उमेश मेनारिया/ मेनार. धण्ड तालाब में पानी सूखने से मर रही मछलियों का जीवन बचाने की मुहिम मंगलवार को भी जारी रही। मछलियों की शिफ्टिंग का काम दूसरे दिन भी जारी रहा।
माात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय निदेशक डॉ. वी.पी. सैनी भी मेनार पहुंचे। डॉ सैनी, वेटलैंड एक्सपर्ट इंटर्न देवेंद्र मिस्त्री, वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ. सुनील दुबे की मौजूदगी में टीम ने मटमेले पानी से मछलियों को टंकी में डालते हुए ब्रह्मसागर में शिफ्ट किया। इस मौके पर शांतनू कुमार, सरपंच गणपतलाल, उपसरपंच शंकरलाल मेनारिया, सचिव प्रभुलाल यादव, भूरालाल मेरावत, राधेश्याम पांचावत, गणपतलाल ठाकरोत, प्रेम ठाकरोत, मुकेश कुमावत, कैलाश रूपावत, उदयलाल विरावत, झमकलाल प्रजापत मौजूद थे। अनुसंधान निदेशक डॉ. सैनी ने बताया कि तालाब के तीनों खड्डों से मछलियों को शिफ्ट किया गया। अब वही मछलियां बची है, जो कम पानी और कीचड़ में रहती है। जहां पानी बचा है, वहां 15-20 दिन में पानी सूखता है तो पुन: टीम भेजकर बाकी मछलियों को भी शिफ्ट करवा दिया जाएगा।
इधर, सचिव प्रभुलाल ने मत्स्यक आयुक्त निदेशालय
जयपुर को धण्ड तालाब में मछलियों के मौत और अन्य तालाब में शिफ्टिंग की जानकारी दी। गौरतलब है कि धण्ड तालाब में पानी सूखने के बाद ऑक्सीजन की कमी से मर रही मछलियों का मामला राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। आठ मई को ‘बर्ड विलेज के सूखते तालाब में मर रही मछलियां’ शीर्षक से खबर प्रकाशन के बाद प्रशासन हरकत में आया और मछलियों को शिफ्ट किया। दोनों तालाब पर प्रतिवर्ष पक्षी प्रवास के लिए आते हैं, इनके यहां आने का मुख्य कारण भरपूर खाद्य सामग्री होना है।