– संघ को नाम कमाने की लालसा नहीं है। क्रेडिट, लोकप्रियता संघ को नहीं चाहिए। – 80 के दशक तक हिंदू शब्द से भी सार्वजनिक परहेज किया जाता था, संघ ने इस विपरीत परिस्थिति में भी कार्य किया। प्रारंभिक काल की साधनहीनता के बावजूद संघ आज विश्व के सबसे बड़े संगठन के स्वरूप में है।
– संघ प्रमाणिक रूप से कार्य करने वाले विश्वसनीय, कथनी करनी में अंतर न रखने वाले समाज के विश्वासपात्र लोगों का संगठन है। सभी हिंदू हमारे बंधु हैं, यही संघ है। संघ की शाखा, संघ के स्वयंसेवक यही संघ है। समाज में सकारात्मक सेवा कार्य स्वयंसेवक स्वायत्त रूप से करते हैं।
जिज्ञासा सत्र में संघ और सत्ता के बारे में प्रश्न पर कहा कि सत्ता में संघ की भागीदारी भ्रामक और मीडिया की उत्पत्ति है। संघ के स्वयंसेवकों का राजनीतिक लोगों से चर्चा करना या मिलना, सत्ता में भागीदारी नहीं है। कम्युनिस्ट समेत अन्य सरकारें भी संघ के स्वयंसेवकों का सहयोग कई कार्यों में लेती रही हैं। समाज के सभी वर्गों को जोडऩे के संदर्भ में पूछे गए प्रश्न पर उन्होंने कहा कि संघ का उद्देश्य सम्पूर्ण हिन्दू समाज का संगठन करना है, इसलिए संघ कार्य का विस्तार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आचार्य विनोबा भावे कभी भी शाखा नहीं गए पर स्वयंसेवक की भांति देश, समाज हित में कार्य किया।
बोले- कार्य करने का ढिंढोरा संघ नहीं पीटता डॉ. भागवत ने मीडिया में संघ की छवि के बारे में प्रश्न पर कहा कि प्रचार हमारा उद्देश्य नहीं रहा, प्रसिद्धि नहीं, अहंकार व स्वार्थ रहित, संस्कारित स्वयंसेवक और कार्य प्राथमिक उद्देश्य है। प्रचार के क्षेत्र में इसीलिए देरी से आना हुआ। कार्य करने का ढिंढोरा संघ नहीं पीटता। कार्य होगा तो बिना कहे भी प्रचार हो जाएगा। संघ अनावश्यक प्रचार की स्पर्धा में शामिल नहीं है। फिर भी प्रचार विभाग आगे बढ़ रहा है और धीरे-धीरे गति प्राप्त कर रहा है। समाज में कार्यों के कारण ही संघ का अपने आप स्थान बन गया है। उन्होंने ‘अ संघी हू नेवर वेंट टू शाखा’ पुस्तक का उल्लेख करते हुए कहा कि संघ के कार्य को देखकर कई लेखक-विचारक स्वत:स्फूर्त लिख भी रहे हैं।
वनवासी पूर्णत: मिशनरी के कब्जे में, ऐसा नहीं
आदिवासी वर्गों में संघ की भूमिका पर कहा कि संपूर्ण समाज का संगठन करना संघ का उद्देश्य है। वनवासी समाज पूर्णत: मिशनरी के कब्जे में है, ऐसा नहीं है। फूलबनी, ओडिशा का उदाहरण देकर उन्होंने कहा कि वनवासी समाज स्वार्थ, लालच या मजबूरी में हिंदू नही हैं बल्कि वह मूल रूप से हिंदू ही है। केरल और बंगाल के बारे में प्रश्न के प्रत्युत्तर में कहा कि जो समाज झेलता है वह स्वयंसेवक भी झेलता है। स्वयंसेवक घबराकर भागने वाला नहीं है। स्वयंसेवक समाज के साथ रहकर कार्य करता है।
लक्ष्यराज मेवाड़ की उपस्थिति चर्चा का विषय
एचआरएच ग्रुप के लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की उपस्थिति चर्चा का विषय बन गई। राजनीतिक हल्को के अंदर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ भाजपा का दामन थाम सकते हैं। यह उल्लेखनीय है कि उनका ससुराल परिवार ओडि़शाभाजपा के कर्ता-धर्ताओं में एक है। उनकी सास संगीता सिंह देव ओडि़शा के बलांगीर से सांसद हैं।