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अब भी जारी है खुले खेल सुखाड़िया विवि में…पढ़िए कैसे

locationउदयपुरPublished: Apr 02, 2019 11:47:21 am

Submitted by:

Bhuvnesh

– पीएचडी प्रवेश परीक्षा का मामला
– अब तक एक भी आदेश नहीं किया जारी- अगले वर्ष प्रश्न दोहरे करने पर मंथन

- पीएचडी प्रवेश परीक्षा का मामला

– पीएचडी प्रवेश परीक्षा का मामला

भुवनेश पण्ड्या

उदयपुर . मोहनलाल सुखाडि़या विवि में गत दिनों हुए रिसर्च एन्ट्रेंस टेस्ट (रिट) में आरक्षित वर्ग के लिए उत्तीर्णांक ४५ से घटाकर ४४ कर दिए गए, लेकिन इस संबंध में अब तक एक भी आदेश विवि ने अपनी वेबसाइट पर जारी नहीं किया है। एकेडमिक काउंसिल को दरकिनार कर अजा-जजा शोधार्थी संघ के दबाव में इस बडे़ निर्णय को लेकर पीजी डीन की दलील है कि उन्होंने कुलपति की स्वीकृति के बाद यह फैसला लिया है, जबकि सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए उत्तीर्णांक कम नहीं किए गए।
नियमानुसार आरक्षित वर्ग के लिए प्री पीएचडी परीक्षा यानी रिसर्च एन्ट्रेंस टेस्ट (रिट) में ४५ और सामान्य वर्ग के लिए ५० प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है। गत दिनों सम्पन्न परीक्षा के बाद अजा-जजा शोधार्थी संघ ने कुलपति के नाम एक पत्र लिखा जिस पर पासिंग माक्र्स ४५ से कमकर ४४ कर दिए गए। इसकी वजह यह बताई गई कि १०० अंकों के क्वालिफाइंग प्रश्नपत्र में सभी प्रश्न २-२ अंकों के होते हैं। एेसे में परीक्षार्थी ४४ या ४६ ला सकता है, ४५ अंक नहीं ला सकता है तो इसे अर्हता कैसे मान लिया जाए।
नियमानुसार इस तरह के आदेश एकेडमिक काउंसिल की मुहर लगने के बाद ही जारी किए जा सकते हैं। हालांकि संघ ने सामान्य वर्ग के उत्तीर्णांक भी कम करने की मांग रखी गई थी, लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया।
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सामान्य के उत्तीर्णांक ५० प्रतिशत ही
अजा-जजा व ओबीसी सहित सभी आरक्षित वर्ग के लिए उत्तीर्ण अंक यानी साक्षात्कार तक पहुंचने के लिए ४४ अंक तय कर दिए गए जबकि विभागीय आदेश जारी नहीं किया। एेसे में आरक्षित एवं अनारक्षित वर्ग में छह प्रतिशत अन्तर हो गया, जबकि सभी परीक्षाओं में नियमानुसार दोनों वर्ग के बीच अर्हता अंक का अन्तर पांच प्रतिशत ही रह सकता है। परीक्षा १० मार्च दोपहर १ से ३ बजे तक हुई जिसमें कुल ३७१८ में से २५६४ यानी ६८.९४ प्रतिशत परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी। उत्तीर्ण अभ्यर्थी अब ८ से १२ अप्रेल के बीच साक्षात्कार से गुजरेंगे।
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कुलपति ही एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष होते हैं, इसमें उनकी स्वीकृति ले ली गई है। एकेडमिक काउंसिल में डीन, विभागाध्यक्ष, फैकल्टी चेयरमैन व कुलपति की ओर से नामित कुछ प्रोफेसर होते हैं। जब काउंसिल का अध्यक्ष ही कुलपति होता है तो उनकी स्वीकृति से निर्णय किया जा सकता है।
जी सोरल, डीन पीजी एमएलएसयू
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