यह निष्कर्ष सामने आया महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के मानव विकास एवं पारिवारिक अध्ययन विभाग में एमएससी की छात्रा स्नेहा जैन के सर्वे में। सर्वे अध्ययन में नगरीय सीमा के 240 संयुक्त व एकाकी परिवारों को शामिल किया गया। इसमें ऐसे अभिभावक शामिल थे, जिनके बच्चों की उम्र 3 से 6 वर्ष तक थी।
READ MORE: उदयपुर: सरपंच शिक्षा से संवार रही महिलाओं का भविष्य, ड्रॉप आउट महिलाओं को रोज दो घंटे पढ़ाती हैं पंचायत भवन में इन परिवारों से 53 प्रकार के संतुष्टि से जुड़े प्रश्नों में विकल्प भरवाए गए। इसमें घर से विद्यालय की दूरी पर 2, ढांचागत सुविधाओं पर 16, शिक्षण विधियों पर आधारित 21, अभिभावक भागीदारी पर 4 व अन्य सुविधाओं से संबंधित 10 प्रश्न शामिल थे।
बाल मनोविज्ञान से जुड़े रहें शिक्षक
आईसीएआर की राष्ट्रीय तकनीकी समन्वयक व विभागाध्यक्ष डॉ. गायत्री तिवारी का मानना है कि अभिभावक केवल विद्यालय की बिल्डिंग, एयर कंडीशनर रूम ही नहीं देखें। उन्हें चाहिए कि बच्चे के सर्वांगीण विकास, औपचारिक शिक्षा के लिए रेडिनस कॉन्सेप्ट क्लीयर करते हो उस विद्यालय में बच्चों को रखें।
साथ ही यह भी देखें कि वहां पढ़ाने वाले शिक्षक मात्र बीएड धारी ही न होकर उन्हें बाल विकास, बाल मनोविज्ञान, एजुकेशन की समझ या अर्ली चाइल्डहुड से जुड़ा कोई कोर्स किया हुआ भी हो जिससे वह बच्चे को बेहतर शिक्षा देकर उसकी नींव मजबूत कर सके ।
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अध्ययन में 30 प्रतिशत माताएं संसाधनों से पूरी तरह व 70 प्रतिशत सामान्य संतुष्ट पाई गई। 60 प्रतिशत अभिभावकों की भागीदारी व 45 प्रतिशत माताओं ने अन्य सुविधाओं को महत्वपूर्ण बताया। 85.33 प्रतिशत पिता ने अन्य सुविधाओं जिसमें टेबल, कूर्सी, पानी, बाथरूम, बस सुविधा आदि को संतुष्टि का आधार बताया।
अध्ययन में 30 प्रतिशत माताएं संसाधनों से पूरी तरह व 70 प्रतिशत सामान्य संतुष्ट पाई गई। 60 प्रतिशत अभिभावकों की भागीदारी व 45 प्रतिशत माताओं ने अन्य सुविधाओं को महत्वपूर्ण बताया। 85.33 प्रतिशत पिता ने अन्य सुविधाओं जिसमें टेबल, कूर्सी, पानी, बाथरूम, बस सुविधा आदि को संतुष्टि का आधार बताया।