इस साल अब तक पॉक्सो एक्ट में 52 प्रकरण दर्ज
आंकड़ों पर नजर डालें तो यौन शोषण व बलात्कार के मामलों में उदयपुर में पिछले दो सालों में बच्चियों के साथ ये घटनाएं बढ़ी ही है। वर्ष 2019 में पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चियों के साथ 67 प्रकरण दर्ज किए गए वहीं वर्ष 2020 में 52 प्रकरण दर्ज किए गए। इसी तरह वर्ष 2019 में बलात्कार के 150 और वर्ष 2020 में 120 मामले दर्ज हुए।
आंकड़ों पर नजर डालें तो यौन शोषण व बलात्कार के मामलों में उदयपुर में पिछले दो सालों में बच्चियों के साथ ये घटनाएं बढ़ी ही है। वर्ष 2019 में पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चियों के साथ 67 प्रकरण दर्ज किए गए वहीं वर्ष 2020 में 52 प्रकरण दर्ज किए गए। इसी तरह वर्ष 2019 में बलात्कार के 150 और वर्ष 2020 में 120 मामले दर्ज हुए।
अपने ही नहीं छोड़ते बच्चियों के साथ जितने भी मामले आते हैं उसमें अधिकतर उनके जान-पहचान और रिश्तेदारों ने ही उनके साथ ज्यादती की होती है। ऐसे में कई बार वे दबाव में आ जाती हैं और अपने साथ हो रही ज्यादतियों के बारे में किसी को नहीं बता पातीं। ये दर्द उन्हें सालों तक सालता रहता है। कई घटनाओं में नाबलिग बच्चियां तो गर्भवती हो जाती हैं। ऐसे में उन्होंने जो खुद के लिए सपने देखे होते हैं, वे सपने यूं ही टूट कर रह जाते हैं। मनावैज्ञानिकों के अनुसार, बच्चियों के साथ इस तरह की घटनाएं ना हों और उन्हें इससे बचाने के लिए उन्हें इस बारे में शिक्षित करने की जरूरत है। उन्हें गुड टच-बेड टच का मतलब समझाना चाहिए। उनमें चुप रहने के बजाय बोलने और विरोध करने का आत्मविश्वास पैदा करना चाहिए।
बालिकाओं को जागरूक करना जरूरी
राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सह-आचार्य व मनोवैज्ञानिक डॉ. अजय चौधरी ने बताया कि बालिकाओं के साथ जो अपराध बढ़ रहे हैं, उसके लिए उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से समझाना और जागरूक करना आवश्यक है-
राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सह-आचार्य व मनोवैज्ञानिक डॉ. अजय चौधरी ने बताया कि बालिकाओं के साथ जो अपराध बढ़ रहे हैं, उसके लिए उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से समझाना और जागरूक करना आवश्यक है-
– बच्चियों में हिम्मत और आत्मविश्वास पैदा करना बेहद जरूरी है। उनके मन से डर निकालें। ये काम माता-पिता और शिक्षक कर सकते हैं।
– किसी के साथ कुछ गलत होता है तो उसे बताने की जरूरत है। कई मामले ऐसे होते हैं जो सामने ही नहीं आ पाते और बच्चियां सालों से शोषण का शिकार होती रहती हैं। ऐसे में बच्चियों को अपने साथ होने वाली ऐसी घटनाओं के बारे में बताना और अपराधियों को सामने लाना जरूरी है ताकि उन्हें सजा मिल पाए और वे ऐसी हरकत किसी और के साथ नहीं करें।
– किसी के साथ कुछ गलत होता है तो उसे बताने की जरूरत है। कई मामले ऐसे होते हैं जो सामने ही नहीं आ पाते और बच्चियां सालों से शोषण का शिकार होती रहती हैं। ऐसे में बच्चियों को अपने साथ होने वाली ऐसी घटनाओं के बारे में बताना और अपराधियों को सामने लाना जरूरी है ताकि उन्हें सजा मिल पाए और वे ऐसी हरकत किसी और के साथ नहीं करें।
– बच्चियों को गुड टच, बैड टच के बारे में बताना चाहिए। – बच्चियों को हैल्पलाइन नंबर्स और जो भी आजकल के सुरक्षा के उपाय हैं उनके बारे में जानकारी देनी जरूरी है। उन्हें इसका उपयोग करना आना चाहिए।
– बालिकाओं को सेल्फ डिफें स का प्रशिक्षण भी दिलाना चाहिए ताकि जरूरत पडऩे पर वे अपनी रक्षा खुद कर सके।
– बालिकाओं को सेल्फ डिफें स का प्रशिक्षण भी दिलाना चाहिए ताकि जरूरत पडऩे पर वे अपनी रक्षा खुद कर सके।
– परिजनों को अनजान लोगों से दोस्ती को लेकर बालिकाओं को इसके नकरात्मक प्रभाव बताने चाहिए।
– निर्भया केस और ऐसे ही केसेज में मिली सजा के बारे में मीडिया को भी अधिक से अधिक जानकारी देनी चाहिए।
– निर्भया केस और ऐसे ही केसेज में मिली सजा के बारे में मीडिया को भी अधिक से अधिक जानकारी देनी चाहिए।