प्रदेश में निजी फार्मा कंपनियों से 398 प्रकार की औषधियों की खरीद की गई। इसमें त्रिफला चूर्ण प्रदरान्तक रस, पुनर्नवामंडूर, फलासव, द्राक्षासव, पंचसकार चूर्ण, सुपारी पाक, बोलबद्ध रस, कर्पूर रस, कुमार कल्याण रस, तरूणीकुसुमाकर चूर्ण, लाल तेल, पुष्यातुंग चूर्ण, हिंग्वाश्टक चूर्ण, द्राक्षावलेह, लोहासव, द्राक्षासव सहित करीब 398 प्रकार की औषधियां शामिल है।
इन जिलों में इतना खर्च निजी फार्मा कंपनियों से औषधियां खरीद पर…राशि लाखों में (2014-15 से 18-19 तक ) उदयपुर 31.15
जयपुर 36.26. सीकर 13.89
दौसा -12.37 अलवर 16.80
झुंझुनूं 16.04 जोधपुर 22.40
जैसलमेर 9.66
पाली 17.00 सिरोही 18.47
जालोर . 22.67 कोटा . 20.35
बारां 19.13 बंूदी 41.03
झालावाड 18.18 बांसवाड़ा. 17.46
डूंगरपुर 22.88 राजसमन्द 20.27
प्रतापगढ़ 15.74 चित्तौडगढ़़़ 18.89
बीकानेेर 10.06 चूरू 5.91
श्रीगंगानगर 22.61 हनुमानगढ 11.20
भरतपुर . 20.18
सवाई माधोपुर 24.20 करौली 13.73
अजमेर 34.30 भीलवाड़ा 5.52
नागौर 12.67 टोंक 14.10
कुल 610.22 लाख रुपए —— रसायनशालाओं पर खर्च (2014-15 से 2018-19 तक खर्च ) राशि लाखों में
रसायनशाला का नाम- औषधि निर्माण पर खर्च- वेतन व भत्तों का खर्च- कुल खर्च
भरतपुर- 162.64- 396.09-558.73 जोधपुर- 415.37-446.52-861.89
अजमेर- 288.25- 668.53- 956.78 केलवाड़ा-95.71-132.84-228.55 मांग के आधार पर औषधियों का निर्माण
रसायन प्रयोगशालाओं में मांग के आधार पर औषधियों का निर्माण किया जाता है। पहले यहां कई तरह की औषधियां बनाई जाती थी, लेकिन अभी हमारे यहां उदयपुर में कर्पुररस तैयार किया जा रहा है।