावित करने वाली सडक़ के लिए विभाग ने १० करोड़ रुपए से अधिक लागत का तख्मीना क्या सोचकर तैयार किया। कायदे से एमडीआर की घोषणा के लिए वाहनों का दबाव, लाभान्वित आबादी संख्या और अंतर जिला सडक़ों की प्राथमिकता तय होना अनिवार्य है।
सवाल इस बात को लेकर भी खड़े हो रहे हैं कि यातायात विहीन इस मिसिंग लिंक रोड के १० किलोमीटर निर्माण पीएमजीएवाई से अधिकतम ४ करोड़ में हो सकता था, वहीं गौरव पथ योजना में सीसी सडक़ ५ करोड़ रुपए में बन सकती थी। वन क्षेत्र को प्रभावित करने वाली सडक़ के लिए विभाग ने १० करोड़ रुपए से अधिक लागत का तख्मीना क्या सोचकर तैयार किया। कायदे से एमडीआर की घोषणा के लिए वाहनों का दबाव, लाभान्वित आबादी संख्या और अंतर जिला सडक़ों की प्राथमिकता तय होना अनिवार्य है।
विधायक को भूले, सरपंच पर सहमति
मामले में विधायक और राज्यपाल की अनुशंसा को दरकिनार कर एक सरपंच की मांग को मानते हुए करोड़ों रुपए जारी कर दिए गए हैं। गौरतलब है कि २२ दिसम्बर को विभाग स्तर पर चार प्रस्ताव भेजे गए थे। इसमें कड़ेछावास में गौरवपथ, गोगुंदा-झाड़ोल ओडीआर-२५ (अदर डिस्ट्रिक्ट रोड) पर किलोमीटर ०/० से ६/६०० तक डामर कार्य को किनारे कर दिया गया, वहीं मजावद सरपंच को तवज्जों देते हुए १००४ लाख रुपए लागत के मजावद से उबेश्वर मार्ग (एमडीआर-१४८) को मंजूरी दे दी गई। प्रस्ताव में शामिल पहली तीन सडक़ों को लेकर विधायक एवं राज्यपाल ने अनुशंसा की थी।
मामले में विधायक और राज्यपाल की अनुशंसा को दरकिनार कर एक सरपंच की मांग को मानते हुए करोड़ों रुपए जारी कर दिए गए हैं। गौरतलब है कि २२ दिसम्बर को विभाग स्तर पर चार प्रस्ताव भेजे गए थे। इसमें कड़ेछावास में गौरवपथ, गोगुंदा-झाड़ोल ओडीआर-२५ (अदर डिस्ट्रिक्ट रोड) पर किलोमीटर ०/० से ६/६०० तक डामर कार्य को किनारे कर दिया गया, वहीं मजावद सरपंच को तवज्जों देते हुए १००४ लाख रुपए लागत के मजावद से उबेश्वर मार्ग (एमडीआर-१४८) को मंजूरी दे दी गई। प्रस्ताव में शामिल पहली तीन सडक़ों को लेकर विधायक एवं राज्यपाल ने अनुशंसा की थी।
पहले के प्रस्ताव
मेरे जोइनिंग से पहले यह प्रस्ताव तैयार कर भिजवाए गए थे। विभागीय सर्वे के बाद प्रस्ताव तैयार किए जाते हैं। एमडीआर नियमों के तहत जिला मुख्यालय को तहसील मुख्यालय से जोडऩा भी शामिल है।
मेरे जोइनिंग से पहले यह प्रस्ताव तैयार कर भिजवाए गए थे। विभागीय सर्वे के बाद प्रस्ताव तैयार किए जाते हैं। एमडीआर नियमों के तहत जिला मुख्यालय को तहसील मुख्यालय से जोडऩा भी शामिल है।
-चंद्रमोहन राज माथुर, अधीक्षण अभियंता, पीडब्ल्यूडी उदयपुर