भंडारी ने शुक्रवार को पत्रिका से बातचीत में कहा कि 26 बेसिन में से केवल 8 बेसिन ऐसे हैं जहां से हम व्यावसायिक हाइड्रोकार्बन निकाल पाए हैं। हाल में कच्छ बेसिन की खोज की गई है जिससे काफी मात्रा में तेल व गैस निकलेगा। देश 220 मिलियन टन तेल-गैस की हमें जरूरत है, लेकिन हम उत्पादन केवल 25 से 30 मिलयन टन ही उत्पादन कर पा रहे हैं। ऐसे में हमें 80 प्रतिशत तेल-गैस आयात करना पड़ता है।
भंडारी ने दोहन के विकल्प बताते हुए कहा कि एलएनजी, सीबीएम, टाइड गैस, गेल गैस को विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन इसे उपयोगी बनाने में खर्च बढेग़ा, इसके लिए पर्यावरणीय स्थिति के अनुरूप तैयार करना होता है।