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दीर्घा में लगाई गई पेंटिग्स को चित्रकारों ने अपनी कल्पना के आधार पर केनवास, पेपर व कपड़े पर उतारा है। कलांगन में 3 गुणा 4 फीट की कुल 44 पेंटिंग लगाई गई है। इसमें मेवाड़ की पारम्परिक लघु चित्र शैली, नाथद्वारा की चित्रशैली व फड शैली, मॉडर्न आर्ट की पेंटिंग लगाई गई है। ये पेंटिंग्स एसआइइआरटी के प्रशिक्षण शिविर में कला शिक्षकों ने बनाई है, वहीं इसमे कुछ मॉडर्न आर्ट भी लगाई गई हैं। शहर के कई चित्रकारों की पेंटिंग्स भी लगाई है जिसमें मॉडर्न आर्ट में एसआइइआरटी डायरेक्टर कोठारी, प्रो.सुरेश शर्मा, शैल चोयल, नसीम अहमद, प्रो. राम जायसवाल, प्रो.लक्ष्मीलाल व प्रो आर के शर्मा प्रमुख है। लघु चित्रशैली में राजाराम शर्मा, शंकर कुमावत, ओम बिजौलिया, डॉ. जगदीश कुमावत, गिरिश शर्मा नाथद्वारा, विष्णु कुमावत व नरेंद्र सिंह की पेंटिंग्स शामिल की गई हैं। कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ. जगदीश कुमावत ने बताया कि चित्रकारों ने सहेलियों की बाड़ी में रानी व उनकी सहेलियों की बाड़ी में रस्सी कूदते, सितौलिया खेलते, नृत्य करते, फव्वारों में नहाते आदि कई दृश्यों को उकेरा है।
दीर्घा में लगाई गई पेंटिग्स को चित्रकारों ने अपनी कल्पना के आधार पर केनवास, पेपर व कपड़े पर उतारा है। कलांगन में 3 गुणा 4 फीट की कुल 44 पेंटिंग लगाई गई है। इसमें मेवाड़ की पारम्परिक लघु चित्र शैली, नाथद्वारा की चित्रशैली व फड शैली, मॉडर्न आर्ट की पेंटिंग लगाई गई है। ये पेंटिंग्स एसआइइआरटी के प्रशिक्षण शिविर में कला शिक्षकों ने बनाई है, वहीं इसमे कुछ मॉडर्न आर्ट भी लगाई गई हैं। शहर के कई चित्रकारों की पेंटिंग्स भी लगाई है जिसमें मॉडर्न आर्ट में एसआइइआरटी डायरेक्टर कोठारी, प्रो.सुरेश शर्मा, शैल चोयल, नसीम अहमद, प्रो. राम जायसवाल, प्रो.लक्ष्मीलाल व प्रो आर के शर्मा प्रमुख है। लघु चित्रशैली में राजाराम शर्मा, शंकर कुमावत, ओम बिजौलिया, डॉ. जगदीश कुमावत, गिरिश शर्मा नाथद्वारा, विष्णु कुमावत व नरेंद्र सिंह की पेंटिंग्स शामिल की गई हैं। कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ. जगदीश कुमावत ने बताया कि चित्रकारों ने सहेलियों की बाड़ी में रानी व उनकी सहेलियों की बाड़ी में रस्सी कूदते, सितौलिया खेलते, नृत्य करते, फव्वारों में नहाते आदि कई दृश्यों को उकेरा है।