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उदयपुर

बरसती आंखें और लरजते होठों से बोली कन्हैयालाल की पत्नी जसोदा- उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं दी?

मृतक कन्हैयालाल की पत्नी जसोदा से पत्रिका की विशेष बातचीत, सुरक्षा मुहैया नहीं कराने पर सिस्टम से बेहद खफा

उदयपुरJul 01, 2022 / 08:02 am

Pankaj

बरसती आंखें और लरजते होठों से बोली, उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं दी?

बरसती आंखें और लरजते होठों से बोली, उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं दी?

पुलिस की लापरवाही का शिकार कन्हैयालाल की मौत के तीसरे दिन उठावणे की रस्म के बाद पत्रिका के विशेष आग्रह पर उनकी पत्नी जसोदा देवी ने मन की पीड़ा बयां की। आखिर सुहाग उजडऩे का दर्द फूट पड़ा। वो बोल नहीं पा रही थी, बार-बार सिसकियां भर रही थी। बेहद गमगीन माहौल में अपने को संभालते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें सुरक्षा नहीं दी और धमकी देने वाले को आखिर गिरफ्तार क्यों नहीं किया।

घूंघट की ओट में बरसती आंखें और लरजते होठों से बोली, उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं दी? कांपती आवाज में बोली कि उनकी जान को खतरा था, सुरक्षा भी मांगी थी, लेकिन लापरवाही बरतते हुए उन्हें नफरत का शिकार होने को छोड़ दिया। वे परेशान थे, कहते थे कि जान को खतरा है, पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। आज बड़े-बड़े अधिकारी सांत्वना देने मेरे दरवाजे पर आ रहे हैं, जब हम दर-दर की ठोकर खाते हुए सुरक्षा मांग रहे थे, तब कहां थे ये अधिकारी। परिवार ने उन्हें संबल दिया, लेकिन सरकारी सिस्टम ने दरकिनार किया। हमनें ऐसा क्या बिगाड़ा था? जब उनकी गलती मानकर गिरफ्तार किया तो धमकी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। क्यों उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई। हमारी पुकार सुन ली जाती तो आज मेरा सुहाग नहीं उजड़ा होता।

बच्चो को लेकर बड़े अरमान थे

भड़लिया नवमी पर उनके साथ फेरे लिए थे। सात दिन बाद ही 22 साल पूरे हो जाएंगे। छोटी सी दुकान, कमाई कम थी, लेकिन बच्चों को लेकर उनके ख्वाब ऊंचे थे। कहते कि मैंने सिलाई करके समय गुजारा, लेकिन मेरे बेटे बड़ा काम करेंगे। एक बेटे को मेडिकल लाइन में भेजने के लिए फार्मेसी तो दूसरे को अकाउंट्स के लिए बी-कॉम करवा रहे थे। 17 साल किराए के मकान में रहे। एक-एक पैसा जोड़कर तीन साल पहले 32 लाख में छोटा-सा मकान खरीदा था। मकान से लेकर हर चीज तक, लोन लेकर घर की तमाम सुविधाएं जुटाई, लेकिन सब बिखर गया। कमाने वाले वहीं थे, हर चीज उनके हाथ से लाई गई थी। जब वे ही नहीं रहे तो पैसों का क्या करेंगे। हमें पैसे नहीं न्याय चाहिए। हत्यारों की मौत ही हमारे लिए न्याय है। बच्चों को भी सुरक्षा चाहिए, सरकार व्यवस्था करे।

परिवार की पीड़ापिता की जान को खतरा था, फिर भी पुलिस ने लापरवाही बरती। पिता के हत्यारों को भी मौत मिले, यही हमारे लिए न्याय होगा। हमें इसके अलावा कुछ नहीं चाहिए।

यश, बेटा

अफसोस है कि अनचाही गलती और गलफतहमी से लोग पिता की जान के दुश्मन हो गए। उनकी गुहार पर भी उन्हें सुरक्षा नहीं मिली और आखिर उनकी हत्या कर दी गई।

तरुण, बेटा

भाई मेरी गोद में बड़ा हुआ, उसे करीब से जानती हूं। गलती से कुछ हुआ भी तो उसकी सजा मिली, लेकिन उसकी पुकार को किसी ने गंभीरता से नहीं सुना।

नीमा देवी, बड़ी बहन

भाई को बचपन से जानती हूं। इतना भोला था कि मेरे बिना स्कूल भी नहीं जाता था। किसी से झगड़ा नहीं, फिर भी नफरत और लापरवाही ने उसकी जान ले ली।

भगवती देवी, बड़ी बहन

भाई को अपने हाथों से बड़ा किया। उसे गलत बात पर कई बार टोंका, लेकिन कभी पलटकर जवाब नहीं दिया। मुझसे पूछे बिना तो वह कोई काम ही नहीं करता था।

मणि बेन, बहन

मैं गुजरात में रहता हूं, लेकिन कन्हैयालाल से हमेशा जुड़ाव बना रहा। वह बेहद सरल स्वभाव का था। किसी से झगड़ा-फसाद नहीं, लेकिन नफरत का शिकार हो गया।

हेमराज तेली, चचेरा भाई

बड़े भाई के साथ धोखा हो गया। वह सरल स्वभाव का था, लेकिन नफरत का शिकार हो गया। इतने सीधे व्यक्ति की भी जान ले और जिम्मेदारों ने अनदेखा किया।

कालू तेली, छोटा भाई

घटनाक्रम ने बीस दिन में ही परिवार को उजाड़ दिया। गलती से परिवार अनजान था। कानूनी कार्रवाई भी हुई, फिर भी नफरत और अनदेखी ने फूफाजी की जान ले ली।

चंद्रप्रकाश, रिश्तेदार, सेक्टर-14

बहनोई कन्हैयाजी इतने सीधे थे कि मुझसे भी नजर नहीं मिलाते थे। हमें मुआवजा नहीं चाहिए, पैसा तो कमा लेंगे। हत्यारों को फांसी की सजा ही हमारे लिए न्याय है।

नारायण तेली, सालाजी, खेमली स्टेशन

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