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इस परिवार की कहानी पढ़कर आप भी करेंगें इन्हें सलाम, देश सेवा को समर्पित लगातार तीसरी पीढ़ी

locationउदयपुरPublished: Jan 24, 2018 02:38:29 pm

Submitted by:

bhuvanesh pandya

उदयपुर. एक ऐसा परिवार जिसकी तीसरी पीढ़ी सेना में है।

 

मेरा लहू मेरी माटी के काम आए, मैं जब जाऊं तो हर ओर सलाम आए।
कौन चाहता है दौलत-शोहरत, बस वतन की रजा में मेरी हर शाम आए।

भुवनेश पाण्ड्या /उदयपुर. एक ऐसा परिवार जिसकी तीसरी पीढ़ी सेना में है। बात खास इसलिए कि इस परिवार में जब बच्चा पैदा होता है, तो सेना की वर्दी देखता है और जब बड़ा हो जाता है तो उसी खूंटी पर खुद की वर्दी टांग लेता है। यहां धमनियों में लहू के साथ सेना का अनुशासन बहता है तो स्वावलम्बन का पाठ पारिवारिक परम्परा की धारा है। यही तो देश सेवा का जज्बा है। यहां हर पीढ़ी यह सोचती है कि हर हाल में वह देश की सेना का हिस्सा जरूर बन जाए, चाहे वह धरती हो या आसमान, या समन्दर की लहरें।
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यह हकीकत है उदयपुर शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर गांव आसोलिया की मादड़ी के राव परिवार की, जिसे गांव वाले सेना वाला परिवार के नाम से भी जानता, पुकारता है। शुरुआत ले. कर्नल केसर सिंह राव ने की। परिवार के सबसे बड़े भाई सेना तक पहुंचे तो पीछे-पीछे उनके दोनों छोटे भाई सूबेदार भीमसिंह राव और ले. कर्नल गुमानसिंह भी सुरक्षा और देश सेवा की सीमा को चूमने पहुंच गए।
इसके बाद आती है दूसरी पीढ़ी की बारी। इन तीनों के बड़े भाई सरदारसिंह राव के बेटे हवलदार किशनसिंह और केसरसिंह के बेटे सुशीलकुमार। तीसरी पीढ़ी में हवलदार किशनसिंह के बेटे नायक श्रवणसिंह ने भी परिवार के संस्कार और परम्परा के अनुरूप सेना में पहुंच गए।
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परिवार की बेटी ने भी बाजी मारी
कर्नल गुमानसिंह की बेटी प्रियंवदा राव भी एयर फोर्स में पहुंच गई। वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेट पद पर गुवाहाटी में सेवारत है। वर्तमान में गुमानसिंह जिला सैनिक कल्याण अधिकारी उदयपुर के पद पर कार्यरत है। सिंह ने बताया कि वह अपनी एक और बेटी को भी सेना में ले आते, उसकी भी खूब तमन्ना थी, लेकिन यहां सफलता नहीं मिल सकी।
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