अगली पेशकश में उन्होंने वसीम बरेलवी का कलाम ‘जरा-सा कतरा कहीं आज अगर उभरता है ..’ और अपनी एलबम ‘आमद’ से रूप सागर की रचना ‘पलकों पे कोई खाब सजाना तो चाहिये…’ सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। इनके साथ बांसुरी पर पं. अजय प्रसन्ना, तबले पर गौरव राजपूत, परकशन पर सतीश सोलंकी तथा की बोर्ड पर हेमन्त सैकिया ने संगत की।
अहमदाबाद से लेकसिटी भ्रमण पर आए गितेश शाह ने बताया कि उनको सबसे ज्यादा आनंद विधि के गाए सूफी गीतों से मिला। जिनमें कबीर की रचना ‘घूघट के पट खोल तोहे पिया मिलेंगे..’ फिर पारम्परिक ‘छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना..और अंत में ‘ओ री सखी मंगल गावो नी..’ सुनाकर भावविभोर कर दिया।
खिंचे आ रहे स्वाद के शौकीन इससे पूर्व दिनभर फूड फेस्टीवल में शिल्पग्राम आने वाले स्वाद के शौकीनों ने राजस्थानी, मराठी, पंजाबी, लखनवी और गुजराती राज्यों के विविध व्यंजनों के जायकों का छककर आनंद उठाया। इस दौरान कलांगन में लोक कलाओं की प्रस्तुतियों सहित बंजारा रंगमंच पर प्रवीण गौतम व उनके साथियों ने फिल्मी व गैर फिल्मी गीतों की महफिल का मेलार्थियों ने पूरे समय लुत्फ लिया।
शरद रंग में मुशायरा आज पांच दिवसीय शरद रंग उत्सव की तीसरी शाम शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी मंच पर राजस्थान उर्दू अकादमी के तत्वावधान में ऑल इंडिया मुशायरे में देश के कई नामचीन शायर शिरकत करेंगे।