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राजस्थान के इस आदिवासी क्षेत्र की बच्चियां वह काम कर रही हैं जो सबके लिए मिसाल है…

locationउदयपुरPublished: Mar 24, 2019 02:59:34 pm

Submitted by:

Bhagwati Teli

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skill development courses in kotda tehsil

राजस्थान के इस आदिवासी क्षेत्र की बच्चियां वह काम कर रही है जो सबके लिए मिशाल है…

उदयपुर . जिले की कोटड़ा तहसील के मांडवा गांव में 12 से 15 वर्ष की बच्चियां सिलाई मशीन के अभाव में हाथ से कपड़े सिलकर पहन रही है। वे अपनी सखियों के भी कपड़े बना रही हैं। ये बेटियां हुनर की पाठशाला खस्ताहाल पुराने पंचायत भवन में खुद चलाती हैं। स्कूल से लौटने के बाद इन आदिवासी बालाओं की यहीं पर क्लास लगती है जिसमें ये अपने हिसाब से डिजाइन कर सूई-धागे से कपड़े बनाकर पहनती है। ड्रेस का नाप लेना, कपड़े की कटिंग से लेकर उसे सिलने तक का काम अपने हाथों से कर रही हैं।
पुराना पंचायत भवन बना पाठशाला
बाखेल ग्राम पंचायत के मांडवा में एक भवन अनुपयोगी पड़ा था। ऐसे में इन लड़कियों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू किया तो सरपंच देवीलाल ने भी इनकी लगन को देखकर इन्हें यह भवन संभला दिया। बच्चियों ने बताया कि उन्होंने सूई-धागे से कपड़े सिलने का हुनर क्षमतालय फाउंडेशन और फ्रेंड़स लाइन के लर्निंग फेस्टिवल में सीखा जिसका उपयोग अब कर रही है। पंचायत भवन में योग करती है। फेलो शर्मिष्ठा और अभिषेक ने बताया कि 7वीं से 9वीं तक की करीब 8-10 लड़कियां इस सेंटर को चला रही हैं। इन्हें जब गांव में सात दिवसीय कैम्प में सिलाई प्रशिक्षण दिया गया तो यह उम्मीद नहीं थी कि ये अपने स्तर पर सेंटर चला लेंगी लेकिन आज इनको देखकर खुशी होती है। ये बच्चियां अब महिलाओं को सिलाई सिखाती नजर आती हैं।
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बेटी की रुचि देख पिता ने दिलाई मशीन
सातवीं कक्षा में पढऩे वाली मनीषा की सिलाई के प्रति लगन देखकर पिता ने उसे सिलाई मशीन दिला दी ताकि वह सूई-धागे से सिलाई के बजाय मशीन से अच्छे से अच्छे कपड़े सिल सके। दूसरी बेटियों को भी मशीन की चाह है लेकिन उन्हें अब तक कहीं से मदद नहीं मिली है।
गांव की बच्चियों को पुराना पंचायत भवन उपयोग के लिए दिया। इनकी लगन देखकर भवन की रिपेयरिंग और रंग-रोगन करवा दिया। बेटियां हुनरबंद होगी तो रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा, यही सोच गांव के लोगों में पैदा
हुई है। – देवीलाल, सरपंच ग्राम पंचायत बाखेल
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