नाच गान के बीच स्कूलों ने करवाई परीक्षा
- गुणवत्ता की कलम चली तो सही लेकिन मस्ती के ढोल के साथ

भुवनेश पंड्या
उदयपुर. सरकारी स्कूलों में शनिवार को ऊहापोह की स्थिति रही। उन्हें एक ही दिन में गुणवत्ता परीक्षा के नाम से बच्चों की परीक्षा भी लेनी थी तो दूसरी ओर उसके बाद वार्षिकोत्सव भी करवाना था। एक ओर परीक्षा का दबाव तो दूसरी ओर वार्षिकोत्सव के आयोजन को लेकर बुलाए अतिथियों की आवभगत की टेंशन ।
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ऐसे आई समस्याएं
अधिकांश स्कूलों में पहले से ही वार्षिकोत्सव शनिवार को तय था, लेकिन शुक्रवार देर रात सरकार की ओर से सभी स्कूलों के पीइइओ को आदेश जारी किए गए कि विभिन्न कक्षाओं में गुणवत्ता परीक्षा होनी है, इसके लिए शाला दर्पण से पेपर डाउनलोड कर उसकी परीक्षा लेनी है। पीइइओ को उनके अन्तर्गत आने वाली स्कूलों में ये पेपर भी पहुंचाने थे।
- एक ही दिन में वार्षिकोत्सव और परीक्षा का आयोजन करवाने में कई परेशानी भी आई, कुछ बच्चे तो शनिवार को स्कूलों में बगैर बस्ते के ही पहुंच गए। ऐसे कई बच्चों को या तो फिर से घर भेजा गया या उनके लिए शिक्षण सामग्री की व्यवस्था की गई।
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स्कूलों में दूसरी से लेकर छठीं कक्षा के बच्चों के लिए यह परीक्षाएं हुई। इसमें हिन्दी का पेपर सुबह 10.30 से 12 बजे हुआ वहीं गणित का पेपर 12.30 से 2 बजे तक हुआ, तो सातवीं कक्षा का पेपर 12 से 2.30 बजे तक हुआ। गुणवत्ता परीक्षा के कुछ कक्षाओं के पूछे प्रश्न ही गलत थे, जिन्हे निरस्त किया गया तथा कुछ प्रश्न पाठ्य पुस्तक से बाहर से पूछे गए थे, जिसका उतर बालक को अपनी सूझबूझ से देना था। विभाग ने वार्षिक उत्सव वाले दिन ही गुणवता की जांच का कार्यक्रम क्यों रखा, इसका फिलहाल किसी के पास कोई जवाब नहीं है।
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इसलिए गुणवत्ता परीक्षा
वर्ष 2020 के अंत में एनएसएस परीक्षा होनी है, राजस्थान को देश भर में शीर्ष राज्य बनाने के लिए सरकार इसे जरूरी मान रही है। इसे लेकर दूसरी से लेकर सातवीं कक्षा के बच्चों के लिए आरएससीइआरटी के माध्यम से पेपर तैयार करवाए गए थे, जिनकी परीक्षाएं करवानी थी।
समय की परेशानी
सुबह परीक्षा आयोजित की और शाम को वार्षिकोत्सव किया, दोनों में शाम के करीब छह बज गए थे। बच्चे थक गए थे, लेकिन आज तिथि पहले से ही तय कर रखी थी, इसलिए करवाना जरूरी था। समय की परेशानी रही।
कैलाश नागदा, प्रधानाचार्य, राउमावि गोरण
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एक ही दिन में वार्षिकोत्सव और गुणवत्ता परीक्षा दोनों करवाए, शाम करीब साढ़े छह बजे तक सभी शिक्षक मौजूद थे।
धर्मेश भाटी, प्रधानाचार्य राउमावि बेकरिया
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एक ही दिन में परीक्षा और सांस्कृतिक आयोजन होने से समस्या हुई। पहले से यदि तय होता तो ये परेशानी नहीं आती।
शेरसिंह चौहान, प्रदेश व उपाध्यक्ष शिक्षक व पंचायती राज कर्मचारी संघ
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