संयुक्त निदेशक भरत मेहता ने आदेश जारी कर कार्यालय पुर्नगठन में ४ वरिष्ठ सहायक ओर २ सहायक कार्यालय अधिक्षक को हटाया जबकि जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय नरेश डांगी ने भी ६ कनिष्ठ कार्मिकों को पदस्थापित किया। इसमें सरकार के नियमों के अनुसार अधिशेष उन कार्मिकों को मानना था जो जूनियर थे जबकि बिना सहमति लिए वरिष्ठों को हटा दिया। अब स्थिति यह हो गई है कि नियमों से परे जिनको अधिशेष मानकर हटाया वह रिलिव नहीं होकर जांच की मांग कर रहे है। गौरतलब है कि भाजपा सरकार में पुर्नगठन के आदेश हुए लेकिन राज बदलने के बाद अधिकारियों ने मनमाफिक नियम बना आदेश जारी कर दिए।
जहां पद ही नहीं वहां भेज दिया…. संयुक्त निदेशक ने वरिष्ठ सहायक ललित कुमावत ओर लक्ष्मीकांत दशोरा को हटाकर एेसी जगह लगा दिया जहां पर वरिष्ठ सहायक का पद हीं नहीं है। इनको पद विरूद्ध सहायक कार्यालय अधिक्षक के पद पर लगा दिया। दोनों कार्मिकों ने उप शासन सचिव कमलेश आबूसरिया के आदेशों को दिखाते हुए एेतराज जताया लेकिन एक नहीं सुनी। जबकि आदेश में बिन्दु संख्या-८ में स्पष्ट लिखा है कि किसी भी कार्मिक को पद विरूद्ध पदस्थापित नहीं किया जाए। बिन्दु संख्या-५ में भी लिखा है कि पदस्थापन स्पष्ट खाली पद पर ही करना है। लेकिन यहां बिना सहमति लिए वरिष्ठों को हटाकर चहेतों को रोक लिया गया।
एेसे उड़ाई सरकारी आदेशों की धज्जियां…. कार्यालय पुर्नगठन में अधिशेष हुए कार्मिकों को काउंसलिंग कैम्प लगाकर पदस्थापित करना था लेकिन एेसा नहीं किया गया। स्वीकृत पद से अधिक होने पर कनिष्ठतम कार्मिक अधिशेष होगा जबकि वरिष्ठतम को यथावत रखना है लेकिन उल्टा किया गया। पद विरूद्ध किसी भी कार्मिक को नहीं लगाना है जबकि यहां पद नहीं होते हुए पद विरूद्ध लगा दिए गए। १४ बिन्दुओं की गाइड लाइन की जगह अपनी सहूलियत के हिसाब से कार्मिकों को इधर उधर सेट कर दिया गया।
इनका कहना…. आदेशों की धज्जियां उड़ी है। बिना काउंसलिंग और नियमों के माने मुझे हटाकर पद विरूद्ध लगा दिया,जांच होने तक रिलिव नहीं होउंगा। ललित कुमावत,वरिष्ठ सहायक
मेरे कार्यालय से ललित कुमावत और लक्ष्मीकांत अधिशेष हुए,इनमें से एक बीमार जबकि दूसरा जिला पूल में सेवाएं दे रहा है इनको रखने से कार्यालय का काम नहीं होता इसलिए प्रस्ताव अनुमोदन के बाद हटाया,बाकी डीईओ से प्रस्ताव आए उनको मुख्यालय भेज दिया गया था।
भरत मेहता संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा उदयपुर