बैंकों ने खोल दिए बचत खाते
बच्चों की छात्रवृत्ति के लिए जीरो बेलेंस खाता खोलना होता है लेकिन जिले में अधिकतर बच्चों के बचत खाते खोल दिए। ऐसे में जब इनमें 6 माह में लेन-देन नहीं हुआ तो कई खाते बंद कर दिए गए जिससे छात्रवृत्ति की राशि अटक गई। लिहाजा अभिभावक दौड़भाग करते हैं तो एक के बाद एक कार्ड की खामियों में ही उलझ कर थक जाते हैं और बाद में घर पर चुपचाप बैठना ही मुनासिब समझते हैं।
बच्चों की छात्रवृत्ति के लिए जीरो बेलेंस खाता खोलना होता है लेकिन जिले में अधिकतर बच्चों के बचत खाते खोल दिए। ऐसे में जब इनमें 6 माह में लेन-देन नहीं हुआ तो कई खाते बंद कर दिए गए जिससे छात्रवृत्ति की राशि अटक गई। लिहाजा अभिभावक दौड़भाग करते हैं तो एक के बाद एक कार्ड की खामियों में ही उलझ कर थक जाते हैं और बाद में घर पर चुपचाप बैठना ही मुनासिब समझते हैं।
कई बार उठी आवज सुने कौन छात्रवृत्ति के लिए भामाशाह पोर्टल से भुगतान 2017 से हो रहा है। इस दिशा में काम करने वाले उड़ान प्रोजेक्ट के प्रतिनिधियों ने आवाज उठाई कि जब तक बच्चों के बैंक खाते सही नहीं होंगे और आधार भामाशाह में खामी है तब तक बच्चों और अभिभावकों की परेशानी खत्म नहीं होगी। आधार की मशीने बेहद कम है ऐसे में दिक्कत बढ़ गई है।
एसटी वर्ग का तो बजट ही नहीं आया
एसटी वर्ग का तो बजट ही नहीं आया
गत वर्ष एसटी वर्ग में कक्षा 6 से 10वीं तक के बच्चों को छात्रवृत्ति तक नहीं मिली क्योंकि सरकार से बजट नहीं मिला। ऐसे में कई बच्चे और अभिभावक अभी तक इंतजार ही कर रहे हैं। जिले में 2018-19 में करीब 21 हजार बच्चे तो कक्षा 9वीं और 10वीं में ही एसटी, एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति के पात्र थे।
इनका कहना…
बैंकों ने बच्चों के बचत खाते खोल दिए। आधार-भामाशाह में कोई त्रुटि है तो सुधार के संसाधन नहीं हैं। आदिवासी क्षेत्र के अभिभावक परेशान होते हैं। कलक्टर की बैठक में मुद्दे उठा चुके लेकिन ठोस परिणाम नहीं निकला।
बैंकों ने बच्चों के बचत खाते खोल दिए। आधार-भामाशाह में कोई त्रुटि है तो सुधार के संसाधन नहीं हैं। आदिवासी क्षेत्र के अभिभावक परेशान होते हैं। कलक्टर की बैठक में मुद्दे उठा चुके लेकिन ठोस परिणाम नहीं निकला।
नवीन मिश्रा, डीएसएम उड़ान प्रोजेक्ट आदिवासी क्षेत्र में पुरुष-महिलाएं मजदूरी पेशा हैं। बच्चों की अटकी हुई छात्रवृत्ति के लिए वे कई बार शहर तक जाने का मजबूर हैं लेकिन समस्या का समाधान नहीं होता है।
रमेश कुमार, फलासिया
रमेश कुमार, फलासिया