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संघ के बारे में जानने वाले कम, बोलने वाले ज्यादा हैं : भागवत

locationउदयपुरPublished: Sep 21, 2021 07:32:46 pm

Submitted by:

Mukesh Hingar

उदयपुर में प्रबुद्धजन गोष्ठी में बोले- व्यक्ति निर्माण का कार्य संघ का लक्ष्य

संघ के बारे में जानने वाले कम, बोलते वाले ज्यादा हैं : भागवत

संघ के बारे में जानने वाले कम, बोलते वाले ज्यादा हैं : भागवत

उदयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि समाज में कार्यों के कारण ही संघ का अपने आप स्थान बन गया है। संघ के बारे में जानने वाले कम, बोलते वाले ज्यादा हैं। प्रसिद्धि नहीं वरन अहंकार व स्वार्थ रहित, संस्कारित स्वयंसेवक और कार्य हमारे प्राथमिक उद्देश्य है। संघ के स्वयंसेवकों का राजनीतिक लोगों से चर्चा करना या मिलना, सत्ता में भागीदारी नहीं है। यह बात डॉ. भागवत ने रविवार को उदयपुर के विद्या निकेतन सेक्टर-4 में आयोजित प्रबुद्धजन गोष्ठी में कही। उदयपुर के गणमान्य नागरिकों को संघ के उद्देश्य, विचार व कार्य पद्धति के विषय पर उद्बोधन देते हुए सरसंघचालक ने कहा कि व्यक्ति निर्माण का कार्य संघ का लक्ष्य है। व्यक्ति निर्माण से समाज निर्माण, समाज निर्माण से देश निर्माण संभव है।
भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की आहुति देते हुए भारतवर्ष के लिए कार्य करने का मार्ग सहर्ष चुना। उन्होंने प्रारंभिक वर्षों में यह अनुभव किया कि स्वाधीनता मिलने के बाद भी पुन: हम पराधीन न हों, इस पर विचार करना होगा। संघ की स्थापना के मूल में यही चिंतन रहा। उन्होंने कहा कि जो स्वयंसेवक अन्यान्य क्षेत्र में स्वायत्त रूप से कार्य कर रहे हैं, मात्र उन्हें देखकर ही संघ के प्रति किसी तरह की धारणा नहीं बनाई जा सकती। संघ विश्व बंधुत्व की भावना से कार्य करता है। संघ के लिए समस्त विश्व अपना है।
इससे पहले सरसंघचालक डॉ. भागवत, राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्रीय संघचालक रमेशचंद अग्रवाल, महानगर संघचालक गोविन्द अग्रवाल की ओर से भारत माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम में अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य हस्तीमल व वरिष्ठ प्रचारक गुणवंत सिंह कोठारी भी उपस्थित थे। इसमें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो.एस.एस.सारंगदेवोत, महापौर गोविंद सिंह टांक, झाड़ोल विधायक बाबूलाल खराड़ी, गोगुंदा विधायक प्रताप गमेती, भाजपा महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष अलका मूंदड़ा आदि उपस्थित थे।

भागवत के संबोधन की खास बातें
– संघ को नाम कमाने की लालसा नहीं है। क्रेडिट, लोकप्रियता संघ को नहीं चाहिए।

– 80 के दशक तक हिंदू शब्द से भी सार्वजनिक परहेज किया जाता था, संघ ने इस विपरीत परिस्थिति में भी कार्य किया। प्रारंभिक काल की साधनहीनता के बावजूद संघ आज विश्व के सबसे बड़े संगठन के स्वरूप में है।
– संघ प्रमाणिक रूप से कार्य करने वाले विश्वसनीय, कथनी करनी में अंतर न रखने वाले समाज के विश्वासपात्र लोगों का संगठन है। सभी हिंदू हमारे बंधु हैं, यही संघ है। संघ की शाखा, संघ के स्वयंसेवक यही संघ है। समाज में सकारात्मक सेवा कार्य स्वयंसेवक स्वायत्त रूप से करते हैं।
– हम हिंदू नहीं है, ऐसा एक अभियान देश व समाज को कमजोर करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। जहां जहां विभिन्न कारणों से हिंदू जनसंख्या कम हुई है, वहां समस्याएं उत्पन हुई हैं, इसलिए हिंदू संगठन सर्वव्यापी बन कर विश्व कल्याण की ही बात करेगा।

सत्ता में संघ की भागीदारी भ्रामक
जिज्ञासा सत्र में संघ और सत्ता के बारे में प्रश्न पर कहा कि सत्ता में संघ की भागीदारी भ्रामक और मीडिया की उत्पत्ति है। संघ के स्वयंसेवकों का राजनीतिक लोगों से चर्चा करना या मिलना, सत्ता में भागीदारी नहीं है। कम्युनिस्ट समेत अन्य सरकारें भी संघ के स्वयंसेवकों का सहयोग कई कार्यों में लेती रही हैं। समाज के सभी वर्गों को जोडऩे के संदर्भ में पूछे गए प्रश्न पर उन्होंने कहा कि संघ का उद्देश्य सम्पूर्ण हिन्दू समाज का संगठन करना है, इसलिए संघ कार्य का विस्तार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आचार्य विनोबा भावे कभी भी शाखा नहीं गए पर स्वयंसेवक की भांति देश, समाज हित में कार्य किया।

बोले- कार्य करने का ढिंढोरा संघ नहीं पीटता

डॉ. भागवत ने मीडिया में संघ की छवि के बारे में प्रश्न पर कहा कि प्रचार हमारा उद्देश्य नहीं रहा, प्रसिद्धि नहीं, अहंकार व स्वार्थ रहित, संस्कारित स्वयंसेवक और कार्य प्राथमिक उद्देश्य है। प्रचार के क्षेत्र में इसीलिए देरी से आना हुआ। कार्य करने का ढिंढोरा संघ नहीं पीटता। कार्य होगा तो बिना कहे भी प्रचार हो जाएगा। संघ अनावश्यक प्रचार की स्पर्धा में शामिल नहीं है। फिर भी प्रचार विभाग आगे बढ़ रहा है और धीरे-धीरे गति प्राप्त कर रहा है। समाज में कार्यों के कारण ही संघ का अपने आप स्थान बन गया है। उन्होंने ‘अ संघी हू नेवर वेंट टू शाखा’ पुस्तक का उल्लेख करते हुए कहा कि संघ के कार्य को देखकर कई लेखक-विचारक स्वत:स्फूर्त लिख भी रहे हैं।
संघ के बारे में जानने वाले कम, बोलते वाले ज्यादा हैं : भागवत

वनवासी पूर्णत: मिशनरी के कब्जे में, ऐसा नहीं
आदिवासी वर्गों में संघ की भूमिका पर कहा कि संपूर्ण समाज का संगठन करना संघ का उद्देश्य है। वनवासी समाज पूर्णत: मिशनरी के कब्जे में है, ऐसा नहीं है। फूलबनी, ओडिशा का उदाहरण देकर उन्होंने कहा कि वनवासी समाज स्वार्थ, लालच या मजबूरी में हिंदू नही हैं बल्कि वह मूल रूप से हिंदू ही है। केरल और बंगाल के बारे में प्रश्न के प्रत्युत्तर में कहा कि जो समाज झेलता है वह स्वयंसेवक भी झेलता है। स्वयंसेवक घबराकर भागने वाला नहीं है। स्वयंसेवक समाज के साथ रहकर कार्य करता है।

लक्ष्यराज मेवाड़ की उपस्थिति चर्चा का विषय
एचआरएच ग्रुप के लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की उपस्थिति चर्चा का विषय बन गई। राजनीतिक हल्को के अंदर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ भाजपा का दामन थाम सकते हैं। यह उल्लेखनीय है कि उनका ससुराल परिवार ओडि़शाभाजपा के कर्ता-धर्ताओं में एक है। उनकी सास संगीता सिंह देव ओडि़शा के बलांगीर से सांसद हैं।
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