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रुचिता जैन हत्याकांड के एक साल बाद भी बच्चे नहीं भूले मां की मौत का सदमा, ऐसे गुजारा परिवार ने एक साल, पढ़ें पूरी खबर

locationउदयपुरPublished: Dec 01, 2017 09:30:23 am

Submitted by:

Mohammed illiyas

उदयपुर. चेहरों की रौनक वैसी नहीं रही इन मासूमों की, जैसी एक साल पहले थी।

उदयपुर . ये है अर्नव और अविशी। रुचिता के बच्चे। हां, वही रुचिता जैन जिसे मां के रूप में इन फूल से बच्चों ने खो दिया। चेहरों की रौनक वैसी नहीं रही इन मासूमों की, जैसी एक साल पहले थी। जिंदगी का हर पहलू बदल गया एक साल में। बदला सबकुछ, लेकिन खुशियों भरी मुस्कान नहीं लौटी, जैसी एक साल पहले मां की मौजूदगी में थी।

एक दिसम्बर, यानि की आज से ठीक एक साल पहले रुचिता का मर्डर हुआ था। सबसे ज्यादा आघात रुचिता के इन बच्चों को लगा। अब ये धीरे-धीरे सामान्य हो रहे है, लेकिन हालत अब भी सामान्य नहीं है। आज भी डोर बेल बजे तो इनके पापा ही दरवाजा खोलते हैं। बच्चे सहम जाते हैं। एक-दूसरे का हाथा थाम लेते हैं। बाथरुम जाने के दौरान डर के मारे दरवाजे की कुंडी भी नहीं लगाते। रात के अंधेरे में बिना लाइट के तो सो भी नहीं पाते। बच्चों के पिता केबी. गुप्ता ने ये हालात बयां किए। रुचिता के जाने के बाद पिता ने बच्चों के लिए मां कमी पूरा करने का हर दम प्रयास किया।
ruchita jain murder case one year complete udaipur
समय चक्र भी तेजी से चला, रुचिता जैन के हत्याकांड को शुक्रवार को एक साल पूरा हो गया। सालभर इस परिवार पर इतनी मुसीबतें आई कि बच्चे तनावग्रस्त होकर, गुमसुम रहने लगे। पिता ने चिकित्सकों की सलाह पर फ्लेट, नौकर-चाकर के साथ ही स्कूल का माहौल, सब बदल दिया, लेकिन आज भी बच्चे मां को नहीं भूले। वे साल भर त्योहार, बर्थ-डे पार्टी व अन्य उत्सव में शामिल नहीं हुए।

इधर, चित्तौडगढ़़ जिला एवं सेशन न्यायालय में चल रहे हत्याकांड के मामले में अभी आरोपित दिव्य कोठारी को मानसिक रोगी साबित करने के लिए परिजनों ने दरख्वास्त लगा रखी है। मामले की अगली सुनवाई 5 दिसम्बर को है। गौरतलब है कि 1 दिसम्बर 2016 को ऑर्बिट कॉम्पलेक्स नं. 1 के फ्लेट नंबर 702 में
रुचिता पत्नी कृष्णवल्लभ गुप्ता (जैन) की हत्या हो गई थी। सुखेर थाना पुलिस ने उसी कॉम्लेक्स में रहने वाले दिव्य (22) पुत्र अरविंद कोठारी को गिरफ्तार किया था। आरोपित अभी न्यायिक अभिरक्षा में है।

बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा
गुप्ता ने बताया कि पत्नी रुचिता की मौत के बाद बच्चों को गहरा आघात लगा। सदमे से निकालने के लिए उन्हें यहां डीपीएस स्कूल से निकालकर कोटा में एलएन इंस्टीट्यूट में भर्ती करवाया। वहां हॉस्टल में पांच दिन तक बच्चों ने खाना नहीं खाया। पता चलते ही गुप्ता उन्हें तुरंत वापस उदयपुर लाए। कुछ दिनों बाद तक सामान्य नहीं होने पर उन्हें जयपुर में मेट्रो मॉस हॉस्पिटल में दिखाया। वहां बच्चे 11 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे। वहां चिकित्सकों ने कहा कि बच्चों को वो माहौल दिया जाए जिससे उन्हें मां की याद न आए।

सब कुछ बदल दिया
बच्चे अविशी व अर्नव की खुशी के लिए गुप्ता ने सब कुछ बदल दिया। उन्होंने आर्बिट कॉम्पलेक्स का फ्लेट छोड़ा और न्यू भूपालपुरा में एक अपार्टमेंट में शिफ्ट हुए। वहां पर देखभाल के लिए नौकर नए रखे, पुन: डीपीएस स्कूल में प्रवेश दिलाकर उनकी कक्षा का सेक्शन बदला, ताकि उन्हें नए दोस्त मिले और वे पुरानी बातों को भूल सके। इसके अलावा गुप्ता ने अपनी दिनचर्या भी बच्चों के अनुसार ही तय किया। उनके स्कूल के समय निकलने के बाद वह भी वापस बच्चों के घर पहुंचने पर पहुंच रहे है। इस पूरे घटनाक्रम से गुप्ता का रुटिन व बिजनेस प्रभावित हो गया।
चित्तौडगढ़़ तक पेशियों का चक्कर
1 दिसम्बर को रुचिता जैन की हत्या, महिला अधिवक्ता होने के बाद उदयपुर के समस्त वकीलों ने केस लडऩे से किया इनकार।
आरोपित दिव्य कोठारी के परिजनों ने हाईकोर्ट में मनपसंद अधिवक्ता उपलब्ध करवाने व विचारण के लिए दूसरे जिले में भिजवाने की लगाई थी गुहार, हाईकोर्ट ने मामले को चित्तौडगढ़़ किया स्थानांतरण।

न्यायालय में परिजनों ने दिव्य के पागल होने संबंधी आवेदन लगाया, अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी के बाद पुलिस व जेल विभाग द्वारा करवाए गए मेडिकल में वह फिट है। न्यायालय में अब तक 15 बार पेशियों के दौरान लाने वाले पुलिसकर्मियों के साथ आज तक उसने कोई हरकत नहीं की।
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