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VIDEO : टिकट आने से पहले कांग्रेस के इस नेता ने भरा पर्चा, देखें वीडियो… इसी तरह, अगली प्रस्तुतियों में पहाड़ी भोपाली राग में लोक और शास्त्रीय वाद्य यंत्रों का अनूठा समागम और राग किडवानी में निबद्ध लोकगीत ‘हिचकी’ सुर रसिकों को खूब रास आई। इस दौरान ‘हेलो म्हारो’ की एक खूबसूरत बंदिश के बाद अंतिम प्रस्तुति ‘मीटिंग बाय द रीवर’ ने उपस्थितजनों को अलहदा संगीत यात्रा की अनुभूति कराई। इनके साथ सात्विक वीणा पर सलिल भट्ट, तबले पर पं. रामकुमार मिश्रा, लोक कलाकार गोराम खां व कुटले खां ने बेहतरीन तालमेल सं संगत कर प्रस्तुति को और प्रभावी बना दिया।