सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत गुजरात के वसावा होली नृत्य से हुई। बाद में पड्डुचेरी का नृत्य वीर वीरई नाट्यम ने दर्शकों पर अपनी कला का रंग दिखाया। सहरिया कलाकारों की कला को दर्शकों ने बेहद सराहा। कार्यक्रम में होजागिरी, स्टिक परफोरमेन्स व थांग-ता जहां मार्शियल आर्ट की प्रदर्शनात्मक कलाएं थी , वहीं मणिपुर के पुंग चोलम में वादकों ने पुंग (ढोल) का एक साथ विभिन्न लयकारी पर नृत्य भंगिमाओं से दर्शकों को लुभाया। इस अवसर पर पंजाब का लोकप्रिय नृत्य भांगड़ा में वादक ने जैसे ही ढोल पर थाप दी, दर्शक दीर्घा में बैठे शहरवासी कलाकारों के साथ थिरकने लगे। असम के बीहू नृत्य एवं उत्तराखण्ड के छपेली नृत्य के कलाकारों ने भी प्रस्तुति में अपनी परंपराओं एवं संस्कृति की झलक पेश की।
इस अवसर पर मांगणियार कलाकारों के गायन तथा उमर फारूख के भाई का भपंग वादन ने दर्शकों को लुभाया। कार्यक्रम में अहमदाबाद के हेमन्त खरसाणी ने मिमिक्री से दर्शकों को गुदगुदाया। रंगमंच पर आखिरी प्रस्तुति के लिए जैसे ही सिद्दी कलाकारों ने मंच पर प्रवेश किया तो दर्शक झूम उठे। लोक वाद्यों ढोल, ढोलकी, शंख की धुन पर थिरकते हुए कलाकारों ने प्रस्तुति के दौरान सिर से नारियल फोड़ कर आश्चर्यचकित कर दिया।
इससे पूर्व हाट बाजार की शुरुआत धीमी हुई मगर दोपहर से देर शाम तक लोगों की भीड़ से हस्तशिल्पियों के चेहरे खिल गए। हाट बाजार में केन बेम्बू की कलात्मक वुस्तुओं, लेदर लैम्प शेड, वुडन फर्नीचर, मार्बल मूर्तियां, मिट्टी की मूर्तिया, गैस पर काम आने वाले मिट्टी के तवे, गर्म बंडी, वूलन जैकेट, राजस्थानी पेन्टिंग्स, वूलन चप्पल, भरथ कारीगरी और मोतियों से अलंकृत कुशन कवर, वूलन कारपेट, फ्लॉवर पॉट्स, खुर्जा पॉटरी की कलात्मक वस्तुएं, सी शैल की कलात्मक व सजावटी वस्तुएं, नारियल के छिलकों की कलात्मक चीजा़ें आदि के अलावा, विभिन्न प्रकार के वस्त्रों, साडिय़ों आदि के स्टॉल पर खरीदारों की भीड़ रही। साथ ही लोगों ने विभिन्न लोक कला प्रस्तुतियों के अलावा घोड़े व ऊंट की सवारियों के आनन्द के साथ खान-पान का मजा लिया।