इससे पहले इस अभयारण्य के आसपास बड़ी संख्या में आबादी बस गई और नामी होटलें खड़ी हो गई थी। केन्द्रीय वन मंत्रालय ने 13 अक्टूबर 2015 को अभयारण्य का ड्राफ्ट बनाया और उस अधिसूचना को 2 नवम्बर 2015 को जनता की आपत्तियों के लिए सार्वजनिक किया और अब सरकार ने 13 फरवरी 2017 को इसकी अंतिम अधिसूचना जारी की है। आदेश की सूचना वन विभाग को मिल गई है।
-संरक्षित क्षेत्र की सीमा से एक किलोमीटर तक या जोन की सीमा तक किसी वाणिज्यिक होटलों एवं रिसोर्ट को स्वीकृति नहीं दी जाए। -संरक्षित क्षेत्र की सीमा से एक किमी के भीतर या जोन की सीमा तक किसी भी प्रकार के नए वाणिज्यिक निर्माण की स्वीकृति नहीं दी जाए।
-राज्य सरकार की सक्षम स्वीकृति के बिना सरकारी, गैर सरकारी भूमि पर पेड़ों की कटाई नहीं की जाएगी। -नई आरामशीनों व विद्यमान आरामशीनों का विस्तार अनुज्ञात नहीं होगा। -खनन पर रोक, पत्थर की खदान और तोडऩे की इकाइयों पर।
READ MORE: Video: Fire On Hills: उदयपुर में अब सुलगीं मोचिया की पहाडिय़ां कलक्टर की अध्यक्षता में निगरानी समिति ईको सेंसेटिव जोन की प्रभावी निगरानी के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में एक मॉनिटरी समिति का गठन किया जाएगा। समिति के सदस्य सचिव उप वन संरक्षक होंगे। समिति में पर्यावरण व परिस्थिति विज्ञान क्षेत्र का एक-एक प्रतिनिधि, पीडब्ल्यूडी, खनन, सिंचाई, पर्यटन, पुलिस, नगर निगम, उद्योग, यूआईटी, प्रदूषण नियंत्रण मंडल व उप मंडल अधिकारी का जिला स्तरीय अधिकारी इसमें सदस्य होंगे। समिति का कार्यकाल तीन वर्ष का रहेगा।