उदयपुर

शिल्पग्राम उत्सव में लोकरंग की विविध कलाओं ने रिझाया, खूब थिरके कदम

मुक्ताकाशी मंच पर ट्रायो डांस की थिरकन ने खूब चमकाई बिजलियां

उदयपुरDec 23, 2017 / 01:22 pm

मुकेश कुमार

उदयपुर . पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित शिल्पग्राम उत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को हाट बाजार की शुरुआत खरीदारी और लोक कलाओं के साथ मौज मस्ती से हुई। लोक कला और शिल्प परंपरा के प्रोत्साहन के लिए आयोजित इस उत्सव में शुक्रवार को मेला प्रारम्भ होने के साथ ही लोगों की आवाजाही शुरू हो गई। मेलार्थियों ने हाट बाजार में गर्म व ऊनी वस्त्र, मिट्टी के कलात्मक पॉट्स, साडिय़ां एवं आभूषण आदि स्टॉल्स पर खरीदारी की।
 

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डेडिया, नटुवा व घोड़े मोडनी की अनुपम छटाएं
उत्सव की दूसरी शाम लोक प्रस्तुतियों को निहारने बड़ी संख्या में कला रसिक पहुंचे। कार्यक्रम की शुरुआत ‘कलांगन’ पर गोवा के घोड़े मोडनी से हुई। इसमें अश्वारोही कलाकारों ने हाथ में तलवारें ले कर नृत्य करते शौर्य का प्रदर्शन उत्कृष्ट ढंग से किया। इसके बाद पश्चिम बंगाल के नटुवा नृत्य के रोमांचकारी करतबों ने दर्शकों को रोमांचित किया। अगली प्रस्तुतियों में बंगाल के बाउल गायकों की रस वर्षा, सिक्किम का चांडी नृत्य, भपंग वादक जुम्मे खां की फुलझडि़यां, मणिपुर का लाय हरोबा, गुजरात का डांग नृत्य आदि उल्लेखनीय रहीं।
लुभाया लोकरंग कलाओं ने
कलांगन में भ्रमण करते आमजन को एक ओर यहां-वहां विचरते बहुरूपिया कलाकारों के स्वांग की झांकियों ने आकृष्ट किया, वहीं कोटड़ा से आए आदिवासी कलाकारों ने गवरी का खेल दिखा कर लोकनाट्य कला की विरासत से रूबरू करवाया। मुख्य द्वार के समीप देश के विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों की मनोहारी प्रस्तुतियों के बीच हर कोई दिनभर सेल्फी से यादें संजोता नजर आया।
‘हिवड़ा री हूक’ में लगा खासा मजमा
इसके अलावा दर्पण बाजार में सजे विकास आयुक्त हस्त शिल्प के सौदागरों ने पारम्परिक वस्त्राभूषण और कलाओं की बानगी पेश की। मेला प्रांगण में हर जगह नियत फूड जोन में खाने-पीने के शौकीन लोगों का मजमा और बंजारा मंच पर ‘हिवड़ा री हूक’ कार्यक्रम में गीत-संगीत के रसिकों का खासा मजमा देखा गया।
संगम आर्ट गैलेरी का आकर्षण
संगम सभागार में केन्द्र की ओर से विभिन्न कार्यशालाओं में देश के नामचीन कलाकारों द्वारा सृजित चित्रकृतियां और हाल ही सम्पन्न वुड स्कल्पचर वर्कशॉप में बनाई काष्ठ की मूर्तियां लोगों को खूब भा रही है। इसमें भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की संस्कृति भी देखने को मिल रही है।
 
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