पुराना पंचायत भवन बना पाठशाला
बाखेल ग्राम पंचायत के मांडवा में एक भवन अनुपयोगी पड़ा था। ऐसे में इन लड़कियों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू किया तो सरपंच देवीलाल ने भी इनकी लगन को देखकर इन्हें यह भवन संभला दिया। बच्चियों ने बताया कि उन्होंने सूई-धागे से कपड़े सिलने का हुनर क्षमतालय फाउंडेशन और फ्रेंड़स लाइन के लर्निंग फेस्टिवल में सीखा जिसका उपयोग अब कर रही है। पंचायत भवन में योग करती है। फेलो शर्मिष्ठा और अभिषेक ने बताया कि 7वीं से 9वीं तक की करीब 8-10 लड़कियां इस सेंटर को चला रही हैं। इन्हें जब गांव में सात दिवसीय कैम्प में सिलाई प्रशिक्षण दिया गया तो यह उम्मीद नहीं थी कि ये अपने स्तर पर सेंटर चला लेंगी लेकिन आज इनको देखकर खुशी होती है। ये बच्चियां अब महिलाओं को सिलाई सिखाती नजर आती हैं।
बाखेल ग्राम पंचायत के मांडवा में एक भवन अनुपयोगी पड़ा था। ऐसे में इन लड़कियों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू किया तो सरपंच देवीलाल ने भी इनकी लगन को देखकर इन्हें यह भवन संभला दिया। बच्चियों ने बताया कि उन्होंने सूई-धागे से कपड़े सिलने का हुनर क्षमतालय फाउंडेशन और फ्रेंड़स लाइन के लर्निंग फेस्टिवल में सीखा जिसका उपयोग अब कर रही है। पंचायत भवन में योग करती है। फेलो शर्मिष्ठा और अभिषेक ने बताया कि 7वीं से 9वीं तक की करीब 8-10 लड़कियां इस सेंटर को चला रही हैं। इन्हें जब गांव में सात दिवसीय कैम्प में सिलाई प्रशिक्षण दिया गया तो यह उम्मीद नहीं थी कि ये अपने स्तर पर सेंटर चला लेंगी लेकिन आज इनको देखकर खुशी होती है। ये बच्चियां अब महिलाओं को सिलाई सिखाती नजर आती हैं।
READ MORE : जानिएं पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने आखिर क्यों कहा मैनें कभी नहीं किया सीआई को फोन.. बेटी की रुचि देख पिता ने दिलाई मशीन
सातवीं कक्षा में पढऩे वाली मनीषा की सिलाई के प्रति लगन देखकर पिता ने उसे सिलाई मशीन दिला दी ताकि वह सूई-धागे से सिलाई के बजाय मशीन से अच्छे से अच्छे कपड़े सिल सके। दूसरी बेटियों को भी मशीन की चाह है लेकिन उन्हें अब तक कहीं से मदद नहीं मिली है।
सातवीं कक्षा में पढऩे वाली मनीषा की सिलाई के प्रति लगन देखकर पिता ने उसे सिलाई मशीन दिला दी ताकि वह सूई-धागे से सिलाई के बजाय मशीन से अच्छे से अच्छे कपड़े सिल सके। दूसरी बेटियों को भी मशीन की चाह है लेकिन उन्हें अब तक कहीं से मदद नहीं मिली है।
गांव की बच्चियों को पुराना पंचायत भवन उपयोग के लिए दिया। इनकी लगन देखकर भवन की रिपेयरिंग और रंग-रोगन करवा दिया। बेटियां हुनरबंद होगी तो रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा, यही सोच गांव के लोगों में पैदा
हुई है। – देवीलाल, सरपंच ग्राम पंचायत बाखेल
हुई है। – देवीलाल, सरपंच ग्राम पंचायत बाखेल