—– – ऐसे समझे इसका गणित – 250 बिस्तर: जिसे आईसीयू की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है, नए एसएसबी ब्लॉक में – 200 बिस्तर: नए ओपीडी ब्लॉक में जहां आईएलआई की जांच की जा रही है। – 330 बिस्तर: महाराणा भूपाल हॉस्पिटल के मुख्य भवन के ऊपरी हिस्से में जो कल्पना पैथलेब से ऊपर से होता हुआ इमरजेंसी के उपर का हिस्सा जुड़ा हुआ रहेगा।
—- -आईएलआई ब्लॉक में शुरू हो सकती है कोरोना स्क्रीनिंग भी …सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक के सामने वाले हिस्से में जहां कुछ दिन पहले आईएलआई आउटडोर शुरू किया गया है, वहां पर जल्द ही कोरोना की स्क्रीनिंग करने के लिए ओपीडी व संदिग्धों मरीजों को भी रखा जाए इसकी तैयारिया की जा रही है। यहां करीब 200 बिस्तर लगाए जा सकेंगे। इसे लेकर कलक्टर ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों को जल्द से इसकी व्यवस्था के निर्देश दिए है। भूपाल हॉस्पिटल के मुख्य भवन में ऐसे रोगी जो संदिग्ध है, और उनका पहला टेस्ट नेगेटिव आ गया उन्हें यहां रखा जाएगा। मुख्य भवन के ऊपरी हिस्से में भी ऐसे संदिग्ध रोगी रखे जाएंगे जिनका फस्र्ट टेस्ट नेगेटिव आया है, उनके लक्षण समाप्त होने पर दूसरा टेस्ट लेने व सात दिन बाद तीसरा टेस्ट लेने तक उन्हें वहां रखा जा सके।
—– जल्द एसएसबी ब्लॉक भी होगा अलग एसएसबी ब्लॉक को सेपरेट ब्लॉक किया जाएगा। यहां मशीनों का इस्तेमाल शुरू करने का काम जल्द किया जाएगा। इसके लिए एसएसबी ब्लॉक के लिए अधीक्षक व उपाधीक्षक अलग रहेंगे। यहां नो ब्रांच चलाई जाएगी। हालांकि कोरोना संक्रमण तक फिलहाल इसकी कागजी तैयारी की जा रही है, जैसे ही स्थितियां सामान्य होती है तो यहां तत्काल न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, रेडियोथैरेपी, एंडियोक्राइनोलॉजी, गेस्ट्रोएन्ट्रॉलॉजी, नेफ्रोलॉजी व यूरोलॉजी, पिडियाट्रिक सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी को खोला जाएगा। इन नौ ब्रांच में से किसी एक विभागाध्यक्ष को अधीक्षक बनाया जाएगा, इसका अलग से ऑफिस शुरू होगा। 150 करोड़ रुपए में इस भवन का निर्माण किया गया। 28 दिसम्बर 2016 को पूर्व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री केन्द्र सरकार जेपी नड्डा ने इसकी इसका शिलान्यास किया था। जून 2016 में इसका काम शुरू हो चुका था, जो डेढ़ वर्ष में पूरा होना था, लेकिन केन्द्र से राशि आ चुकी थी, जबकि राज्य सरकार ने पैसा नहीं दिया था। 120 करोड़ केन्द्र की राशि मिल चुकी थी, जबकि 30 करोड़ रुपए राज्य की राशि बकाया थी, केन्द्र का 80 व राज्य का हिस्सा 20 फीसदी था। 15-15 करोड़ रुपए राज्य सरकार को देने थे, लेकिन इसके आने में देरी होने से शुरुआत अब तक लटकी हुई है, इसे अब जल्द से जल्द शुरू किया जाना है।