पशुपालन विभाग की ओर से इस बार कार्मिकों की बजाय गांवों में मशीन से स्प्रे कराया जा रहा है ताकि चींचड़ों का जल्द सफाया किया जा सके।
स्क्रब टाइफस के छह माह के रोगी
स्क्रब टाइफस के छह माह के रोगी
क्षेत्र का नाम रोगियों की संख्या
उदयपुर शहर 18 गिर्वा 50
गोंगुदा 42 मावली 84
वल्लभनगर 75 सलूम्बर 11
लसाडिय़ा 05 सराड़ा 07
खेरवाड़ा 03 ऋषभदेव 03
बडग़ांव 29 झाड़ोल 26
कोटड़ा 01 सेमारी 00
कुल 354
उदयपुर शहर 18 गिर्वा 50
गोंगुदा 42 मावली 84
वल्लभनगर 75 सलूम्बर 11
लसाडिय़ा 05 सराड़ा 07
खेरवाड़ा 03 ऋषभदेव 03
बडग़ांव 29 झाड़ोल 26
कोटड़ा 01 सेमारी 00
कुल 354
पशुओं के संपर्क में आने से फैलता रोग
अमूमन बारिश के बाद यह बीमारी पशुओं के चींचड़ों (माइट्स) से इंसानों में तेजी से फैलती है क्योंकि इंसान पशुओं के सम्पर्क में ज्यादा रहता है। यह पशु जनित रोग ओरैंसिया सुसुगामुशी जीवाणु से फैलता है। शहरों की बजाय गंावों में इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा देखने में आया है।
अमूमन बारिश के बाद यह बीमारी पशुओं के चींचड़ों (माइट्स) से इंसानों में तेजी से फैलती है क्योंकि इंसान पशुओं के सम्पर्क में ज्यादा रहता है। यह पशु जनित रोग ओरैंसिया सुसुगामुशी जीवाणु से फैलता है। शहरों की बजाय गंावों में इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा देखने में आया है।
हो सकती है रोगी की मृत्यु
इस बीमारी से तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, शरीर में जकडऩ, खांसी, चमड़ी पर चकते, पेट दर्द, उल्टी मिचली, एन्सिफेलाइटिस तथा कभी रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
इस बीमारी से तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, शरीर में जकडऩ, खांसी, चमड़ी पर चकते, पेट दर्द, उल्टी मिचली, एन्सिफेलाइटिस तथा कभी रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
बारिश के बाद बढ़ जाता है रोग
मलेरिया, डेंगू अब धीरे-धीरे कम होने लगा है, लेकिन स्क्रब टाइफस का प्रकोप जरूर बढ़ा है। बारिश के बाद यह रोग बढ़ जाता है। जिले के भीण्डर, वल्लभनगर, मावली, गिर्वा व गोगुंदा क्षेत्र में रोगी बढ़े हैं। सभी सीएचसी व पीएचसी में दवाइयों का पर्याप्त स्टॉक है।
मलेरिया, डेंगू अब धीरे-धीरे कम होने लगा है, लेकिन स्क्रब टाइफस का प्रकोप जरूर बढ़ा है। बारिश के बाद यह रोग बढ़ जाता है। जिले के भीण्डर, वल्लभनगर, मावली, गिर्वा व गोगुंदा क्षेत्र में रोगी बढ़े हैं। सभी सीएचसी व पीएचसी में दवाइयों का पर्याप्त स्टॉक है।
– डॉ.राघवेन्द्र राय, उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
आइसीआइसीआई फाउंडेशन (आरसेटी) के सहयोग से इस बार ट्रैक्टर माउंंटेट स्प्रे मशीन का उपयोग किया गया है। यह मशीन किराये पर ली गई है। मशीन किराया, चालक, डीजल पर प्रतिदिन 2000 रुपए खर्च होते हंै, जो आरसेटी वहन कर रही है। विभाग की ओर से एक फीसदी साइपरमैथ्रिन नि:शुल्क दिया जाता है।
आइसीआइसीआई फाउंडेशन (आरसेटी) के सहयोग से इस बार ट्रैक्टर माउंंटेट स्प्रे मशीन का उपयोग किया गया है। यह मशीन किराये पर ली गई है। मशीन किराया, चालक, डीजल पर प्रतिदिन 2000 रुपए खर्च होते हंै, जो आरसेटी वहन कर रही है। विभाग की ओर से एक फीसदी साइपरमैथ्रिन नि:शुल्क दिया जाता है।
डॉ. भूपेन्द्र भारद्वाज
संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग
संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग