scriptआधुनिक तकनीक के बढ़ते प्रभाव से खत्म हो रहा बालपन… | side effects of technology udaipur | Patrika News

आधुनिक तकनीक के बढ़ते प्रभाव से खत्म हो रहा बालपन…

locationउदयपुरPublished: Nov 14, 2018 04:24:55 pm

http://www.patrika.com/rajasthan-news

mobile

आधुनिक तकनीक के बढ़ते प्रभाव से खत्म हो रहा बालपन…

राकेश शर्मा राजदीप/उदयपुर. तकनीक के बढ़ते प्रभाव के दौर में गैजेट्स के बेतरतीब और अनावश्यक उपयोग से सर्वाधिक दुष्परिणाम नन्हें बच्चे भुगत रहे हैं। जिन्हें जाने-अनजाने उनके अभिभावक कभी मनोरंजन के नाम पर तो कभी जरूरी काम में व्यस्त होने का भरम देकर मोबाइल-लैपटॉप पकड़ा देते हैं। बाद में बच्चे इनकी लत पालकर हर बात पर गैजेट्स के लिए रूठने-मचलने लगते हैं। चिकित्सकों की नजर में किसी शिरा में सूजन, सरदर्द, कम सुनाई देना, जी मिचलाना या घबराहट होना, उच्च या निम्न रक्तचाप, पेटदर्द आदि संभावित दुष्प्रभावों की ऐसी विस्तृत सूची है, जो इंटरनेट की देन है। बच्चों में चिड़चिड़ापन, लापरवाही, सुना-अनसुना करना, गुमसुम या आवेशित हो जाने जैसे लक्षणों के अलावा परिवारों में सामन्जस्य और संवाद का अभाव एकाएक हावी हुए हैं।
तकनीक तो ठीक, लेकिन…
इंटरनेट के उपयोग से शिक्षा सहित चिकित्सा, विज्ञान से लेकर ऑनलाइन बैंकिंग, ई कॉमर्स, एम कॉमर्स सुविधा, संचार और मनोरंजन, डाटा शेयरिंग तथा ऑनलाइन बुकिंग जैसे अनेक क्षेत्रों में सर्च इंजन की सहायता से रोजगार के अवसर बढ़े हैं। ऐसे में आज देश-दुनिया के लाखों लोग, छोटे बच्चों और युवाओं सहित इंटरनेट के साथ फेसबुक, ट्विटर, मीडिया प्लेयर और कंप्यूटर गेम जैसी अनेक सुविधाओं से लैस हो गए हैं। सरकार भी घर-घर से इसे जोडऩे में दिलचस्पी ले रही है। लेकिन ऑनलाइन गेम, मुवी, गाने आदि ने पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों की दिनचर्या भी बिगाड़ दी है।
READ MORE : VIDEO : गुजराती पर्यटकों ने बदला घूमने के साथ ही खान-पान का ट्रेंड, पढ़िए आखिर क्या है नया …

खतरे बढ़े कई तरह के
नेट के जरिए आसानी से मिलने वाले सतही ज्ञान के कारण स्मरण शक्ति के क्षरण से लेकर हाथ से लिखने की कला के लुप्त होने का खतरे के साथ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के दुष्प्रभाव जग जाहिर हो रहे हैं। एक विदेशी सर्वे के मुताबिक 12 से 60 वर्ष की आयु के लोग कंप्यूटर, लैपटॉप या टैबलेट-पीसी पर हर दिन चार घंटे ऑनलाइन रहने से उनका बर्ताव गांजा-चरस जैसे नशेडिय़ों के बराबर पाया गया।

क्या हो सकते हैं समाधान
हर व्यक्ति जरूरत मुताबिक इसका इस्तेमाल करे। घरों में खासकर छोटे बच्चों को जहां तक संभव हो इससे दूर रखें। किशोर और युवा अनावश्यक उपयोग से बचें, खुद पर संयम रखें। परिवार, रिश्तेदारी और दोस्ती में परस्पर संवाद कायम रखें। वाहन चलाते समय और समारोह तक में गैजेट्स के गैरजरूरी उपयोग से बचे रहना भी शालीन समाधान हो सकता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो