script28 सालों से शिल्पग्राम उत्सव में लोक संस्कृति की विविध विधाओं की मच रही धूम, यहां हर द‍िन यादगार | Shilpgram Festival Will Start From 21 DEC. Udaipur | Patrika News

28 सालों से शिल्पग्राम उत्सव में लोक संस्कृति की विविध विधाओं की मच रही धूम, यहां हर द‍िन यादगार

locationउदयपुरPublished: Dec 11, 2019 03:21:28 pm

Submitted by:

madhulika singh

Shilpgram Festival वर्ष 1991 में पहली बार यहां सांस्कृतिक उत्सव हुआ, इस बार भी बहुत कुछ नया देखने को म‍िलेेेेगा, विभिन्न राज्यों से 400 से अधिक शिल्पकार लेकसिटी पहुंचेंगे

shilpgram
उदयपुर . वर्ष 1989 में Shilpgram Festival शिल्पग्राम की नींव रखने के दौरान गुजरात के हक्कूभाई शाह ने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के सदस्य राज्यों की 31 झोपडिय़ां बनाने की कल्पना की थी, तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि कालान्तर में आमजन यह सब अपनी विरासत के रूप में याद रखेंगे। उस समय इन झोपडिय़ों की डिजाइन और साज-सज्जा में विश्वसनीयता लाने के लिए निर्माण सामग्री और कारीगर उसी स्थान के प्रयुक्त किए गए। यह परम्परा आज भी बदस्तूर निभाई जा रही है।
केन्द्र अधिकारी बताते हैं कि जब वर्ष 1991 में पहली बार यहां सांस्कृतिक उत्सव हुआ। तब लोगों को लाने-ले जाने के लिए वाहन व्यवस्था और प्रवेश नि:शुल्क होने के बावजूद दर्शकों की भीड़ जुटाने के लिए कई जतन करने पड़ते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सांस्कृतिक नवाचारों के सतत् प्रयासों के कारण शिल्पग्राम देश-दुनिया के सैलानियों की ऐसी पसंद बन गया कि शिल्पग्राम उत्सव के प्रति लोगों की दीवानगी आज देखते ही बनती है।
इधर, पिछले कुछ वर्षों में बने स्क्रीनिंग सेन्टर (दृश्यम), बंजारा रंगमंच, पाषाण निर्मित वाद्ययंत्र, लोकनृत्य दर्शाती कांस्य प्रतिमाएं और दर्पण सभागार को वातानुकूलित कर होल्डिंग एरिया, पूरे परिसर में सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी कैमरे के अलावा साल भर तक कला और संस्कृति के कद्रदानों के लिए फरवरी में शास्त्रीय कलाओं पर आधारित ऋतु वसंत तथा अक्टूबर-नवम्बर में सम सामयिक कलाओं पर आधारित शरद रंग उत्सव और फूड फेस्टिवल में देश के विभिन्न राज्यों के लज़ीज व्यंजनों के जायके हर किसी को मुरीद बना रहे हैं।

इस बार कई नए आकर्षण भी

वैसे तो हर बार ही शिल्पग्राम उत्सव में कुछ न कुछ नया आकर्षण देश-दुनिया के सैलानियों को अपनी ओर खींचता ही है, लेकिन इस वर्ष युवाओं और बच्चों के लिए कई नवाचारों की परिकल्पना की गई है। इसके लिए बागोर की हवेली स्थित केंद्र कार्यालय में केंद्र प्रभारी सुधांशु सिंह अपने सहयोगियों संग नियमित कार्ययोजना तैयार करने में संलग्न हैं। उन्होंने बताया कि इनका खुलासा 15 दिसम्बर के बाद कर दिया जाएगा। शिल्पग्राम उत्सव के लिए पिछले एक माह से अधिक समय से श्रमिक कला-प्रांगण सजाने-संवारने में जुट चुके हैं। ऐसे में खरपतवार काटने-हटाने के अलावा, झोपडिय़ों का पुनर्निर्माण, रंग-रोगन, लिपाई-पुताई और मांडणा-अलंकरण जैसे तमाम कार्य तकरीबन पूरे हो चुके हैं।
जुटेंगे देश के कई राज्यों के शिल्पी
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित शिल्पग्राम उत्सव के दौरान हाट बाजार में जहां हर किसी को देश के अनेक प्रांतों की कलात्मक वस्तुएं देखने और खरीदने को मिलेगी। वहीं हाट बाजार को शिल्प कलाओं के अनुरूप सजाया जाएगा। केन्द्र निदेशक प्रभारी ने बताया कि शिल्पकारों को कलात्मक उत्पाद बेचने के लिए बाजार उपलब्ध करवाने तथा बिना मध्यस्थ के उत्पाद सीधे उपभोक्ता तक पहुंचाने के उद्देश्य से विभिन्न राज्यों से 400 से अधिक शिल्पकार लेकसिटी पहुंचेंगे। यहां लगे हाट बाजार में मिट्टी की कलात्मक वस्तुएं, धातु के बने उत्पाद और आभूषण तथा अन्य अलंकरण, जूट की कलात्मक वस्तुएं, कपड़े, चर्म उत्पाद सहित अन्य शिल्प वैविध्य हर किसी को आकृष्ट करेंगे।
लुभाएंगी लोक कलाएं भी
शिल्पग्राम उत्सव के दौरान आमजन को विभिन्न थड़ों पर लोक प्रस्तुतियां निहारने का अवसर मिलेगा। जहां कच्छी घोड़ी, चकरी, मांगणियार, कथौड़ी, बेड़ा रास, गेर, सहरिया स्वांग, मशक वादन, बहुरूपिया, कठपुतली, जादूगर, नगाड़ा वादन, गवरी, नट करतब, शहनाई व अलगोजा वादन करते कलाकार दिनभर प्रदर्शन करेंगे
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