ेकुराबड़ ब्लॉक के बेमला लिम्बुआ वाला कुआं से बुथेल बांसा की 10 किमी दूर मार्ग पर एक भी बस नहीं चलने से इस मार्ग किनारे बसे दर्जन भर गांवों के ग्रामीणों को परेशानी होती है। खासकर महिलाओं को रक्षाबंधन या त्योहार पर खासी समस्या रहती है। अधिकतर पुरुष अहमदाबाद, सूरत, मुंबई में मजदूरी, नौकरी करते हैं।
ये गांव है प्रभावित
बेमला से बांसा मार्ग पर बेमला आंशिक, कोट ग्राम पंचायत, वल्लभ ग्राम पंचायत, खोड़ाव, वाजनी रोडी, चरमर, चरमर तालाब, बुथेल गांवों की करीब 10 हजार की आबादी निवासरत है। इनमें 2001 में कुछ समय के लिए एक निजी बस चली लेकिन उसके बंद हो जाने के बाद आज तक कोई बस सुविधा नहीं है। इसका मलाल सर्वाधिक महिलाओं को है। इसके अलावा क्षेत्र से विद्यार्थियों को भी दिक्कत होती है।
बांसा- बूथेल के बीच झामरी नदी पर बना पुल
पहले इस मार्ग पर बांसा से बुथेल के बीच झामरी नदी पर पुल का अभाव था, जो पिछली सररकार के कार्यकाल के दौरान करोड़ों की लागत से बन गया। जिससे कनेक्टिविटी तो हुई लेकिन बसें नहीं चलने का मलाल है।
यह है कारण
खस्ताहाल मार्ग, बांसा- बूथेल पुल का निर्माण लेकिन कुछ दूरी पर डामरीकण का अभाव, निजी बस वाले नहीं चाहते कम रुट का परमिटद्ध रोडवेज तो क्षेत्र में चलती ही नहीं है।
इधर, रोडवेज से मेवल भी अछूता
रोडवेज बसों के रूप में तों पूरा मेवल क्षेत्र अछूता है। गींगला- सलूम्बर वाया बंबोरा, जगत- गींगला, करावली- खेराड़ एक भी मार्ग पर रोडवेज बस नहीं चलती है। हालांकि कुछ समय के लिए भीण्डर से जयसमंद तक के लिए ग्रामीण परिवहन बस चली लेकिन बंद कर दी गई। इन्हें भी रक्षा बंधन पर रोडवेज में नि:शुल्क यात्रा का मलाल ही रहेगा।
इनका कहना है
क्षेत्र में एक भी बस नहीं चलती है, जिससे महिलाओं को सर्वाधिक परेशानी होती है। सरकार इस ओर ध्यान दें। भंवरीदेवी जैन, सरपंच वल्लभ
लिम्बुआ वाला कुंआ से बुथेल तक मार्ग भी खराब है और एक भी बस नहीं चलती है। विभाग और सरकार को सुध लेनी चाहिये।
ममता कुंवर, सरपंच कोट
बस के अभाव में महिलाओं सहित ग्रामीणों को परेशानी होती है। कई बार इस बारे में अवगत कराया गया लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। भैरू सिंह सिसोदिया, पंसस
बस के अभाव में बस की समस्या से सरकार को अवगत कराकर जल्द ही समाधान कराएंगे।
अस्मा खां पठान, प्रधान पंस कुराबड़